बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी...
आतंकवाद के खिलाफ छेड़ी गई मुहिम में लाख प्रयास करने के बावजूद पाकिस्तान में आतंकवाद जिंदा है और पूरी शिद्धत से जिंदा है।
03:29 AM Feb 20, 2020 IST | Aditya Chopra
‘‘न जाने तुमने कितने धर्मों के बुझाए हैं दीपक, उजाले हैं छीने,
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हजारों की मांओं की गोदें उजाड़ीं, कई एक तकदीरें पल में बिगाड़ीं
सुहागों को मिट्टी में मिलाया है तूने, हजारों को बेघर बनाया है तूने
सरों से उतारी हैं बहनों की चादर, खिलाई यतीमों को दर-दर की ठोकर।’’
यह नज्म पाकिस्तान के ही शायर जावेद की लिखी हुई है, जो अपने ही हुक्मरानों को पाकिस्तान का सच बताती रही है। आतंकवाद के खिलाफ छेड़ी गई मुहिम में लाख प्रयास करने के बावजूद पाकिस्तान में आतंकवाद जिंदा है और पूरी शिद्धत से जिंदा है। ऐसी जहनियत के लोग बढ़ते ही जा रहे हैं। सारी दुनिया पाकिस्तान का सच जान चुकी है। यह कौन सी मानसिकता है जो सारी दुनिया के उन देशों की दुश्मन है जो इस्लाम को राजधर्म नहीं मानते।
सारी दुनिया महसूस करती है कि पाकिस्तान का वजूद ही सारी दुनिया के लिए एक खतरा है, इसे जब तक पूर्ण रूप से नष्ट नहीं किया जाता, तब तक विश्व चैन से नहीं बैठ सकता। आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई को लेकर दुनिया की आंखों में धूल झोंकने वाले पाकिस्तान को अब तक फाइनैंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) द्वारा ब्लैक लिस्ट में डाल देना चाहिए था लेकिन उसने पाकिस्तान को फिलहाल ग्रेलिस्ट में ही रखा। भारत लगातार इस बात के लिए दबाव डालता रहा है कि पाकिस्तान को काली सूची में डाल दिया जाए। पहले चीन पाकिस्तान के आतंकी मसूद अजहर को अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवादयों की सूची में डालने में रोड़े अटकाता रहा लेकिन बाद में उसे भी झुकना पड़ा था। अब तुर्की और मलेशिया की मदद से पाकिस्तान फिर बच गया है।
आतंकवाद की आर्थिक नाकेबंदी मुकम्मल करने वाले इस संगठन ने पाकिस्तान को 2018 में ग्रेलिस्ट में रखा था। इससे न केवल पाकिस्तान पर आतंकी संगठन के खिलाफ कार्रवाई का दबाव बनाया बल्कि दुनिया भर में उसकी आर्थिक साख को भी करारा झटका दिया। पाकिस्तान ने ब्लैक लिस्टेड होने से बचने की छटपटाहट में दो खूंखार आतंकियों को छिपाने का काम किया। पहले मसूद अजहर को सेना की हिरासत से गायब होने की खबर उड़ी थी, 2012 में नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला को गोली मारने वाले अन्तर्राष्ट्रीय आतंकी एहसान उल्लाह एहसान के पाकिस्तान से गायब होने की खबरें आईं। कहा जा रहा है कि एहसान को तो जानबूझ कर भगाया गया। मसूद अजहर तो सेना की हिरासत के बावजूद खुलेआम घूम रहा है।
दुनिया को धोखा देने के लिए पाकिस्तान ने जैश-ए-मोहम्मद सरगना हाफिज सईद को जेल में डाला। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को आतंकी संगठनों की फंडिंग को लेकर एक बार फिर चेताया है। टेरर फंडिंग पर सख्ती के बावजूद गैर कानूनी गतिविधियों और दुनिया भर में समर्थकों से जुटाए फंड से आतंकी समूहों की मदद की जा रही है। पाकिस्तान का साथ देना चीन और सऊदी अरब की मजबूरी हो सकती है क्योंकि दोनों ही देशों ने पाकिस्तान में भारी-भरकम निवेश कर रखा है लेकिन तुर्की का पाकिस्तान के समर्थन में खड़े होना हैरान कर देने वाला कदम है। पाकिस्तान और तुर्की के बीच वैसे तो काफी गहरे रिश्ते हैं। कई मौकों पर तुर्की ने कश्मीर को लेकर पाकिस्तान का खुल कर समर्थन किया है।
फिर भी सवाल उठता है कि तुर्की भारत के साथ अपने रिश्ते क्यों खराब करना चाहता है। तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन का पाकिस्तान की संसद में खड़े होकर यह कहना कितना असंतुलित है कि कश्मीर जनता पाकिस्तान के लिए अहम है, उतना ही तुर्की के लिए भी अहम है। तुर्की का कश्मीर से क्या लेना-देना। 2017 में तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन भारत आए थे तो उन्होंने कश्मीर पर मध्यस्थता की पेशकश की थी जिसे भारत ने ठुकरा दिया था। फिर संयुक्त राष्ट्र महासभा और आईओसी में भी उन्होंने कश्मीर का जिक्र किया था। उसकी नाराजगी का कारण यह है कि तुर्की परमाणु शक्ति बनने का इच्छुक है। इसमें उसने भारत का सहयोग लेने की बहुत कोशिश की लेकिन भारत ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी।
अब अर्दोआन परमाणु कार्यक्रम के लिए पाकिस्तान से सहयोग चाहता है। तुर्की के पास थोरियम के भंडार हैं जिसे वह परमाणु तकनीक में इस्तेमाल कर सकता है। मलेशिया भी पाकिस्तान की भाषा बोल रहा है। इसके बाद से ही भारत ने मलेशिया से पॉम आयल का आयात घटा दिया है, जिससे मलेशिया को बहुत नुक्सान झेलना पड़ रहा है। इसके बाद से मलेशिया को अपने स्वर धीमे करने पड़े। इसी तरह के आर्थिक कदम भारत तुर्की के खिलाफ भी उठा सकता है। तुर्की के कान्ट्रैक्टर भारत में 430 मिलियन डालर के प्रोजैक्टों पर काम कर रहे हैं। लखनऊ और मुम्बई में सबवे बनाने और जम्मू-कश्मीर रेलवे की सुरंग बनाने और कई हाउसिंग प्रोजैक्टों पर काम किया जा रहा है।
भारत एक बड़ी आर्थिक शक्ति बन चुका है। भारत तुर्की को भी झटका देने की स्थिति में है। इसमें कोई संदेह नहीं कि पाकिस्तान, चीन, मलेशिया और तुर्की का गठजोड़ भारत के खिलाफ है और पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए भारत को कूटनीति से काम लेना होगा। उसे तुर्की और मलेशिया पर अन्तर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ाना होगा। तुर्की और मलेशिया को समझना होगा कि एक आतंकवादी राष्ट्र का साथ देने से उनकी छवि भी आतंकवाद पोषक देशों जैसी बन जाएगी। पाकिस्तान को अंततः ब्लैक लिस्टेड करने में ही उनकी भलाई होगी। बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
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