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Jeev Daya Sansthan: 'जियो और जीने दो' सन्देश को चरितार्थ कर 'जीव दया संस्थान' ने 650 बकरों की बचाई जान

04:19 PM Jun 16, 2024 IST
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Jeev Daya Sansthan: उत्तर प्रदेश में जैन संतों की प्रेरणा से बागपत के अमीनगर सराय में जीव दया संस्थान ने ऐसे 650 बकरों का 'बकराशाला' में संरक्षण किया हुआ है जिन्हें कुर्बानी के लिए बाजार में बेचा जाना था।

Highlights

'Jeev Daya Sansthan' ने 650 बकरों की बचाई जान

दुनिया में एक कहावत चली आ रही है कि बकरा कभी अपनी मौत नहीं मरता यानि उसकी कुर्बानी देकर उसे समय से पहले ही इस दुनिया से रुखसत कर दिया जाता है। इस कहावत और परम्परा को झुठलाते हुए उत्तर प्रदेश में जैन संतों की प्रेरणा से बागपत के अमीनगर सराय में जीव दया संस्थान(Jeev Daya Sansthan) ने ऐसे 650 बकरों का 'बकराशाला' में संरक्षण किया हुआ है जिन्हें कुर्बानी के लिए बाजार में बेचा जाना था। भगवान महावीर के सन्देश 'जियो और जीने दो' से प्रेरणा लेकर इस संस्थान के पदाधिकारियों ने पिछले 3 दिनों में जगह-जगह से 150 बकरों जिनकी कीमत लगभग 45 लाख रुपये थी, खरीदकर बकराशाला में दान दिया।

क्या है 'जीव दया संस्थान'?

दरअसल, अमीनगर सराय कस्बे में जैन समाज के लोगों द्वारा जीव दया संस्थान(Jeev Daya Sansthan) की 2016 में स्थापना की थी। इस समय यहां पर 45 के बकरे ही लाकर रखे गए थे। इस संस्थान को खोलने का उद्देश्य बेजुबान जीवों की रक्षा करना था। खासतौर पर बकरीद पर कुर्बानी दिए जाने वाले बकरों को बचाना। बकरीद से 3 दिन पहले तक जिन 150 बकरों को जगह-जगह कुर्बानी के लिए बिक्री को रखा गया था, उन्हें महंगे दामों में खरीदकर न केवल इनकी जान बचाई बल्कि उन्हें 'बकराशाला' में संरक्षित किया। इन सभी के गले में लाल धागे भी कुर्बानी देने वालों ने बांधे हुए थे।

संरक्षित बकरों की होगी आजीवन देखभाल

जीव दया संस्थान के 5000 वर्ग फीट में नवनिर्मित बकराशाला में बकरों के खाने-पीने, रहने समेत चिकित्सकों की भी बेहतर व्यवस्था की हुई है। संस्थान के पदाधिकारियों ने बताया कि वे यहां पर रखे गए सभी बकरों का आजीवन लालन-पालन करेंगे क्योंकि इसलिए इस बकराशाला का निर्माण सार्थक होगा। संस्थान से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि उत्तर भारत में यह पहली और इकलौती बकराशाला हैं। इसका उद्देश्य केवल बेजुबान जीवों की रक्षा करना है। आने वाले दिनों में पक्षियों के लिए भी 45 मंजिला ऊंचा टावर बनाया जाएगा जिसमे पक्षी अपना निवास बनाकर रह सकेंगे।

(रिपोर्ट :-- मेहंदी हसन बागपत )

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