Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

तेजी से बढ़ रही है भारत की अर्थव्यवस्था

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और डेलाॅइट जैसे शीर्ष वैश्विक वित्तीय संस्थानों ने बुधवार को भारत की विकास दर के अनुमानों की सराहना की

11:03 AM Oct 24, 2024 IST | Aakash Chopra

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और डेलाॅइट जैसे शीर्ष वैश्विक वित्तीय संस्थानों ने बुधवार को भारत की विकास दर के अनुमानों की सराहना की

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और डेलाॅइट जैसे शीर्ष वैश्विक वित्तीय संस्थानों ने बुधवार को भारत की विकास दर के अनुमानों की सराहना की। शीर्ष अर्थशास्त्रियों ने इस पर खुशी जताते हुए कहा है कि देश की जीडीपी वृद्धि में ग्रामीण खपत को मुख्य कारक के रूप में देखा जाना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने चालू वित्त वर्ष में भारत की विकास दर का अनुमान 7 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।

डेलॉइट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-2025 में भारत की वार्षिक जीडीपी वृद्धि दर 7 से 7.2 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है, जो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुमान के अनुरूप है। भारत में ग्रामीण परिवारों की औसत मासिक आय में पिछले पांच वर्षों में लगभग 58 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो कि ग्रामीण क्षेत्रों में त्यौहारी सीजन की बिक्री के आंकड़ों से साफ हुआ है। ग्रामीण भारत विकास की कहानी लिख रहा है। इस बार मानसून अच्छा रहने से बंपर फसल हुई है और भारतीय किसानों ने तकनीक और अपने ज्ञान के दम पर अन्न भंडारों को भर दिया है। सरकार के सामने यह चुनौती है ​िक पहले से भरे भंडारों को कैसे खाली करें और चावल के भंडारण की व्यवस्था कैसे हो। मिडिल ईस्ट में युद्ध की स्थि​ित और यूक्रेन-रूस युद्ध ने भारत के चावल निर्यात को प्रभावित ​िकया है और सरकार ने इसे हल करने के लिए रणनीतिक वार्ता शुरू की है। मौसम और अन्य चुनौतियां भी परेशानियां खड़ी कर रही हैं।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा जारी विश्व आर्थिक परिदृश्य के अनुसार वैश्विक आर्थिक संभावनाएं स्थिर हैं। आईएमएफ ने 2024 के लिए अपने वृद्धि संबंधी अनुमान को 3.2 फीसदी पर स्थिर रखा है। जुलाई अपडेट की तुलना में उसने 2025 के लिए अपने पूर्वानुमान को 10 आधार अंक कम करके 3.2 फीसदी किया है। 2024 और 2025 के लिए अमेरिका के वृद्धि अनुमानों में सुधार किया गया है जबकि यूरो क्षेत्र के अनुमान में कटौती की गई है। भारत का परिदृश्य जुलाई की तुलना में अपरिवर्तित है। आईएमएफ का अनुमान है कि चालू वर्ष और अगले वर्ष भारत क्रमश: 7 फीसदी और 6.5 फीसदी की दर से वृद्धि करेगा। चीन के वृद्धि अनुमान में 2024 के लिए 20 आधार अंक की कटौती की गई है। मानक अनुमान के अलावा विश्व आर्थिक परिदृश्य नीतिगत धुरी और खतरों के बारे में बात करता है जिनकी चर्चा करना उपयोगी है। फिलहाल तो शायद सबसे बड़ा जोखिम है पश्चिम एशिया में बढ़ता तनाव जो आपूर्ति शृंखलाओं को बाधित कर सकता है और जिंस कीमतों में इजाफे की वजह बन सकता है। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है और देश की वृहद आर्थिक बुनियाद अच्छी है।

आईएमएफ में एशिया प्रशांत विभाग के निदेशक कृष्णा श्रीनिवासन ने कहा, ‘‘भारत, दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है। हम वित्त वर्ष 2024-25 में सात प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाते हैं, जिसे ग्रामीण खपत में सुधार से समर्थन मिलेगा क्योंकि फसलें अनुकूल रही हैं। खाद्य कीमतों के सामान्य होने से कुछ उतार-चढ़ाव के बावजूद वित्त वर्ष 2024-25 में मुद्रास्फीति घटकर 4.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।’’

अन्य बुनियादी बातों के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘चुनाव के बावजूद राजकोषीय समेकन पटरी पर है। ‘रिजर्व’ की स्थिति काफी अच्छी है। भारत के लिए सामान्य तौर पर वृहद बुनियादी बातें अच्छी हैं।’’कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़े बताते हैं कि खरीफ के बुआई रकबे में 1.5 फीसदी का इजाफा हुआ है और अब तक किसानों ने 11.05 करोड़ हेक्टेयर रकबे में बुआई की है। मजबूत प्रदर्शन के बाद दक्षिण-पश्चिम मॉनसून धीरे-धीरे पीछे हट रहा है और इसकी शुरुआत पश्चिमी राजस्थान और गुजरात के कच्छ क्षेत्र से हुई है। वर्ष 2023 में वर्षा के सामान्य से 5.6 फीसदी कम रहने के बाद इस वर्ष बारिश औसत से पांच फीसदी अधिक रही है।

यद्यपि मॉनसून का वितरण दिलचस्प तस्वीर पेश करता है। पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से कम मॉनसूनी बारिश हुई। इसके विपरीत पश्चिमोत्तर, मध्य और दक्षिणी प्रायद्वीपीय हिस्सों में सामान्य से बेहतर बारिश हुई। आश्चर्य की बात है कि राजस्थान, गुजरात और लद्दाख जैसे अर्द्धशुष्क इलाकों में सामान्य या सामान्य से अच्छी बारिश हुई। पहले से अधिक सिंचाई सुविधाओं और रकबों के बावजूद दक्षिण पश्चिम मॉनसून की बारिश देश में खेती के लिए अहम है। इस संदर्भ में भारी वर्षा खरीफ और रबी दोनों ही मौसमों के कृषि उत्पादन के लिए बेहतर है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी हालिया आंकड़े बताते हैं कि खरीफ के बुआई रकबे में 1.5 फीसदी का इजाफा हुआ है और अब तक किसानों ने 11.05 करोड़ हेक्टेयर रकबे में बुआई की है।

पिछले साल यह आंकड़ा 10.88 करोड़ हेक्टेयर था। धान, दालें, तिलहन, मोटा अनाज और गन्ना, इन सभी का रकबा बढ़ा है। सालाना बारिश और कृषि के सकल मूल्यवर्द्धन में संबंध को देखते हुए अच्छी बारिश होने से रबी की फसल के लिए भी संभावनाएं बेहतर होती हैं। वृहद आर्थिक स्तर पर देखें तो पर्याप्त बारिश से आर्थिक वृद्धि को मदद मिलती है और मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहती है। सरकार ने हाल ही में उच्च उत्पादकता की उम्मीद में कुछ खाद्य पदार्थों के निर्यात पर से रोक हटा दी है।

Advertisement
Advertisement
Next Article