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सत्ता और समर्थन के मोह में नीतीश कुमार बिहार को रसातल में पहुंचाने में लगे हुए है :ललन कुमार

कांग्रेस नेता ललन कुमार ने कहा कि जदयू उतर प्रदेश में सिर्फ दिखावे के लिए चुनाव लड़ रही है। ललन ने कहा कि दरअसल जदयू समाजवाद की विचारधारा से अलग हटकर नीतीश कुमार के द्वारा आरएसएस के विचारधारा को आत्मसात करने के कारण ही उतर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ जाने से डर रही

08:03 PM Jan 31, 2022 IST | Desk Team

कांग्रेस नेता ललन कुमार ने कहा कि जदयू उतर प्रदेश में सिर्फ दिखावे के लिए चुनाव लड़ रही है। ललन ने कहा कि दरअसल जदयू समाजवाद की विचारधारा से अलग हटकर नीतीश कुमार के द्वारा आरएसएस के विचारधारा को आत्मसात करने के कारण ही उतर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ जाने से डर रही

पटना :कांग्रेस नेता ललन कुमार ने कहा कि   जदयू उतर प्रदेश में सिर्फ दिखावे के लिए चुनाव लड़ रही है।   ललन ने  कहा कि दरअसल जदयू समाजवाद की विचारधारा से अलग हटकर नीतीश कुमार के द्वारा आरएसएस के विचारधारा को आत्मसात करने के कारण ही उतर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ जाने से डर रही है। क्योंकि उसे इस बात का डर है कि उतर प्रदेश में अगर नीतीश कुमार चुनाव प्रचार करेंगे तो भाजपा उनसे अलग हो सकती है। सत्ता और समर्थन के मोह में नीतीश कुमार बिहार को रसातल में पहुंचाने में लगे हुए हैं और उस पार्टी के साथ खड़े हैं जो बिहार में मदरसा शिक्षा और जातीय जनगणना का विरोध खुलकर कर रही है। नीतीश कुमार की राजनीति दिखावा और समझौतावाद पर सिमट गया है। और अपने चेहरे की चमक को बनाये रखने के लिए कुछ भी करने की जो इनकी लालसा है उसी के अन्तर्गत डबल इंजन की सरकार शिक्षकों के साथ एक ऐसा फरमान जारी किया है जो पाठशाला।
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शिक्षा की गुणवत्ता को शराब और शराबी को खोजने में ही समाप्त कर देगा। दुर्भाग्य की बात है कि बिहार के शिक्षा मंत्री इस मामले में गलत बयानी का सहारा ले रहे हैं। जब आप शिक्षकों को शराब और शराबमाफियाओं को पकड़वाने के अभियान में लगायेंगे तो उन शिक्षकों की सुरक्षा का जिम्मा सरकार कैसे लेगी। 
दरअसल नीतीश कुमार की सरकार इस नारे को बढ़ावा दे रही है कि अब बिहार में पाठशाला नहीं मधुशाला की खोज करे और शिक्षा के स्तर को निम्न स्तर पर ले जाने के अभियान में सरकार के साथ खड़े रहे। आज सरकारी स्कूलों की स्थिति में लगातार जो गिरावट देखने को मिल रही है उसमें सरकार की नीतियां हीं ज्यादा जिम्मेवार है। क्योंकि शिक्षकों को पढ़ाने की जगह
दूसरे कार्यों में लगा दिया जाता है जिससे गरीब, दलित, पिछड़ा, अतिपिछड़ा, कमेरा और अल्पसंख्यक समाज के बच्चे बेहतर शिक्षा को हासिल करने से वंचित रहते हैं। क्योंकि सरकार के अन्दर जो लोग बैठे हुए हैं उनके बच्चे तो बड़े-बड़े कान्वेंट और प्राईवेट स्कूलों में पढ़कर अपना भविष्य बना रहे हैं लेकिन गरीब के बच्चे शिक्षा से भी वंचित किये जा रहे हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
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