पाली भाषा के विद्वान भालचंद्र खांडेकर का निधन, 81 साल की उम्र में ली अंतिम सांस
Bhalchandra Khandekar Passes Away: पाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे पाली विद्वान डॉ. भालचंद्र खांडेकर का निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे। उनके परिवार ने बुधवार को यह जानकारी दी।
HIGHLIGHTS
- कुछ समय से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का कर रहे थे सामना
- खांडेकर ने 1995 में अखिल भारतीय बौद्ध सम्मेलन के आयोजन में निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका
- डॉ. खांडेकर को पाली विभूषण पुरस्कार से किया गया था सम्मानित
नागपुर विश्वविद्यालय के पीडब्लूएस कॉलेज के पाली और प्राकृत विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. भालचंद्र खांडेकर का सोमवार को निधन हो गया। उनके भाई ताराचंद्र खांडेकर ने बताया कि कुछ समय से वह स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना कर रहे थे। डॉ. भालचंद्र खांडेकर ने एक जनहित याचिका दायर कर मांग की थी कि पाली को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। उन्होंने पाली भाषा को संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा के लिए निर्धारित वैकल्पिक विषयों की सूची में शामिल कराने की मांग की थी।
उनकी यह जनहित याचिका बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के समक्ष लंबित है। उन्होंने 1995 में यहां दीक्षाभूमि में अखिल भारतीय बौद्ध सम्मेलन के आयोजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस सम्मेलन में डकैत से नेता बनी फूलन देवी ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया था। डॉ. खांडेकर को पाली भाषा के विकास में उनके योगदान के लिए कुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा स्थापित पाली विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘PUNJAB KESARI’ को अभी subscribe करें। आप हमें FACEBOOK, INSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो कर सकते हैं।