भारत को मिला दुनिया का साथ
भारत ने जल, थल और नभ में पाकिस्तान की नाकाबंदी कर दी है। अब केवल इंतकाम…
भारत ने जल, थल और नभ में पाकिस्तान की नाकाबंदी कर दी है। अब केवल इंतकाम की बारी है। पहलगाम हमले की अब तक की एनआईए जांच से यह साबित हो चुका है कि हमले की पूरी साजिश पाकिस्तान में रची गई और जम्मू-कश्मीर में छद्म नाम से चल रहे संगठनों ने स्थानीय ओवर ग्राउंड वर्कर्स का समर्थन हासिल कर बर्बर हमले को अंजाम दिया। केन्द्र की मोदी सरकार ने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर नग्न करने और उसके खिलाफ जनमत तैयार करने के लिए जी-20 देशों को पूरे घटनाक्रम से अवगत करा दिया। भारत को व्यापक समर्थन भी मिल रहा है। अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से फोन पर बातचीत की। यद्यपि उन्होंने भारत-पाक दोनों देशों को तनाव घटाने की अपील की लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में अमेरिकी सरकार का मजबूत समर्थन भारत को मिला। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिकी रक्षामंत्री पीट हेगसेथ से बातचीत की। बातचीत के दौरान हेगसेथ ने कहा कि अमेरिका भारत के साथ एकजुटता से खड़ा है और भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करता है।
पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की हत्या हुई थी और हमले के समय अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस अपने परिवार के साथ भारत में ही मौजूद थे। आतंकी वारदात के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बात कर पूर्ण समर्थन का भरोसा दिया था। अमेरिका के अलावा इजराइल, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस समेत कई देशों ने भारत के साथ एकजुटता दिखाई। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह आैर हेगसेथ की बातचीत के दौरान भारत-अमेरिका सैन्य संबंधों पर बड़ा फैसला किया गया। इसके तहत अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की प्रमुख एजैंसी डीएससीए भारत को 131 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के सैन्य हार्डवेयर और रसद देगा।
पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के तीन बेहद नजदीकी सहयोगी रहे सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और अफगानिस्तान के तालिबान की और से मिला समर्थन आतंकवादियों के खिलाफ भारत का मामला बनाने के लिहाज से महत्वपूर्ण साबित होगा। इन तीनों देशों ने ही इस बार बहुत कठोर भाषा का प्रयोग किया है। हमले के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जेद्दा में थे। प्रधानमंत्री अपनी यात्रा सीमित कर दिल्ली लौट आए थे। भारत आैर सऊदी अरब में 2010 में रणनीतिक साझेदारी का समझौता हुआ था। साल 2012 में सऊदी अधिकारियों ने सईद जबीउद्दीन अंसारी उर्फ अबू जुंदाल की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने में भारत की मदद की, जो 26/11 हमलों का लश्कर-ए-तैयबा का भारतीय सह-साजिशकर्ता था और जिस पर उक्त हमलों के लिए मुकदमा चलाया जा रहा था। इस मदद ने आपसी रिश्तों में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला दिया, क्योंकि सऊदी साम्राज्य का इतिहास पाकिस्तान और अन्य देशों के मदरसों में इस्लामी चरमपंथी समूहों को वित्तपोषित करने का रहा है। तकनीकी सहयोग और 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सऊदी निवेश के वादे के साथ रिश्ते अब पूरी तरह से बदल गए हैं।
संयुक्त अरब अमीरात जो हमेशा पाकिस्तान के साथ खड़ा दिखाई देता था वह अब भारत के साथ खड़ा है। पहलगाम हत्याकांड के बाद तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मुत्तकी ने हमले की स्पष्ट निंदा की जो कि पाकिस्तानी एजैंसियों और आतंकवादी समूहों के साथ मिलकर अफगानिस्तान में भारतीय हितों को निशाना बनाने के तालिबान के अतीत से बिल्कुल हटकर है। पाकिस्तान ने तालिबान को जमकर पाला-पोसा है लेकिन आज वही तालिबान उसे आंखें दिखा रहा है। तहरीफ-ए-तालिबान पाकिस्तान अब उसके लिए सिरदर्द बन चुका है। भारत को जनमत तैयार करने में कूटनीतिक सफलता मिल चुकी है। भारत ने पूरी दुनिया को मुम्बई के भीषण हमले, संसद पर हुए हमले तथा पुलवामा से लेकर उरी तक आतंकवादी घटनाओं में पाक की संलिप्तता के सबूत बार-बार दिए लेकिन अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने इसे अनदेखा ही किया। अमेरिका की पूर्व की सरकारों ने चाहे वह बुश प्रशासन हो या क्लिंटन या फिर रीगन सबने पाकिस्तान पर डॉलरों की बरसात कर रखी थी। अमेरिका को होश तब आया जब अफगानिस्तान में उसकी फौजों को करारी शिकस्त मिली। अब पूरा वैश्विक परिदृश्य बदल चुका है। पुलवामा हमले की धमकी, िसंधु नदी को भारतीयों के खून से भरने तथा कश्मीर मुद्दे के अन्तर्राष्ट्रीयकरण जैसे अनाप-शनाप बयानों से स्पष्ट है कि पाकिस्तान की मानसिकता क्या है?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह ने बार-बार यह ऐलान किया है कि हमले के दोषियों को चुन-चुन कर मारा जाएगा। मोदी सरकार ने सुरक्षा बलों को जवाबी कार्रवाई की खुली छूट दे दी है। इससे स्पष्ट है कि पाकिस्तान के िखलाफ कोई बड़ी कार्रवाई जरूर होगी। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पाकिस्तान को कड़ा सबक सिखाया ही जाना चाहिए। मगर इसका तरीका क्या हो यह जटिल विषय है। भारत का एक निर्णायक प्रहार पाकिस्तान को टुकड़ों-टुकड़ों में बांट सकता है। भारत के लिए रणनीतिक चोट करने का अनुकूल समय है। देशवासियों को प्रधानमंत्री और गृहमंत्री पर पूरा भरोसा है और देश पाकिस्तान से इन्तकाम का इंतजार कर रहा है।