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भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा : भारत, अमेरिका , 6 अन्य देशों ने समझौता ज्ञापन पर किए हस्ताक्षर

03:02 AM Sep 10, 2023 IST
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भारत ने 9 सितंबर को जी20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन की मेजबानी की। जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। और इसी दौरान कई अहम समझौते हुए। 
चीन को मात देने के लिए भारत ने एमओयू पर किये हस्ताक्षर
वही, चीन को मात देने के लिए भारत ने एमओयू पर हस्ताक्षर किये। आपको बता दे कि चीन की बीआरआई परियोजना का मुकाबला करने के लिए भारत ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा स्थापित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

भारत, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे की स्थापना के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने की उम्मीद
बता दे इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जियो मेलोनी व अन्य नेता मौजूद रहे।
सूत्रों की मानें तो, गलियारा एशिया, पश्चिम एशिया, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच बढ़ी हुई कनेक्टिविटी और आर्थिक एकीकरण के माध्यम से आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने की उम्मीद है। बता दे कि भारत और अमेरिका ने इस आर्थिक गलियारे की घोषणा की, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनेक्टिविटी पहल को बढ़ावा देते हुए सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर जोर दिया।
भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे में दो अलग-अलग गलियारे होंगे
आपको बता दे कि भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे में दो अलग-अलग गलियारे होंगे, पूर्वी गलियारा भारत को पश्चिम एशिया/मध्य पूर्व से जोड़ेगा और उत्तरी गलियारा पश्चिम एशिया/मध्य पूर्व को यूरोप से जोड़ेगा।
साथ ही नए आर्थिक गलियारे में भारत, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरत, सऊदी अरब, इटली और यूरोपीय संघ शामिल हैं। नए आर्थिक गलियारे के कारण एशिया, पश्चिम एशिया, मध्यपूर्व और यूरोप के बीच रिश्ते और मजबूत होंगे।
यह पूरे विश्व को कनेक्टिविटी और विकास के लिए एक स्थायी दिशा प्रदान करेगा। हमने ग्लोबल साउथ के कई देशों में एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में ऊर्जा, रेलवे, जल, प्रौद्योगिकी पार्क जैसे क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को लागू किया है। इन प्रयासों में हमने मांग आधारित और पारदर्शी दृष्टिकोण पर विशेष जोर दिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने बताया ऐतिहासिक समझौता
वही ,अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि उन्हें यह घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि उन्होंने नए भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे के लिए एक “ऐतिहासिक समझौते” को अंतिम रूप दे दिया है। अगले दशक में भागीदार देश निम्न मध्यम आय वाले देशों में बुनियादी ढांचे की कमी को दूर करेंगे। वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर यही जी-20 सम्मेलन का फोकस है और कई मायनों में यह इस साझेदारी का फोकस भी है जिसके बारे में हम बात कर रहे हैं। 
एक गेम-चेंजिंग निवेश है – अमेरिकी राष्ट्रपति
साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति कहा कि अमेरिका हिंद महासागर की तरफ अंगोला से एक नई रेल लाइन में निवेश करेगा। इससे नौकरियां पैदा होंगी और खाद्य सुरक्षा बढ़ेगी। यह एक गेम-चेंजिंग निवेश है। इससे व्यापार करना बहुत आसान हो जाएगा. मैं प्रायोजकों और विशेष रूप से प्रधानमंत्री मोदी और (सऊदी क्राउन प्रिंस) मोहम्मद बिन सलमान का आभारी हूं।
वहीं, यूरोपियन कमीशन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेन ने कहा कि अर्थव्यवस्थाओं के इंफ्रास्ट्रक्चर में इन्वेस्टमेंट मध्यम आय वाले देशों की जरूरत है। आर्थिक कॉरिडोर ऐतिहासिक है। इससे भारत और यूरोप के बीच व्यापार में 40 प्रतिशत की तेजी आएगी।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि यह पहले वैश्विक हरित व्यापार मार्ग से संबंधित है क्योंकि हाइड्रोजन भी इस परियोजना का हिस्सा है। 
भारत को अरब की खाड़ी से , अरब की खाड़ी को यूरोप से जोड़ेगा – अमेरिकी विदेश विभाग
आपको बता दे कि अमेरिकी विदेश विभाग के अधिकारियों के अनुसार , आईएमईसी में दो अलग-अलग गलियारे शामिल होंगे। पूर्वी गलियारा भारत को अरब की खाड़ी से जोड़ता है और उत्तरी गलियारा अरब की खाड़ी को यूरोप से जोड़ता है। इसमें एक रेलवे शामिल होगा, जो पूरा होने पर, मौजूदा समुद्री और सड़क परिवहन मार्गों के पूरक के लिए एक विश्वसनीय और लागत प्रभावी सीमा-पार जहाज-से-रेल नेटवर्क तैयार करेगा – जो वस्तुओं और सेवाओं के भारत से संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन, इज़राइल और यूरोप और इन देशों के बीच पारगमन की सुविधा प्रदान करेगा।
अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार , रेल मार्ग के साथ-साथ, प्रतिभागियों का इरादा बिजली और डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए केबल बिछाने के साथ-साथ स्वच्छ हाइड्रोजन निर्यात के लिए पाइपलाइन बिछाने का है। यह गलियारा क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित करेगा, व्यापार पहुंच बढ़एगा, व्यापार सुविधा में सुधार करेगा और पर्यावरणीय, सामाजिक और सरकारी प्रभावों पर बढ़ते जोर का समर्थन करेगा।
लागत कम करेगा, आर्थिक एकता बढ़एगा, नौकरियां पैदा करेगा और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करेगा
पक्षकारों का इरादा है कि गलियारा दक्षता बढ़एगा, लागत कम करेगा, आर्थिक एकता बढ़एगा, नौकरियां पैदा करेगा और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करेगा – जिसके परिणामस्वरूप एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व का परिवर्तनकारी एकीकरण होगा।
इस पहल के समर्थन में, प्रतिभागी इन नए पारगमन 2 मार्गों के सभी तत्वों को व्यवस्थित और कार्यान्वित करने तथा तकनीकी, डिजाइन, वित्तपोषण, कानूनी और प्रासंगिक नियामक मानकों की पूरी श्रृंखला को तैयार करने के वास्ते समन्वय संस्थाओं की स्थापना करने के लिए सामूहिक रूप से और तेजी से काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
एक बयान में कहा गया कि आज का समझौता ज्ञापन प्रारंभिक परामर्श का परिणाम है। यह प्रतिभागियों की राजनीतिक प्रतिबद्धताओं को निर्धारित करता है और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अधिकार या दायित्व नहीं बनाता है। प्रतिभागी प्रासंगिक समय सारिणी के साथ एक कार्य योजना विकसित करने और उस पर प्रतिबद्ध होने के लिए अगले साठ दिनों के भीतर मिलने का इरादा रखते हैं।

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