भारत-तालिबान के रिश्ते
अगस्त 2021 में जब दुनिया की महाशक्ति कहलाए जाने वाले अमेरिका की सेना..
अगस्त 2021 में जब दुनिया की महाशक्ति कहलाए जाने वाले अमेरिका की सेना अफगानिस्तान से लौटी तो तालिबान ने सत्ता पर कब्जा कर लिया था। पूरी दुनिया ने टीवी चैनलों पर एक बड़ी त्रासदी को अपने सामने घटित होते देखा। हजारों लोग देश छोड़ने के लिए काबुल हवाई अड्डे पर इकट्ठे हो गए थे। काबुल से निकल जाने के लिए कुछ लोग विमान के पहियों से लिपट गए थे। उनकी मौत का मंजर सबने देखा। मानवीय त्रासदी के बाद तालिबान के लड़ाकों ने सब कुछ अपने कब्जे में ले लिया था। तब भारत समेत अधिकतर देशों ने अपने दूतावास बंद कर दिए थे। भारत और तालिबान के रिश्ते कभी भी सामान्य नहीं रहे और भारत ने तालिबान सरकार को मान्यता भी नहीं दी है। भारत ने मानवीय आधार पर अफगानिस्तान को खाद्यान्न, दवाइयां आैर अन्य सामग्री देना जारी रखा। भारत ने अफगानिस्तान में करोड़ों डॉलर का निवेश किया हुआ है। सब जानते हैं कि भारत ने अफगानिस्तान की संसद, सड़कें, पुल और रेलवे लाइनें बना कर दिए हैं। इसके अलावा भी राजमार्गों और व्यापार मार्गों जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर भारत ने ही काम किया है। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में भारत को भगाने के लिए खूब अड़चनें पैदा कीं लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। भारत ने उसे 24 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता दी, जो वहां के लोगों के समर्थन के लिए प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
भारत की सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति ने संबंधों को सामान्य बनाने में बड़ी भूमिका निभाई। तालिबान भारत की दरियादिली का कायल हो गया। भारत ने लगातार क्षेत्रीय स्थिरता और अफगानिस्तान के विकास को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका पर जोर दिया और भारत अपनी कूटनीति में सफल हो गया। धीरे-धीरे अब तालिबान का भारत के प्रति दृष्टिकोण बदला और भारत ने भी अपने रवैये को काफी लचीला बना लिया। तालिबान से भारत का सम्पर्क बढ़ा और एक बार िफर दोनों देशों के संबंधों में गर्मजोशी दिखाई दे रही है। आधिकारिक तौर पर भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने तीन दिन पहले दुबई में तालिबान के कार्यकारी विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की। हालांकि भारत-तालिबान में पर्दे के पीछे मुलाकातें होती रही थीं। दुबई बैठक के दौरान व्यापार, विकास परियोजनाओं को फिर से शुरू करने और आर्थिक सांझेदारी को आैर मजबूत बनाने पर चर्चा हुई। भारत ईरान में चाबहार पोर्ट बना रहा है, ताकि पाकिस्तान के कराची गवादर पोर्ट को किनारे कर अफगानिस्तान के साथ ईराक और मध्य एशिया से कारोबार किया जा सके। राजनयिक रिश्तों, व्यापारियों, मरीजों और छात्रों के लिए आसानी से वीजा की व्यवस्था करने पर चर्चा हुई। दोनों पक्षों ने क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की।
अफगानिस्तान ने भारत के साथ राजनीतिक और आर्थिक रिश्ते स्थापित करने की इच्छा जताई और भारत को भरोसा दिया कि तालिबान से भारत को कोई खतरा नहीं होगा। चीन आैर पाकिस्तान के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए अफगानिस्तान एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। अब जबकि पाकिस्तान और तालिबान में सीमा से जुड़े मुद्दे पर जबरदस्त टकराव चल रहा है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान सीधे-सीधे पाकिस्तान को डूरंड लाइन पर चुनौती दे रहा है और पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में घुसकर हमला किया है। तब भारत ने िबना कोई देरी किए तालिबान से सम्पर्क बढ़ा लिया है।
कौटिल्य का सिद्धांत यह कहता है कि आपका पड़ोसी आप का शत्रु होता है और पड़ोसी का पड़ोसी आपका मित्र होता है। पाकिस्तान हमारा शत्रु है तो इस सिद्धांत के अनुसार पाकिस्तान का पड़ोसी अफगानिस्तान को मित्र बनाना चाहिए। भारत ने भी यही किया। अफगानिस्तान के लोग भी भारत को अपना मित्र मानते हैं और सम्मान करते हैं, जबकि पाकिस्तान को वह अतिवाद और आतंकवाद फैलाने वाला नकारात्मक देश मानते हैं। भारत ने सूझबूझ से काम लेते हुए महसूस किया कि अफगानिस्तान की जमीन को खाली छोड़ना फायदे का सौदा नहीं होगा। इससे चीन को वहां खुलकर खेलने का मौका मिल सकता है। भारत को अपना निवेश भी बचाना है। अफगानिस्तान भी इस बात को जानता है कि भारत के साथ कूटनयिक सम्पर्क इसलिए जरूरी हैं क्योंकि उसे अन्तर्राष्ट्रीय तौर पर मान्यता नहीं मिल रही है। दूसरी ओर भारत भी यह जानता है कि तालिबान सरकार एक ऐसी सच्चाई है जिसे स्वीकार कर आगे बढ़ना होगा।
भारत आैर अफगानिस्तान के संबंध प्राचीनकाल से ही गहरे रहे हैं। महाभारत काल में अफगानिस्तान के गांधार जो इस समय कंधार है की राजकुमारी गांधारी का विवाह हस्तिनापुर के राजा धृत्तराष्ट्र से हुआ था। दोनों देशों के बीच साझा सांस्कृतिक संबंध भी रहे हैं। दोनों देशों को जोड़ने में क्रिकेट ने भी भूमिका निभाई है। भारत-तालिबान संबंधों पर पाकिस्तान पूरी तरह से बौखलाया हुआ है। पाकिस्तान की तरफ से कड़ी प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं। जहां तक आतंकवाद का सवाल है भारत का स्टैंड स्पष्ट है। तालिबान के साथ संबंधों में बड़े जोखिम को भारत समझता है और वह पूरी सतर्कता के साथ आगे बढ़ रहा है। हमारी सुरक्षा की दृष्टि से भी अफगानिस्तान की अहमियत हमारे लिए बनी हुई है। अफगानिस्तान से बेहतर संबंधों के चलते पाकिस्तान इस क्षेत्र का इस्तेमाल भारत के विरुद्ध नहीं कर पाएगा। अफगानिस्तान से संबंध भारत की भू-राजनीति सुरक्षा और कूटनीति के लिए भी बेहतर होंगे।