अग्नि-5 मिसाइल पहले से खतरनाक बनाने की तैयारी में भारत, दुश्मनों का परमाणु सेंटर भी हो पाएगा तबाह
नई दिल्ली: भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को लगातार मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठा रहा है। इसी क्रम में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने देश की अत्याधुनिक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल ‘अग्नि-5’ का एक गैर-परमाणु (Non-Nuclear) वर्जन विकसित करने की योजना शुरू कर दी है। यह संस्करण विशेष रूप से भारतीय वायुसेना (IAF) की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जा रहा है। इस नई मिसाइल के जरिए भारत, खासतौर पर पाकिस्तान और चीन जैसे विरोधी देशों के गहरे और मजबूत सैन्य ठिकानों को दूर से ही नष्ट करने में सक्षम होगा।
एयरबर्स्ट और बंकर-बस्टर विकल्पों में मिलेगी ताकत
नई अग्नि-5 मिसाइल में करीब 7.5 से 8 टन का भारी वारहेड लगाया जाएगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक इसे दो तरीके से उपयोग में लाया जा सकेगा:
एयरबर्स्ट वारहेड – यह मिसाइल हवा में फटकर रनवे, एयरबेस, रडार और अन्य सैन्य ढांचों को व्यापक स्तर पर क्षतिग्रस्त कर सकती है।
बंकर बस्टर वारहेड – यह ज़मीन के भीतर 80 से 100 मीटर तक घुसकर धमाका करेगा, जिससे दुश्मन के भूमिगत कमांड सेंटर और परमाणु भंडारण को नष्ट किया जा सकेगा।
दुश्मन के डिफेंस सिस्टम को चकमा देने में सक्षम
यह नॉन-न्यूक्लियर वर्जन अग्नि-5 की रेंज 2500 किमी तक होगी, जो इसे अत्यधिक प्रभावशाली बनाता है। भारी वारहेड ले जाने के बावजूद यह मिसाइल दुश्मन की सीमा के भीतर घुसकर सटीक निशाना लगाने में सक्षम होगी। विशेषज्ञों के मुताबिक यह वर्जन दुश्मन के मिसाइल डिफेंस सिस्टम को मात देने के लिए भी अनुकूल रूप से डिजाइन किया जा रहा है।
भारत के पास नहीं है भारी बमवर्षक विमान, अग्नि-5 भर पाएगी कमी
फिलहाल भारत के पास B-2 बॉम्बर (अमेरिका) जैसे अत्याधुनिक बम गिराने वाले भारी बॉम्बर विमान नहीं हैं। ऐसे में अग्नि-5 का यह नया रूप वायुसेना की इस कमजोरी को काफी हद तक पूरा करेगा। इसके ज़रिए भारतीय सेना को पहली बार भारी विस्फोटक सामग्री ले जाकर टारगेट पर सटीक प्रहार करने की क्षमता मिलेगी।
चीन और पाकिस्तान के लिए बनेगी बड़ी चुनौती
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह मिसाइल चीन और पाकिस्तान के रणनीतिक ठिकानों के खिलाफ "ब्रह्मास्त्र" साबित हो सकती है। खासकर चीन की सीमा पर बन रहे एयरबेस और रडार साइट्स को निशाना बनाना इस मिसाइल के दायरे में आएगा। सूत्रों के अनुसार, इस मिसाइल को मोबाइल लॉन्च प्लेटफॉर्म से कहीं से भी तैनात किया जा सकेगा, जिससे तत्काल जवाबी कार्रवाई करना संभव होगा।