भारत-ब्रिटेन ‘महाडील’
भारत और ब्रिटेन के बीच पिछले 3 वर्षों से चल रही बातचीत के बाद मुक्त व्यापार समझौते…
भारत और ब्रिटेन के बीच पिछले तीन वर्षों से चल रही बातचीत के बाद मुक्त व्यापार समझौते पर सहमति बन गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर से फोन पर बातचीत करने के बाद इस समझौते का ऐलान कर दिया। भारत और ब्रिटेन के बीच पिछले वर्ष 55 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था। मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) हो जाने से दोनों देशों के व्यापार में 34 अरब डॉलर का इजाफा होगा। इसके साथ ही दोनों देशों में डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन समझौता भी हुआ है। यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव काफी बढ़ा हुआ है। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा किए गए मिसाइल हमले में पाकिस्तान में 9 आतंकवादी ठिकानों को तबाह किए जाने के बाद दोनों देशों में युद्ध की आशंकाएं बनी हुई हैं। पहलगाम हमले के बाद भारत को दुनियाभर से कूटनीतिक समर्थन मिल रहा है तो दूसरी तरफ व्यापारिक आैर आर्थिक मोर्चे पर भी भारत को सफलता मिल रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ वॉर से वैश्विक अस्थिरता के बीच भारत और ब्रिटेन में हुए मुक्त व्यापार समझौते को महाडील करार दिया जा रहा है। ब्रेक्जिट के बाद यूरोपीय यूनियन का बड़ा बाजार ब्रिटेन की पहुंच से बाहर हो गया था।
ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था की हालत काफी खराब हुई थी। ब्रिटेन लगातार नए बाजार तलाश रहा था। आर्थिक मोर्चे पर भारत की अर्थव्यवस्था तो पटरी पर तेजी से दौड़ने लगी थी लेकिन टैरिफ वॉर के प्रभाव को कम करने के िलए भारत को भी नए बाजारों की जरूरत है। लिहाजा कहा जा सकता है कि यह समझौता दोनों देशों के लिए लाभदायक है। इस करार से अल्कोहल, कॉस्मेटिक्स, चॉकलेट, सॉफ्ट ड्रिंक्स, बिस्किट आदि ब्रिटिश उत्पादों पर भारत में आयात शुल्क में भारी कटौती होगी जिससे उनका यहां बाजार बढ़ने की आशा है। उधर भारत के वस्त्र, जूता-चप्पल और खाद्य उत्पादों के लिए ब्रिटिश बाजार में अनुकूल स्थितियां बनेंगी। हालांकि ब्रिटेन अपनी आव्रजन नीति में बदलाव के लिए राजी नहीं हुआ है। फिर भी भारतीय पेशेवरकर्मियों के लिए वीजा प्रक्रिया को आसान बनाने पर वह सहमत हुआ है। इसके तहत भारत के रसोइयों, संगीतकारों और योग प्रशिक्षकों के लिए हर साल 1.800 वीजा वह देगा।
यह समझौता तीन अलग-अलग मुद्दों पर है। पहला एफटीए, दूसरा है द्विपक्षीय निवेश संधि और तीसरा है सामाजिक सुरक्षा समझौता, जिसे डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन कहा जाता है। यह एग्रीमैंट ब्रिटेन में सीमित अवधि के लिए काम करने वाले भारतीय पेशेवरों की ओर से सामाजिक सुरक्षा फंडों में दोहरे योगदान से बचने में मदद करेगा। भारतीय पेशेवर अपनी सामाजिक सुरक्षा निधि में योगदान करते हैं लेकिन परियोजनाएं पूरी होने के बाद वापिस लौटने के कारण इसका लाभ नहीं उठा पाते। इस समझौते के तहत ब्रिटेन भारत से आने वाले 90 प्रतिशत सामानों पर टैरिफ कम करेगा। इसमें से 85 प्रतिशत सामानों पर अगले 10 सालों में कोई टैरिफ नहीं लगेगा। ब्रिटेन से भारत आने वाले सामान भी अब सस्ते हो जाएंगे। समझौते के तहत भारत कुछ सामानों पर ब्रिटेन के उद्योगों को शुल्क में कोई छूट नहीं देगा। उनमें हीरे, चांदी, स्मार्ट फोन और ऑप्टीकल फाइबर आदि शामिल हैं। इस समझौते को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री स्टार्मर की बहुत बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि इसकी नींव 2022 में तत्कालीन प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने रखी थी। इससे ब्रिटेन में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। अमेरिका टैरिफ की घोषणाओं से व्यापारिक युद्ध के खतरे के बीच यूरोप और ब्रिटेन बाकी देशों से व्यापार समझौते करने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। ब्रिटेन के व्यापार जगत से इस समझौते को लेकर उत्साहजनक प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। हालांकि कार्बन टैक्स का मसला अभी भी बरकरार है। कार्बन बाॅर्डर एडजस्टमैंट ब्रिटेन अगले साल जनवरी से लागू करने वाला है।
अब देखना है कि दोनों देश इस मुद्दे का किस तरह से समाधान करेंगे। अगर इसमें कुछ समस्या रहती है तो होगा यह कि यूके से आने वाले उत्पाद तो शून्य टैरिफ पर आएंगे लेकिन भारत के उत्पादों को कार्बन बॉर्डर एडजस्टमैंट टैक्स देना पड़ सकता है। इसके बावजूद भारत-ब्रिटेन व्यापार जगत ट्रम्प के टैरिफ वॉर के बीच और संरक्षणवाद के भूत के बीच इस समझौते को उम्मीद की किरण बता रहे हैं। भारत अमेरिका के साथ भी द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने में जुटा हुआ है ताकि ट्रम्प द्वारा लगाए गए टैरिफ के प्रभाव को कम किया जा सके। भारत ने अपनी पूरी रणनीति बदल दी है। फिलहाल भारत-ब्रिटेन ने व्यापार के दरवाजे खोल दिए हैं। दोनों देशों के हित आपस में जुड़े हुए हैं। बेहतरी इसी में है कि समझौते पर ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ा जाए।