Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

इन्सान का इन्सान से हो भाईचारा-यही पैगाम हमारा

2020 की शुरूआत दिल्ली पर कहर बनकर टूटी है। नॉर्थ ईस्ट के दंगों में महज एक हफ्ते में लगभग 42 लोगों की जान चली गई है और 200 से ज्यादा घायल हैं।

05:46 AM Mar 01, 2020 IST | Kiran Chopra

2020 की शुरूआत दिल्ली पर कहर बनकर टूटी है। नॉर्थ ईस्ट के दंगों में महज एक हफ्ते में लगभग 42 लोगों की जान चली गई है और 200 से ज्यादा घायल हैं।

2020 की शुरूआत दिल्ली पर कहर बनकर टूटी है। नॉर्थ ईस्ट के दंगों में महज एक हफ्ते में लगभग 42 लोगों की जान चली गई है और 200 से ज्यादा घायल हैं। भीड़ का कोई नाम नहीं होता, दंगाइयों की कोई सूरत नहीं होती, उनकी एक ही फितरत होती है कि खून-खराबा और मारकाट।  जब भारत की बुनियाद एक राष्ट्र के रूप में रखी गई और हिंदू-मुसलमान-सिख-ईसाई इसका पवित्र रूप बना जो इनकी नागरिकता को जोड़ता है तो फिर एक-दूसरे का खून बहाने की ये कोशिशें हमारी दिल्ली में क्यों हो रही हैंै। एक सकारात्मक पहलू इन दंगों का यह है कि आज भी अनेकों हिंदू भाइयों ने मुस्लिम परिवारों की जान बचाई है और कितने ही मुस्लिम परिवारों ने हिंदू परिवारों की जान दंगाइयों से बचाई है।
Advertisement
करावल नगर के शिव विहार इलाके में एक हिंदू परिवार ने एक चार मंजिला मकान में रह रहे मुस्लिम परिवार को दंगाइयों से बचाया। जाफराबाद में घोंडा चौक पर मुस्लिम परिवारों ने रेहड़ी लगाने वाले हिंदुओं को बचाया। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के कार्यकर्ताओं की जितनी तारीफ की जाए कम है जिन्होंने  नूरे इलाही, राजपूत मोहल्ला, जाफराबाद और जीटीबी अस्पताल के बाहर हर रोज लंगर भेजना शुरू कर दिया है तभी तो असलम शरीफ ने कहा कि आज तीन दिन के बाद सिख भाइयों ने हमें रोटी दी है तो वहीं एक और सिख भाई ने कहा कि ये हमारा फर्ज है कि हम इंसानियत के साथ खड़े हों । लंगर की सेवा कर रहे परमजीत ने कहा कि हमारे कमेटी के प्रधान मनजिन्दर सिंह सिरसा ने कई ट्रक लंगर का बंदोबश्त कर रखा है और हम हिंसा ग्रस्त इलाकों में लंगर तब तक बांटते रहेंगे जब तक सब कुछ सामान्य नहीं हो जाता है। 
खजूरी खास के सी ब्लाक के पास एक परबेजा बेगम नाम की महिला की अस्पताल न पहुंच पाने से मौत हो गई तो शव को बिहार ले जाने के लिए 28 हजार रुपये की जरूरत थी जो हिंदू और मुसलमानों ने इकट्ठा करके दिये। चांदबाग, जाफराबाद, मौजपुर, घोंडा, शिव विहार, दुर्गापुरी, सुदामा पुरी, गोकुलपुरी ऐसे कितने ही नाम हैं जहां दंगे हुए और केंद्र के साथ दिल्ली सरकार भी दंगा पीडि़तों की मदद के लिए आगे आ रही है। केजरीवाल सरकार ने तो अपनी फरिश्ते योजना में फ्री इलाज के साथ-साथ मुआवजा भी घोषित करने के साथ-साथ तदर्थ सहायता तुरंत देने का ऐलान किया है लेकिन यह भी एक कड़वा सच है कि हिंदू और मुसलमान भाईयों का करोड़ों-अरबों का नुकसान हुआ है। दुकानें-शोरूम और बाजार तथा घर तबाह हो गए हैं।  कितने ही पुलिस अधिकारी चाहे वे दिल्ली पुलिस के शहीद रतन लाल जी हों या अंकित शर्मा हो, हमें उनकी डयूटी और उनकी इंसानियत पर नाज है। 
हमारे डीसीपी और एक एसीपी भी बुरी तरह घायल हो गए। अभी साठ से ज्यादा पुलिस कर्मचारी घायल हैं। फिर भी उन्होंने धैर्य दिखाते हुए दंगों को रोका ही है। अब सरकार इन दंगाइयों को सख्त सजा दे तो दंगे की आग में अपने परिजनों को गंवाने वालों को सही मायने में इंसाफ मिलेगा। अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। इंसानियत का धर्म निभाने वालों को हमेशा अपनी जान देनी पड़ती है। पंजाब में आतंकवाद के दिनों में मेरे परिवार ने हमारे परम श्रद्धेय शहीद ​शिरोमणि लाला जगत नारायण जी और अमर शहीद रमेश चंद्र जी को खोया है। तब सिर्फ हिंदू-सिख को इंसानियत की खातिर बचाने की बात थी तो आज हिंदू-मुसलमान को इंसानियत की खातिर बचाने का राष्ट्रीय धर्म हम सबको निभाना है।
मेरा मानना है कि इन दंगों में न हिंदू मरा न मुसलमान मरा है बल्कि इंसानियत की मौत हुई है। आओ नफरत की आंधी को रोकें और एक-दूसरे के साथ मिलकर रहने का अपना वह भाईचारा निभाएं जो भारत की सही संस्कृति है। हम इसे एक राष्ट्रीय फर्ज बनाएं और जिन लोगों ने भाईचारा बनाने के लिए अपनी जान दी उनकी इंसानियत को सलाम करें।  हमारे देश की पहचान ‘हम’ से है अर्थात ‘ह’ से हिन्दू और ‘म’ से मुसलमान।
Advertisement
Next Article