For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

भारत-अमेरिका रक्षा समझौता

वैश्विक परिदृश्य कितना बदल चुका है, जो अमेरिका भारत-पाकिस्तान युद्धों के समय पाकिस्तान के पाले में खड़ा दिखाई देता

10:11 AM Oct 16, 2024 IST | Aditya Chopra

वैश्विक परिदृश्य कितना बदल चुका है, जो अमेरिका भारत-पाकिस्तान युद्धों के समय पाकिस्तान के पाले में खड़ा दिखाई देता

भारत अमेरिका रक्षा समझौता

वैश्विक परिदृश्य कितना बदल चुका है, जो अमेरिका भारत-पाकिस्तान युद्धों के समय पाकिस्तान के पाले में खड़ा दिखाई देता था आज वह भारत के साथ दोस्ती का दम भर रहा है। यह वही अमेरिका है जिसने 1971 के युद्ध में भारत के खिलाफ अपना सातवां बेड़ा भेज दिया था। तब सोवियत संघ भारत के साथ खुलकर खड़ा हो गया था। भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग की शुरूआत शीतयुद्ध के बाद 1990 के दशक के मध्य में हुई थी। अब भारत अमेरिका का प्रमुख रक्षा साझेदार बन चुका है। पिछले दो दशकों में भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों में काफी मजबूती आई है। जिनके चलते रक्षा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, रक्षा व्यापार में वृद्धि, अनुसंधान भागीदारी और सह उत्पादन और आपसी सहयोग को बढ़ावा मिला है। भारत और अमेरिका ने मंगलवार को 31 प्रीडेटर ड्रोन और एमआरओ के ​िलए लगभग 34 हजार करोड़ के सौदे पर हस्ताक्षर किए हैं। प्रीडेटर ड्रोन मिलने से भारत की सशस्त्र बलों की निगरानी क्षमता बहुत शक्तिशाली हो जाएगी।

भारत चेन्नई के पास आईएनएस राजाली, गुजरात में पोरबंदर, उत्तर प्रदेश में सरसावा और गोरखपुर सहित चार संभावित स्थानों पर प्रीडेटर ड्रोन को तैनात करेगा। भारतीय सेना ने तीनों सेनाओं के बीच हुए सौदे में अमेरिका से ड्रोन हासिल किए हैं। इनकी संख्या वैज्ञानिक अध्ययन के बाद सेनाओं द्वारा ही तय की गई है। पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान दोनों ही अपने सशस्त्र यूएवी के बेड़े को लगातार बढ़ा रहे हैं। ऐसे समय में भारतीय सेना को इन ड्रोन्स की सख्त जरूरत बताई जा रही थी। बिना पायलट के उड़ने वाली प्रीडेटर ड्रोन सेना द्वारा क्षेत्रों की निगरानी के लिए आसमान से इस्तेमाल की जाती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक अल कायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन को ढूंढने में और अल जवाहिरी को मारने में अमेरिका ने इसी प्रीडेटर ड्रोन का इस्तेमाल किया था। ये सैन्य मिशनों में पायलटों को खतरे में डाले बिना भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं। साथ ही जानकारी जुटाने में भी मदद करते हैं। एमक्यू-9बी ‘हंटर-किलर’ प्रीडेटर ड्रोन लगभग 40 घंटे तक लगातार 40,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर उड़ान भरने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। सौदे के मुताबिक, 31 एमक्यू-9बी ड्रोन 170 हेलफायर मिसाइलों, 310 जीबीयू-39बी सटीक-निर्देशित ग्लाइड बम, नेविगेशन सिस्टम, सेंसर सूट और मोबाइल ग्राउंड ओएएल कंट्रोल सिस्टम के साथ भारत आएंगे।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के अमेरिका दौरे के दौरान महत्वपूर्ण रक्षा सौदे हुए थे। भारत ने अमेरिका से सी-130 आैर सी-17 ग्लोब मास्टर परिवहन विमान, अपाचे लड़ाकू हैलीकॉप्टर, सी-एच-47 चिनूक, समुद्री गश्ती विमान और हल्की तोपें भी खरीदी हैं। इसी साल अगस्त में दोनों देश संयुक्त रूप से लड़ाकू जेट इंजन के उत्पादन पर आगे बढ़ने पर सहमत हुए। अमेरिका भारत को एंटी सबमरीन हथियार सोनोवॉच और उससे संबंधित उपकरण भी दे रहा है। अमेरिका इस बात के लिए हमेशा दबाव डालता रहा है कि भारत रूस पर अपनी निर्भरता कम करे लेकिन भारत अमेरिका के दबाव में कभी नहीं आया। दरअसल अमेरिका और भारत की साझा चिंताओं में सबसे ऊपर चीन और​ हिन्द प्रशांत क्षेत्र में उसका प्रसार है।

अमेरिका दीर्घकालिक अवधि में भारत को रूस के साथ उसकी रक्षा साझेदारी से अलग करना चाहता है। तकनीकी नजरिए से जेट इंजन उत्पादन, सेमीकंडक्टर और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में नई घोषित संयुक्त पहल भारत के लिए अपना खुद का एक रक्षा उद्योग विकसित करने और अपनी समग्र तकनीकी क्षमता में सुधार करने का एक अवसर प्रदान करती है। भारत और अमेरिका पहले ही चार बुनियादी समझौतों पर हस्ताक्षर कर चुके हैं और नियमित रूप से संयुक्त सैन्य अभ्यास करते हैं। जहां अमेरिका के साथ भारत की गलबहियां मजबूत, गहरी और ज्यादा व्यापक होती जा रही हैं, वहीं वह अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने की जरूरत से भी अवगत है। फिलहाल अमेरिकी रणनीति दुनिया को एक नए सिरे से दो ध्रुवीय बनाने पर केंद्रित है, जिसे लेकर भारत सहज नहीं है। दूसरों की वर्चस्व की लड़ाई में फंसना भारत को गवारा नहीं है और अच्छी बात यह है कि अमेरिका उसकी इस चिंता के प्रति तेजी से सचेत हो रहा है।

भारत अपने हितों को देखते हुए रूस से पहले की ही तरह अपने संबंध बनाए हुए हैं। एक उभरती हुई विश्व व्यवस्था के रूप में भारत अपनी रक्षा को लगातार मजबूत कर रहा है। भारत को इसकी जरूरत भी है। भारत-अमेरिका संबंध एक-दूसरे की जरूरतों पर भी टिके हुए हैं।

आदित्य नारायण चोपड़ा

Adityachopra@punjabkesari.com

Advertisement
Advertisement
Author Image

Aditya Chopra

View all posts

Aditya Chopra is well known for his phenomenal viral articles.

Advertisement
×