भारत-इंडोनेशिया मजबूत संबंध
इंडोनेशिया दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम देश है लेकिन यहां के लोगों…
इंडोनेशिया दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम देश है, लेकिन यहां के लोगों की जीवन शैली पर हिन्दू संस्कृति का बहुत अधिक प्रभाव है। इंडोनेशिया के उत्सवों और झांकियों में रामायण और महाभारत के पात्र नजर आते हैं। भारत और इंडोनेशिया के रिश्ते हजारों वर्ष पुराने हैं। भारत के सौदागर और नाविक इंडोनेशिया की यात्राएं करते रहे हैं। यही कारण है कि दोनों देशों के बीच बहुत अधिक सांस्कृतिक समानताएं देखने को मिलती हैं। इंडोनेिशया के बाली द्वीप में बहुत अधिक संख्या में हिन्दू रहते हैं। जावा द्वीप पर हिन्दू मंदिर और बोरोबोहूर में दुनिया का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप स्थित है। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। जब भारत ने अपना पहला गणतंत्र दिवस मनाया था, तब इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो पहले मुख्य अतिथि थे। वर्ष 2011 में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुसीलो बामबंग गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे। राष्ट्रपति सुबियांतो और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने के लिए वार्ता हुई। वार्ता के बाद समुद्री सुरक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति और डििजटल क्षेत्रों में सहयोग के लिए पांच समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। दोनों देशों ने रक्षा क्षेत्र में साझेदारी को और गहरा करने का फैसला लिया। इंडोनेशिया भारत ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें खरीदने की इच्छा रखता है। इस पर भी बातचीत हुई और दोनों देशों ने अंतरिक्ष में सहयोग बढ़ाने का भी फैसला लिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2014 में सत्ता में आने के बाद विदेश नीति में बदलाव का दौर देखा गया और उनकी सरकार “लुक ईस्ट पाॅलिसी” से “एक्ट ईस्ट पाॅलिसी” में बदल गई। दिक्षण एशिया में पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को सुधारने, विस्तारित पड़ोसी और प्रमुख वैश्विक शाक्तियों को शामिल करने जैसी कोशिशें इस नीति का प्रमुख हिस्सा रही हैं।
एक्ट ईस्ट पॉलिसी आसियान देशों के आर्थिक एकीकरण और पूर्वी एशियाई देशों के साथ सुरक्षा सहयोग पर केंद्रित है। भारत के प्रधानमंत्री की तरफ से एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत 4सी पर फोकस रखा गया। इनमें कल्चर, कॉमर्स, कनेक्टिविटी, कैपसिटी बिल्डिंग हैं। सुरक्षा भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ का एक महत्वपूर्ण आयाम है। दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में बढ़ते चीनी हस्तक्षेप के संदर्भ में भारत द्वारा नौपरिवहन की स्वतंत्रता हासिल करना और हिंद महासागर में अपनी भूमिका स्पष्ट करना ‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी की एक प्रमुख विशेषता है। भारत ‘क्वाॅड’ नामक भारत-प्रशांत क्षेत्र आधारित अनाैपचारिक समूह के माध्यम से भी ऐसे प्रयास कर रहा है।
भारत और इंडोनेशिया के बीच आर्थिक सहयोग पूरे आसियान क्षेत्र में सबसे ज़्यादा है। 2023-24 में दोनों देशों के बीच 29.40 बिलियन अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ। भारत ने इंडोनेशिया में 1.56 बिलियन डॉलर का निवेश कर रखा है, ख़ासतौर पर इंफ्रा, ऊर्जा, टैक्सटाइल, स्टील, ऑटोमोटिव, माइनिंग, बैंकिंग और कंज्युमर गुड्स के क्षेत्र में यह निवेश किए गए हैं। इसके अलावा भारत और इंडोनेशिया के रक्षा सहयोगों को बढ़ावा देने के लिए साल 2018 में रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। 2006 में इंडोनेशिया में जावा द्वीप पर बड़े पैमाने पर भूकंप आये, भारत ने बिना क्षण गंवाए आपदा के समय में कोई कमी नहीं छोड़ी और एनडीआरएफ कर्मियों की टीम को रवाना कर दिया। एनडीआरएफ की टीम प्रभावित क्षेत्रों में खोज आैर बचाव कार्यों के साथ-साथ प्रभावित लोगों को मानवीय सहायता भी प्रदान करने के लिए तैनात नजर आए।
इंडोनेशिया में करीब 1 लाख 20 हजार भारतीय रहते हैं जिनमें 14000 के लगभग एनआरआई उद्यमी, इंजीनियर्स, चार्टड अकाऊंटैंट, आईटी पेशेवर और बैंकर्स शामिल हैं। भारत और इंडोनेशिया के विचार कई मुद्दों पर एक समान हैं। दोनों देश हिन्द प्रशांत क्षेत्र में अमन शांति बनाए रखने, सभी को समान अवसर देने और वैश्विक कानूनों का पालन करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। हिन्द प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती दादागिरी से परेशान हैं। इंडोनेशिया समुद्री सहयोग को मजबूत करने के लिए काफी रुचि ले रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने इंडोनेशिया के हिन्दू मंदिर के जीर्णोद्वार की पेशकश भी की है।
इंडोनेशिया की आजादी की लड़ाई में भारत की बड़ी भूमिका रही है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू के कहने पर स्वतंत्रता सेनानी और साहसी पायलट बीजू पटनायक ने 1948 में ओल्ड डोकोटा एयरक्राफ्ट जकार्ता गए और उसी विमान से सुकर्णो और सुल्तान शहरयार को लेकर दिल्ली आए। इसके बाद डा. सुकर्णो इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति बने। बीजू पटनायक बाद में ओड़िसा के मुख्यमंत्री भी रहे। 1945 से 1949 के बीच इंडोनेशिया में चले स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारत और मिस्र ने न सिर्फ उसे सबसे पहले आजाद देश के रूप में मान्यता दी बल्कि राजनयिक संबंध भी स्थापित कर लिए थे। अप्रैल 1961 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति सुकर्णो सहित चार राष्ट्राध्यक्षों के साथ मिलकर गुट निरपेक्ष आंदोलन की स्थापना की थी। कई इतिहासकार मानते हैं कि इंडोनेशिया का नाम भारत से प्रेरित है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार, रक्षा सुरक्षा संबंधों का विस्तार करने के बहुत सारे अवसर मौजूद हैं। उम्मीद है दोनों देशों के संबंध और ऊंचाइयों को छूएंगे।