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ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य ने गायों को पशुओं की सूची से हटाने की मांग की

09:57 AM Oct 07, 2024 IST
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ज्योतिर्मठ पीठ : ज्योतिर्मठ पीठम के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने 6 अक्टूबर को भुवनेश्वर में सरकार से आग्रह किया कि गायों को पशुओं की सूची से हटाया जाए। उन्होंने कहा कि गायों को भारतीय संस्कृति में देवता के रूप में माना जाता है और उन्हें 'माता' कहा जाता है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने लिंगराज मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा, 'मैं गौ प्रतिष्ठा ध्वज स्थापना भारत यात्रा के तहत यहां आया हूं। कानून बनाना सरकार का काम है, लेकिन गौभक्तों को गौमाता की सेवा करनी चाहिए। हमारी संस्कृति में गाय पशु नहीं है। अगर कानून बनाकर यह बताया जाए कि गाय एक 'माता' है, तो लोगों का नजरिया बदल जाएगा।'

Highlight :

गोहत्या के खिलाफ कानून की मांग

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, जो उत्तराखंड में ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य हैं, ने कहा कि गायों की सुरक्षा और कल्याण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। उन्होंने कहा, गौ हत्या की घटनाएं दुखद हैं और यह हमारी भारतीय संस्कृति की विविधता और पहचान को नुकसान पहुँचा रही हैं। हमें अपने बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए और 'गौमाता' की रक्षा करनी चाहिए। उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि स्वतंत्रता के बाद गायों के प्रति सही दृष्टिकोण विकसित करने के लिए बहुत कुछ किया जाना चाहिए। हमने गुलामी की जंजीरों को तोड़ा, लेकिन हमारी गायों की हत्या जारी है। यह हमारे दुश्मनों के लिए सबसे बड़ी बात है। हमने कांग्रेस पार्टी का समर्थन किया, जिसने बैलों की जोड़ी को अपना चुनाव चिन्ह बनाया, लेकिन इसके बावजूद गायों की सुरक्षा की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।

शंकराचार्य ने यह भी कहा कि कई राज्यों ने गोहत्या विरोधी कानून बनाए हैं, जबकि कुछ राज्य इसे जारी रखे हुए हैं। हम 100 करोड़ हिंदुओं की ओर से सरकार से कहना चाहते हैं कि गोहत्या बंद होनी चाहिए और इस पर कानून बनाया जाना चाहिए। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने गौ हत्या को अपराध घोषित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि इसके बजाय बूचड़खानों को सब्सिडी दी जा रही है, जो दुखद है। उन्होंने बताया कि उन्होंने 35 राज्यों में गोरक्षा के लिए विशेष प्रतिष्ठा स्थापित करने का संकल्प लिया है।

बता दें कि, 6 अगस्त को ज्योतिर्मठ के 55वें शंकराचार्य का प्रकटोत्सव गोप्रतिष्ठा महोत्सव के रूप में मनाया गया था, जिसमें दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में भव्य कार्यक्रम हुआ था। इस अवसर पर कई प्रमुख राजनेता और विद्वान उपस्थित थे, जिसमें शंकराचार्य को रबड़ी से तौलने की अनूठी परंपरा का भी आयोजन किया गया था।

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