'किसी देश का दखल नहीं...', Dalai Lama के उत्तराधिकारी मामले पर चीन को भारत ने लगाई फटकार!
Dalai Lama: दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है. चीन ने हाल ही में कहा है कि उनकी मंजूरी के बिना कोई भी उत्तराधिकारी मान्य नहीं होगा. इस पर अब भारत ने भी प्रतिक्रिया दी है और इशारों में चीन को कड़ा संदेश दिया है. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर बयान दिया है. उन्होंने साफ कहा कि यह फैसला पूरी तरह दलाई लामा का अधिकार है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रिजिजू ने कहा, "दलाई लामा केवल तिब्बतियों के नहीं, बल्कि दुनियाभर के लाखों अनुयायियों के आध्यात्मिक गुरु हैं. उनके उत्तराधिकारी को लेकर किसी और देश का दखल नहीं होना चाहिए." उनका यह बयान चीन की टिप्पणी के ठीक बाद आया है. चीन ने कहा था कि अगला दलाई लामा तभी वैध माना जाएगा, जब उसे चीन सरकार की अनुमति प्राप्त होगी. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी इस पर नियंत्रण चाहती है. इससे तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों और चीन सरकार के बीच तनाव बढ़ गया है.
दलाई लामा की प्रतिक्रिया
दलाई लामा ने हाल ही में स्पष्ट किया है कि उनके उत्तराधिकारी का फैसला गादेन फोडरंग ट्रस्ट ही करेगा. यह ट्रस्ट उन्होंने 2015 में स्थापित किया था और इसका उद्देश्य तिब्बती संस्कृति और उनके कार्यों को आगे बढ़ाना है. दलाई लामा ने यह भी बताया कि उनकी संस्था जारी रहेगी और उत्तराधिकारी को लेकर कोई भ्रम नहीं होना चाहिए.
क्या महिला हो सकती है अगली दलाई लामा?
कुछ समय पहले दलाई लामा ने यह भी संकेत दिया था कि उनका उत्तराधिकारी एक महिला भी हो सकती है, या फिर वह व्यक्ति चीन के बाहर पैदा हो सकता है. इससे यह स्पष्ट होता है कि वे उत्तराधिकारी को लेकर परंपराओं के दायरे से बाहर भी सोच रहे हैं.
तिब्बती परंपरा और चीन की दखलअंदाजी
तिब्बती बौद्ध धर्म में दलाई लामा की परंपरा बहुत पुरानी और पवित्र मानी जाती है. चीन द्वारा इस प्रक्रिया में दखल देने की कोशिश को तिब्बती समुदाय स्वीकार नहीं कर रहा है. उनका मानना है कि यह पूरी तरह धार्मिक मामला है और इसमें किसी राजनीतिक हस्तक्षेप की कोई जगह नहीं होनी चाहिए.