भारत-कनाडा रिश्तों में रफ्तार
कड़वाहट भरे संबंधों के दौर से निकलकर अब भारत-कनाडा के रिश्तों ने गर्मजोशी के साथ नई रफ्तार पकड़ ली है। कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से बैठक कर संबंधों में नई जान फूंक दी है। भारत और कनाडा के संबंध पिछले कुछ महीनों से जस्टिन ट्रूडो शासन की छाया से निकलकर सुधर रहे हैं। भारत-कनाडा के संबंध तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के उन आरोपों के बाद चरमरा गए थे जिनमें वर्ष 2023 में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से जुड़े मामले से भारत का संबंध होने की संभावना जताई गई थी। पिछले साल अक्तूबर में भारत ने अपने उच्चायुक्त और पांच अन्य राजनयिकों को तब वापस बुला लिया था जब ओटावा ने उन्हें निज्जर मामले से जोड़ने की कोशिश की थी। भारत ने कनाडा के भी इतने ही राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था।
कनाडा खालिस्तानी तत्वों का गढ़ कैसे बना। इसके पीछे भी वोट बैंक की राजनीति एक बड़ा कारण बना। सिख समुदाय जो कनाडा की आबादी का 2 प्रतिशत से भी ज्यादा है और उनकी संख्या 8 लाख के लगभग है। जो राजनीतिक परिणामों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, खासकर टोरंटो और वैंकूवर जैसे इलाके में। ट्रूडो की सरकार को खालिस्तान समर्थक नेता जगमीत सिंह की पार्टी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन भी हासिल था। उनकी सरकार वैसाखी पर चल रही थी। यह जानते हुए भी ट्रूडो ने खालिस्तानियाें को शरण देना जारी रखा कि वे समग्र रूप से सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते। भारत के लगातार आग्रह के बावजूद ट्रूडो सरकार ने अपने कार्यकाल में खालिस्तानी तत्वों और गैंगस्टरों के गठजोड़ के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया। इसके परिणामस्वरूप खालिस्तानी तत्वों ने खुलेआम हिन्दुओं के मंदिरों पर हमले, भारतीय दूतावास के बाहर तिरंगे जलाने और हिन्दू समुदाय को धमकाने का सिलसिला शुरू कर दिया। हालात यहां तक पहुंच गए कि कनाडा में रहने वाले हिन्दू तो आतंकित हुए ही, साथ ही उदारवादी दृष्टिकोण रखने वाले कनाडा के सिखों में भी भय पैदा हो गया। अंततः ट्रूडो सरकार का पतन हो गया। उनकी जगह नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की सरकार के सत्ता में आने के बाद स्थितियों में बदलाव आया। खालिस्तानी तत्वों पर एक्शन शुरू किया गया। कुछ गैंगस्टर पकड़े गए।
अब कनाडा भारत से रिश्तों में सुधार की लगातार कवायद में लगा हुआ है। यह एक नया भारत है जो न केवल अपनी कूटनीति से मजबूत है बल्कि रणनीति से दुनिया को भी सबक सिखा रहा है। हाल ही में कनाडा के वित्त विभाग ने एक रिपोर्ट जारी कर यह स्वीकार किया कि खालिस्तानी हिंसक चरमपंथी समूह देश के भीतर से वित्तीय सहायता प्राप्त कर रहे हैं। जून 2025 में कनाडा की खुफिया एजैंसी ने पहली बार सार्वजनिक रूप से पुष्टि की कि खालिस्तानी तत्व भारत में हिंसक वारदातों की योजना बनाने, फंड जुटाने और उसे बढ़ावा देने के लिए कनाडा की धरती का इस्तेमाल कर रहे हैं। रिपोर्ट में बब्बर खालसा इंटरनेशनल और इंटरनेशनल सिख यूथ फैडरेशन जैसे समूहों का नाम लिया गया, जिन्हें कनाडा के आपराधिक कोड के तहत सूचीबद्ध आतंकवादी संगठन माना जाता है। पिछले महीने कनाडा ने भारत के खिलाफ लगातार जहर उगलने वाले और धमकियां देने वाले खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के बॉडीगार्ड इन्द्रजीत सिंह गोसाल और ड्रग्स सिंडिकेट से जुड़े भारतीय मूल के सिखों को भी गिरफ्तार किया। मार्क कार्नी सरकार ने सत्ता में आते ही दोनों देशों में उच्चायुक्तों को बहाल करने और व्यापार वार्ता शुरू करने पर सहमति जता दी थी। कनाडा ने खालिस्तानियों से मोहभंग होने के संकेत उस समय दिए जब कनाडा की फैडरल कोर्ट ने कम से कम 30 लोगों को कनाडा में शरण देने से इंकार कर दिया, जिनका संबंध खालिस्तानियों से था।
कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात कर भारत-कनाडा की साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए दोनों नेताओं ने आवश्यक तंत्रों को 'पुनर्स्थापित और पुनर्जीवित' करने पर चर्चा की। इसके साथ ही एक महत्वाकांक्षी सहयोग रोडमैप पर सहमति जताई। भारत-कनाडा की ओर से जारी किए गए संयुक्त बयान में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अनीता आनंद ने सहयोग करने, सूचना और विशेषज्ञता का आदान-प्रदान करने और विभिन्न क्षेत्रों में अपनी-अपनी जलवायु महत्वाकांक्षाओं का समर्थन करने पर सहमति जताई। इसके तहत नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता, भारी उद्योगों का कार्बन-मुक्तिकरण, प्लास्टिक प्रदूषण में कमी, रसायनों के सुदृढ़ प्रबंधन का समर्थन और सतत् उपभोग सुनिश्चित करना शामिल है। इसके अलावा दोनों देशों ने एआई और डिजिटल अवसंरचना सहित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में नए आयाम खोलने के लिए सहयोग बढ़ाने पर हामी भरी है। संयुक्त बयान में कहा गया है, "लोगों के बीच संबंध, आपसी समझ को बढ़ावा देने और दीर्घकालिक सहयोग के निर्माण के लिए दोनों पक्ष शिक्षा, पर्यटन, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और व्यावसायिक गतिशीलता में सहयोग को मजबूत करने पर सहमत हुए। उभरती प्रौद्योगिकियों (जैसे एआई, साइबर सुरक्षा और फिनटेक) में अनुसंधान साझेदारी पर जोर दिया जाएगा और विदेशी परिसरों के माध्यम से भारत में कनाडाई शैक्षणिक उपस्थिति का विस्तार किया जाएगा। इसमें कनाडा-भारत शैक्षणिक नेटवर्क और संस्थागत संबंधों को विस्तारित करने के लिए उच्च शिक्षा पर संयुक्त कार्य समूह को पुनर्जीवित करना भी शामिल है।"
कनाडा के प्रति अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सख्त रवैये के बाद कनाडा के रुख में काफी परिवर्तन आया है और उसने भारत के हितों की चिंता करनी शुरू की है। आज के विश्व में परस्पर सहयोग की बहुत जरूरत है। यही कारण है कि कनाडा का झुकाव भारत की तरफ हुआ है। कनाडा में भारतीय समुदाय वहां की संस्कृति और संविधान को आत्मसात कर प्रगति में अपना योगदान दे रहा है। इसलिए उनके हितों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उम्मीद है कि कनाडा अपनी जमीन का इस्तेमाल भारत विरोधी साजिशों के िलए नहीं होने देगा और संबंध फिर से सामान्य होकर पटरी पर दौड़ने लगेंगे।