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Indian Army : देश में पर्यावरण संरक्षण लोगों के बीच सबसे बड़ा मुद्दा है। हरित और सतत विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए इंडियन आर्मी और इंडियन ऑयल काॅरपोरेशन लिमिटेड ने मिलकर हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस टेक्नोलाॅजी का ट्रायल किया। स्वच्छ ईंधन से वाहनों को चलाने के लिए निर्माताओं की ओर से लगातार कोशिश की जा रही हैं। इस मुहिम में अब भारतीय सेना भी शामिल हो गई है।
Highlight :
भारतीय सेना अब हाइड्रोजन से चलने वाली बस का उपयोग करेगी। भारतीय सेना को इंडियन ऑयल की ओर से एक बस को सौंपा गया है। इस दौरान सेना प्रमुख मनोज पांडे और इंडियन ऑयल के चेयरमैन श्रीकांत माधव भी मौजूद रहे। दोनों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। जिसके बाद इस बस को सेना को सौंप दिया गया।
In a significant stride, a Memorandum of Understanding (MoU) was signed between #IndianArmy & Indian Oil Corporation Limited #IOCL in presence of General Manoj Pande #COAS and Mr Shrikant Madhav Vaidya, Chairman of Indian Oil, during an event in New Delhi.
Displaying a firm… pic.twitter.com/I18RBvbd6p
— ADG PI - INDIAN ARMY (@adgpi) May 27, 2024
भारतीय सेना को इंडियन ऑयल की ओर से जिस हाइड्रोजन बस को दिया गया है, उनमें 37 लोगों के बैठने की क्षमता है। इसके टैंक को एक बार में 30 किलोग्राम हाइड्रोजन से भरा जा सकता है। जिसके बाद बस को करीब 250 से 300 किलोमीटर तक चलाया जा सकता है।
इस तकनीक के तहत इलेक्ट्रो-केमिकल प्रक्रिया के जरिये हाइड्रोजन गैस को बिजली में बदला जाता है। प्रक्रिया में सिर्फ पानी ओस की तरह निकलता है और इससे कार्बन उत्सर्जन नहीं होता है। देश में लंबी दूरी के मार्गों पर चलने वाली एक डीजल बस आमतौर पर सालाना 100 टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करती है और भारत में लाखों बस हैं। ऐसे में हाइड्रोजन ईंधन सेल वाली बसें डीजल बस द्वारा होने वाले इस कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन पर लगाम लगाने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय की ओर से लगातार वाहनों में नई तकनीक पर काम किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी हाइड्रोजन से चलने वाली कार का उपयोग करते हैं। इसके अलावा टाटा, रिलायंस जैसी कंपनियां भी हाइड्रोजन से चलने वाली बसों पर काम कर रही हैं।