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Classical Language: मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने पर मराठी कलाकारों ने दी प्रतिक्रिया

01:26 PM Oct 05, 2024 IST
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Classical Language: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर से मराठी, पालि, प्राकृत, असमिया और बांग्ला भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के फैसले के बाद प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है। इसी कड़ी में मराठी अभिनेत्री अमृता खानविलकर की भी एंट्री हो गई।

Highlights

मराठी कलाकारों ने शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने पर दी प्रतिक्रिया

मराठी अभिनेत्री अमृता खानविलकर ने गर्व के साथ कहा कि मैं एक मराठी मुलगी होने पर गर्व महसूस करती हूं। यह सरकार द्वारा मराठी भाषा के लिए उठाया गया एक प्रशंसनीय कदम है। इससे भाषा को बहुत बड़ा समर्थन मिलेगा और कई लोग मराठी संस्कृति और विरासत से प्रेरित होंगे। अभिनेता गश्मीर महाजनी ने भी अपने विचार साझा करते हुए कहा कि यह सचमुच महाराष्ट्र वासियों और मराठी भाषा के लिए एक बड़ा सम्मान है। अब युवा पीढ़ी की जिम्मेदारी है कि वे हमारी मराठी संस्कृति और विरासत को संजोएं और आगे बढ़ाएं।

निर्देशक स्नेहल तर्दे का सरकार के प्रति आभार

निर्देशक स्नेहल तर्दे ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलना हमारे लिए गर्व का क्षण है। मैं सरकार के प्रति आभारी हूं। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि इससे मराठी संस्कृति और विरासत को बढ़ावा मिलेगा, तो उन्होंने कहा कि यह निश्चित रूप से मराठी भाषा संस्कृति और विरासत के विकास में योगदान करेगा। 10वीं सबसे बड़ी भाषा के रूप में, हमें उम्मीद है कि इसे विश्व स्तर पर और अधिक पहचान मिलेगी।

 

बैठक में कई बड़ी योजनाओं को मंजूरी

ज्ञात हो कि पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में कई बड़ी योजनाओं को मंजूरी दी गई है। केंद्रीय कैबिनेट ने पांच और भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मंजूरी दे दी। इनमें मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषाएं शामिल हैं। इसके साथ ही अब 11 शास्त्रीय भाषाएं हो जाएंगी।

मराठी-बंगाली समेत पांच भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा

इससे पहले ही तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और ओडिया को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी जा चुकी है। गौरतलब है कि भारत सरकार ने 12 अक्टूबर 2004 को शास्त्रीय भाषाओं के रूप में भाषाओं की एक नई श्रेणी बनाने का फैसला किया था, जिसके तहत तमिल को शास्त्रीय भाषा घोषित किया गया था। सरकार ने शास्त्रीय भाषा के तहत दर्जा देने के लिए कुछ नियम निर्धारित किए थे। इसमें ग्रंथों की उच्च प्राचीनता या एक हजार वर्षों से अधिक का इतिहास देखा जाएगा।

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