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कैसी है Vikrant Massey और Raashii Khanna की ये फिल्म? 'The Sabarmati Report ' देखने से पहले पढ़ लें ये रिव्यू

‘द साबरमती रिपोर्ट’ 15 नवंबर को रिलीज हो गई है. इससे पहले हम आपको फिल्म का रिव्यू दे रहे हैं. इससे आपके लिए ये फैसला करना आसान होगा कि आपको ये फिल्म देखनी चाहिए या नहीं.

06:29 AM Nov 15, 2024 IST | Anjali Dahiya

‘द साबरमती रिपोर्ट’ 15 नवंबर को रिलीज हो गई है. इससे पहले हम आपको फिल्म का रिव्यू दे रहे हैं. इससे आपके लिए ये फैसला करना आसान होगा कि आपको ये फिल्म देखनी चाहिए या नहीं.

देश सच जानने के लिए मीडिया की तरफ देखता है और मीडिया अपने मालिकों की तरफ, इसी फिल्म का डायलॉग है, विक्रांत मैसी बोलते हैं, तो विक्रांत बाबू हमें कभी मालिक अपनी तरफ देखने को नहीं बोलते और उनकी तरफ देखे बिना मैं ये कह रहा हूं कि ये फिल्म जरूर देखी जानी चाहिए.

विक्रांत मैसी ने अपने लिए एक ऐसा नाम बना लिया है कि वो जहां होते हैं अच्छे कॉन्टेंट की उम्मीद जगती है, द साबरमती रिपोर्ट जैसी फिल्म से विक्रांत का जुड़ना ये भरोसा दे गया कि कुछ तो बवाल बनाया होगा लेकिन यहां कुछ नहीं काफी कुछ बवाल है और विक्रांत का ही नहीं, रिद्धि डोगरा, राशि खन्ना और एकता कपूर का भी बवाल है

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कहानी

इस फिल्म मैं गोधरा कांड दिखाया गया है, जब 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा में स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस की बोगी में आग लग गई थी और 59 बेगुनाह लोगों की जान चली गई थी, इसका सच क्या है, हादसा या साजिश, ये फिल्म एक रिपोर्टर के नजरिए से पड़ताल करती है.

कैसी है फिल्म?

ये फिल्म बड़ी हिम्मत से साबरमती का सच दिखाती है, ये फिल्म कसी हुई है, मीडिया के नजरिए से चीजों को दिखाती है. कुछ ऐसा भी दिखाती है जो मीडिया की इमेज खराब करता है लेकिन बात जब 59 लोगों की जान की होती है तो बात तो होनी चाहिए. फिल्म हर पहलू पर बात करती है, कोर्ट ने जो कुछ कहा वो बताती है, आपको बांधे रखती है. आप इस केस का सच जानने के लिए इन रिपोर्टर्स के साथ रिपोर्टर बन जाते हैं.

आज की पीढ़ी को शायद इस कांड के बारे मैं नहीं पता होगा तो उनके लिए ये फिल्म एक दस्तावेज का काम भी करती है. फिल्म आपको कहीं बोर नहीं करती, कहीं खिंची हुई नहीं लगती, चीजें तेजी से आगे बढ़ती रहती हैं, हां थोड़ा इमोशनल कनेक्ट कम है वो होता तो फिल्म और शानदार बनती.

एक्टिंग

12वीं फेल के बाद विक्रांत फिर फॉर्म में हैं और इस रिपोर्ट में उन्हें पूरे नंबर मिलते हैं. सच दिखाने वाला एक नया पत्रकार, हिंदी बोलने वाला एक पत्रकार, ये किरदार विक्रांत के अलावा शायद ही कोई कर सकता था. उन्होंने परफेक्शन से इस किरदार को निभाया है. रिद्धि डोगरा ने कमाल का काम किया है, मीडिया के लोग उनके किरदार से काफी रिलेट कर पाएंगे, हर न्यूजरूम में रिद्धि के किरदार जैसी पत्रकार आपको मिल जाएगी, उनके एक्सप्रेशन परफेक्ट हैं.

राशि खन्ना ने ट्रेनी जर्नलिस्ट के किरदार को परफेक्शन के साथ प्ले किया है. एक बड़ी जर्नलिस्ट की एक फैन से लेकर उसे सच का आईना दिखाने वाली पत्रकार, ये रोल उनके बेस्ट रोल्स में से एक है, बाकी के कलाकारों ने भी अच्छा काम किया है.

डायरेक्शन

धीरज सरना का डायरेक्शन अच्छा है, उन्होंने फिल्म को खींचा नहीं. 2 घंटे में सब दिखा दिया, लेकिन इमोशन और डालना चाहिए था. तारीफ एकता कपूर की भी करनी होगी कि उन्होंने ऐसा सब्जेक्ट चुना, इसके लिए हिम्मत चाहिए. एकता का सास बहू से लेकर साबरमती तक का सफर दिलचस्प रहा है. वो हर तरह का कॉन्टेंट बना रही हैं और कुछ नया ट्राई करने से हिचकती नहीं हैं और आलोचना को भी पॉजिटिवली लेती हैं, उनकी हिम्मत को सलाम है.

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