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कश्मीर पर फैसले के लिए जमीनी कार्य पिछली मोदी सरकार में शुरू किए गए : राजनाथ

01:44 PM Aug 08, 2019 IST
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि अनुच्छेद 370 को समाप्त करने और जम्मू-कश्मीर को विभाजित करने के निर्णयों से लोगों के साथ 70 वर्षों से हो रहा भेदभाव खत्म हो गया है और इसकी जमीन सरकार के पहले कार्यकाल में तैयार कर ली गयी थी। 
श्री सिंह ने आज यहां रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान (आईडीएसए) की वार्षिक आम सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में इस मुद्दे के स्थायी समाधान के लिए जमीन तैयार की गयी थी और दूसरी बार सत्ता में आने के बाद उस दिशा में कदम उठाया गया है। 
बाद में अपने भाषण के सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए उन्होंने कहा,‘‘ हमारी सरकार ने इस देश के सुरक्षा तंत्र को न केवल बहुआयामी बनाया है बल्कि किसी भी सुरक्षा चुनौती से निपटने का हमारा तरीका भी बेहद डायनामिक है। हमारी सरकार ने संकल्प लिया था कि दशकों से चली आ रही इस कश्मीर समस्या का कोई ’स्थायी समाधान’ करने की जरूरत है।’’ 
उन्होंने कहा कि सरकार ने न केवल अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया बल्कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाकर सत्तर सालों से वहां की अवाम के साथ हो रही भेदभाव की राजनीति को खत्म कर दिया है। 
उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक निर्णय के दूरगामी परिणाम होने वाले हैं। यह हमारे कुछ पड़सियों को रास नहीं आया है। उनके द्वारा इस बात की कोशिश की जा रही है कि कैसे भारत में और खासतौर पर जम्मू कश्मीर में माहौल को बिगाड़ जाये। उन्होंने कहा कि इस तरह की स्थिति में पहली परीक्षा सुरक्षा तंत्र की होती है और सेना तथा अन्य सुरक्षाबलों ने इस परीक्षा को बड़ी और कड़ी चुनौती के रूप में स्वीकार किया है और तमाम आशंकाओं के बावजूद उन्होंने माहौल को बिगड़ने नहीं दिया है। 
रक्षा मंत्री ने कहा कि संवाद और सहयोग देश की रक्षा और सुरक्षा से जुड़ एक बड़ पक्ष है इसे देखते हुए सरकार ने पड़सी पहले की नीति शुरू की। उन्होंने कहा कि दोबारा सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द, मोदी सबसे पहले जल सीमा से जुड़ पडोसी देश मालदीव गये। रक्षा मंत्री के तौर पर वह भी मोजाम्बिक गये। 
हिंद महासागर का पूरा इलाका देश के सामरिक हितों के मद्देनजर बेहद महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र के सभी पड़सी भारत के साथ बेहतर और गहरे संबंध बनाने को उत्सुक है। जल सीमा से लगे पड़ोसियों के साथ सहयोग बढ़ने पर हमारा पूरा जोर रहेगा। पाकिस्तान का नाम लिये बिना उन्होंने कहा, ‘‘ आप दोस्त बदल सकते है मगर पड़सी का चुनाव आप के हाथ नहीं होता और जैसा पड़सी हमारे बगल बैठा है वैसा पड़सी तो उपर वाला किसी को न दे’’ 
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