'दम है तो महाराष्ट्र से निकल कर देखो...', फिर पप्पू यादव ने दी राज ठाकरे को चुनौती
महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर चल रहे विवाद ने अब बिहार में भी राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है. इस बीच पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने इस मुद्दे पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे पर तीखा पलटवार किया है.
मीडिया रिपोर्पट के अनुसार, पप्पू यादव ने कहा कि राज ठाकरे का यह रवैया गलत है. उन्होंने कहा कि "भाषा के नाम पर लोगों को बांटना देश के लिए नुकसानदायक है. आप जो बीजेपी से सीखे. असम में भी बिहारियों को पीटा जा रहा है. वहीं पप्पू यादव ने कहा कि बिहार, झारखंड, यूपी और असम जैसे राज्यों के लोगों को निशाना बनाना किसी भी रूप में उचित नहीं है."
"हम मराठी लोगों का सम्मान करते हैं"
पप्पू यादव ने साफ कहा, "हम मराठी भाइयों का हमेशा सम्मान करते हैं. हम कभी मराठी लोगों के खिलाफ नहीं थे और न होंगे. लेकिन अगर बिहार, यूपी या झारखंड के लोगों को बार-बार अपमानित किया गया, तो हम भी मजबूर होंगे कि बिहार में मराठी संस्थाओं पर सख्त रवैया अपनाएं."
"चुनाव से पहले बिहारी लोगों को निशाना बनाते हैं'
राज ठाकरे पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, "आप हर बार नगर निगम चुनाव से पहले बिहारी लोगों को निशाना बनाते हैं. आपकी राजनीति सिर्फ नफरत फैलाने तक सीमित रह गई है." उन्होंने यह भी कहा कि "आपकी स्थिति नहीं है कि आप मराठा के घर से निकलकर दुनिया देखें की वो कैसी है. केवल आप कमजोर तबकों पर अपनी राजनीति चला रहे हैं."
"हम लड़ना जानते हैं, डरते नहीं"
अपने अंदाज़ में पप्पू यादव ने चेतावनी देते हुए कहा, "हम किसी से डरते नहीं हैं, लड़ना जानते हैं. अगर जरूरत पड़ी तो हम मराठी संगठनों के खिलाफ भी सख्त कदम उठाएंगे,
हाल का विवाद: हिंदी तीसरी भाषा
मार्च 2025 में आरएसएस नेता सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा कि मुंबई की कोई एक भाषा नहीं हो सकती और हर किसी को मराठी सीखना जरूरी नहीं है. इस बयान के बाद विरोध शुरू हो गया. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसका जवाब देते हुए कहा कि मराठी राज्य की आत्मा है और इसे सीखना हर किसी की जिम्मेदारी है.
सरकार का फैसला और विरोध
अप्रैल 2025 में महाराष्ट्र सरकार ने एक आदेश दिया जिसमें पहली से पांचवीं कक्षा के छात्रों के लिए हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बना दिया गया. विपक्षी दलों, शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी (शरद पवार गुट), और एमएनएस ने इसका तीखा विरोध किया. उन्होंने कहा कि यह मराठी पहचान को कमजोर करने की साजिश है. विरोध इतना बढ़ा कि सरकार को यह आदेश वापस लेना पड़ा.
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