गौतमबुद्ध नगर किसानों के लिए CM योगी ने लिया खास फैसला, अब सुनी जाएंगी सभी मांगे
गौतमबुद्ध नगर: उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण और ग्रेटर नोएडा के तहत किसानों से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए एक उच्च स्तरीय तीन सदस्यीय समिति का गठन किया। कमेटी किसानों से बातचीत कर तीन महीने के अंदर सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी। समिति का लक्ष्य जिले में किसानों की लंबे समय से चली आ रही शिकायतों का व्यापक और संतोषजनक समाधान प्रदान करना है, जिसके कारण समय-समय पर विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं।
- UP सरकार ने एक उच्च स्तरीय तीन सदस्यीय समिति का गठन किया
- यह समिति किसानों के मुद्दे को हल करने के लिए बनाई गयी है
- कमेटी किसानों से बातचीत कर तीन महीने के अंदर सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी
- समिति का लक्ष्य किसानों शिकायतों का समाधान प्रदान करना है
जमीन के लिए बढ़े हुए मुआवजे की मांग कर रहे किसान
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में किसान लंबे समय से विकसित भूखंडों और अतीत में अधिग्रहीत अपनी जमीन के लिए बढ़े हुए मुआवजे की मांग कर रहे हैं और बाद में इसे लेकर विरोध भी करते रहते हैं। 8 फरवरी को भी, किसानों ने अपना विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया और मुआवजे में बढ़ोतरी सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर दिल्ली-नोएडा चिल्ला सीमा से राष्ट्रीय राजधानी में संसद की ओर मार्च किया। संयुक्त किसान मोर्चा और अखिल भारतीय किसान सभा के बैनर तले, किसान 10 प्रतिशत आवासीय भूमि की मांग को लेकर नोएडा सेक्टर 24 में एनटीसीपी कार्यालय और ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के कार्यालय के बाहर एकत्र हुए। किसानों की मांग है कि विकास परियोजनाओं के लिए उनसे ली गई जमीन के बदले में उन्हें 10 फीसदी आवासीय भूखंड या उसके बराबर मुआवजा दिया जाए। इससे पहले दिसंबर 2023 में किसानों ने नोएडा प्राधिकरण कार्यालय पर एक महापंचायत की थी।
साल 2019 से चल रहा विरोध
किसान 1997 से लगातार अधिग्रहीत भूमि के लिए 10 प्रतिशत आबादी भूखंड या समकक्ष मुआवजे की मांग कर रहे हैं। उनका चल रहा विरोध 2019 से शुरू हुआ और 2020-21 में उन्होंने प्राधिकरण कार्यालय पर लंबे समय तक धरना दिया। नतीजतन, जनवरी 2021 में प्राधिकरण ने किसानों की मांगों के अनुरूप सरकार को एक पत्र भेजा। मार्च और अक्टूबर 2022 और मार्च 2023 में रिमाइंडर भेजे गए थे। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने दिसंबर 2023 में विकसित भूमि पर किसानों के लिए 10 प्रतिशत आवासीय भूखंडों को मंजूरी दी थी। अधिकारियों ने तब कहा था कि वे आगे राज्य सरकार की मंजूरी लेंगे।
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