डूबते पाकिस्तान को भारत का सहारा
भारत से बात-बात पर युद्ध लड़ने की गीदड़ भभकी देने वाला पाकिस्तान आर्थिक संकट में तो डूबा ही हुआ था लेकिन अब वह बाढ़ में भी डूब चुका है
12:54 AM Aug 31, 2022 IST | Aditya Chopra
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भारत से बात-बात पर युद्ध लड़ने की गीदड़ भभकी देने वाला पाकिस्तान आर्थिक संकट में तो डूबा ही हुआ था लेकिन अब वह बाढ़ में भी डूब चुका है। बाढ़ ने ब्लूचिस्तान, खैबर, पख्तूनवा और सिंध प्रांत में कहर बरपाया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की चुनौतियां काफी बढ़ गई हैं। एक तरफ उन्हें तहरीके तालिबान के हमलों से जूझना पड़ रहा है। दूसरी तरफ पाकिस्तान कंगाली के दौर में है और तीसरा बाढ़ की विभीषका ने अब तक 1200 से ज्यादा लोगों की जान ले ली और लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं। पाकिस्तान सरकार बाढ़ में फंसे अपने लोगों की जान बचाने में विफल रही है। बाढ़ से उपजे हालात को सम्भाल पाने में पाकिस्तान सरकार ने एक तरह से हाथ खड़े कर दिए हैं। बाढ़ प्रभावित लोग दाने-दाने को मोहताज हैं। महंगाई का यह आलम है कि एक किलो टमाटर की कीमत 500 रुपए तक पहुंच गई है। दूध और सब्जियों के दाम तीन गुना हो चुके हैं। बाढ़ से 33 मिलियन लोग प्रभावित हुए हैं जो देश की कुल आबादी का लगभग 14 प्रतिशत है। बारिश और बाढ़ से अब तक 44 हजार करोड़ से भी ज्यादा का नुक्सान हो चुका है और इस बाढ़ से नुक्सान की तुलना 2010-11 की बाढ़ से की जा सकती है जो रिकार्ड में सबसे ज्यादा खराब है। सरकार की मदद नहीं मिलने से निराश लोग अपनी ही सरकार को कोस रहे हैं। पाकिस्तान की सरकार पूरी तरह से असहाय नजर आती है। पाकस्तान ने अब अन्तर्राष्ट्रीय बिरादरी से मदद मांगी है।
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पाकिस्तान ने दुनिया के सामने गुहार लगाते हुए कहा है कि आर्थिक हालत खस्ता हो चुकी है। कई देशों ने पाकिस्तान को सहायता देनी भी शुरू कर दी है। पाकिस्तान की आवाम भारत की तरफ उम्मीदें लगाए बैठी है। पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत के साथ व्यापार शुरू करने का ऐलान किया है। शहबाज सरकार के वित्त मंत्री एम इस्माइल ने भारत के साथ व्यापार मार्ग खोलने का ऐलान करते हुए कहा है कि सरकार भारत से सब्जियों और अन्य खाने की चीजों का आयात करने पर विचार कर रही है। पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के खत्म करने के बाद भारत के साथ व्यापार बंद कर दिया था। लेकिन अब उसे मजबूरी वश अपना फैसला बदलने को मजबूर होना पड़ा है।
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर पाकिस्तान में बाढ़ से हुई तबाही को देखकर दुख व्यक्त करते हुए कहा है, ‘‘हम पीड़ितों, घायलों और प्राकृतिक आपदा से प्रभावित सभी लोगों के परिवारों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं और जल्द ही सामान्य स्थिति बहाल होने की उम्मीद करते हैं।’’ अमेरिका, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात और अन्य देशों ने पाकिस्तान की मदद करनी शुरू कर दी है। ऐसी स्थिति में भारत की क्या भूमिका होनी चाहिए, इसे लेकर विशेषज्ञ गहन चिंतन मंथन कर रहे हैं। भारत ने अपने पड़ोसी देशों की हर संकट की घड़ी में मदद की है। अफगानिस्तान में तालिबान शासन होने के बावजूद भारत ने मानवीय आधार पर अनाज, दवाइयां और जरूरत का सामान दिया है। हाल ही में आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका की भी भारत ने काफी मदद की है। मोदी सरकार ने ‘पड़ोस प्रथम’ नीति अपनाते हुए हमेशा नेपाल, म्यांमार, भूटान और बंगलादेश की हमेशा मदद की है। भारत एशिया का दूसरा सबसे बड़ा राष्ट्र है। एक राय यह है कि भारत का यह नैतिक और मानवीय दायित्व है कि वह संकट की घड़ी में पाकिस्तान की हर सम्भव सहायता करे। दूसरा पहलू यह भी है कि भारत-पाक संबंधों के इतिहास को देखते हुए पाकिस्तान सरकार नरेन्द्र मोदी सरकार से सीधे मदद लेने के मामले में संकोची हो सकती है। पाकिस्तान ने भारत में इतना खून बहाया है कि उसकी सरकार ने भारत से सीधे मदद की अपील करने का नैतिक साहस और अधिकार खो दिया। पाकिस्तान भारत से मदद की अपील करे तो किस मुंह से। सम्भवतः इसी लिए पाकिस्तान ने भारत से मदद के लिए कोई विशेष अपील नहीं की। उम्मीद की जानी चाहिए कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अपने पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों की तरह गलतियां नहीं करेंगे और प्रलय की स्थिति में अपने देशवासियों को बचाने के लिए भारत की तरफ हाथ बढ़ाएंगे।
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इस समय सवाल मानवता, नैतिकता और नीति शास्त्र का भी है। भारत मानवता के आधार पर पाकिस्तान के लोगों की मदद के लिए तैयार है। पाकिस्तान के भीतर और सत्ता के गलियारों से भारत के साथ व्यापार संबंध बनाने की मांग उठ रही है। मार्च 2021 में पाकिस्तान की आर्थिक समन्वय समिति ने कहा था कि वह देश के प्राइवेट सैक्टर को भारत से बाघा सीमा के जरिये चीनी और कपास आयात करने की मंजूरी देगा लेकिन इस फैसले का पीएमएनएल और पीपीपी ने विरोध किया था, जो कि अब पाकिस्तान में गठबंधन सरकार में हैं। दोनों देशों में व्यापार के चलते फायदा हो रहा था और पंजाब के सीमांत क्षेत्रों के किसानों को और पंजाब के व्यापारियों को काफी लाभ हो रहा था। दोनों देशों के संबंध अगर मधुर होते हैं तो फिर बातचीत की सम्भावनाएं भी बन सकती हैं। भारत कभी नहीं चाहेगा कि उसके पड़ोस में अस्थिरता पैदा हो। पाकिस्तान आतंकवाद की नीति छोड़े तो भारत उसकी मदद के लिए तैयार है। भारत हमेशा मानवता की रक्षा के लिए आगे बढ़कर काम करता ही है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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