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सुषमा के प्रयासों से ही संभव हो सकी थी इराक में IS के कब्जे से नर्सों की सुरक्षित रिहाई

05:20 PM Aug 07, 2019 IST
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तिरुवनंतपुरम : पांच साल पहले इराक में आतंकवादी संगठन आईएस के कब्जे से मुक्त होकर केरल की कुछ नर्सों का एक समूह जब केरल पहुंचा तो उनके दिल में संतोष था और एक महिला के प्रति असीम सम्मान था और वह महिला थीं तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज। 
सुषमा ने नर्सों को आईएसआईएस के कब्जे से मुक्त कराने के लिए समय पर कदम उठाया और यह उनके प्रयासों का ही नतीजा था कि 46 भारतीय नर्सों की सुरक्षित रिहाई संभव हो सकी। इस दौरान न सिर्फ नर्सों को बल्कि संघर्षग्रस्त क्षेत्र में फंसे बड़ी संख्या में केरल के लोगों को वहां से निकाल कर विशेष विमान के जरिए जुलाई 2014 में स्वदेश लाया गया था। 
उस वक्त कृतज्ञ नर्सों ने ही नहीं केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के नेता ओमन चांडी ने भी घोर राजनीतिक मतभेद के बावजूद सुषमा की जमकर प्रशंसा की थी। 
चांडी ने उस वक्त को याद करते हुए मंगलवार को कहा कि नर्सों की सुरक्षित रिहाई के लिए स्वराज ने आगे जा कर काम किया। नयी दिल्ली में मौजूद चांडी ने पूर्व विदेश मंत्री को श्रद्धांजलि अर्पित की। स्वराज का दिल का दौरा पड़ने से मंगलवार रात निधन हो गया था। 
चांडी ने कहा,‘‘मैंने उन्हें यह बताने के लिए आधी रात को फोन किया कि वहां फंसी नर्सों को लाने के लिए एयर इंडिया का जो विमान गया था वह इराक में उतर नहीं सका है। इस पर उन्होंने कहा कि चिंता करने की कोई बात नहीं है और पूरा काम योजना के मुताबिक ही होगा।’’ 
चांडी ने कहा,‘‘वहां हवाई अड्डे पर विमान के लैंड करने की अनुमति हासिल करने के बाद वादे के मुताबिक उन्होंने 15 मिनट के भीतर मुझे फोन किया।’’ उन्होंने बताया कि समय पर विदेश मंत्री के प्रयासों ने नर्सों की सुरक्षित रिहाई संभव कराई। 
इराक से बचाई गईं नर्सों में शामिल रहीं मेरीना ने कहा कि सुषमा स्वराज के निधन की खबर किसी सदमे के समान है। 
कोट्टायम के पाला में मरीन मेडिकल सेंटर में नर्स के तौर पर काम करने वालीं मेरीना ने कहा,‘‘हमने सुषमा जी की गर्मजोशी और लगाव को महसूस किया। उन्होंने विदेश में किसी भी प्रकार की मदद चाहने वालों का धर्म और राजनीति के बारे में कभी विचार नहीं किया।’’ पूर्व विदेश मंत्री बुधवार को पंचतत्व में विलीन हो गईं। 
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