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भारत 2026 में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनेगा: SBI

वित्त वर्ष 2026 में भारत की आर्थिक मजबूती

02:20 AM May 31, 2025 IST | IANS

वित्त वर्ष 2026 में भारत की आर्थिक मजबूती

एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2026 में तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनेगा। मजबूत आर्थिक बुनियाद और सस्टेनेबल विकास की प्रतिबद्धता के साथ भारत की जीडीपी वृद्धि 7.4% तक पहुंची। हालांकि, बाहरी और भू-राजनीतिक कारक विकास में बाधा डाल सकते हैं।

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, भारत वित्त वर्ष 2026 में अपनी मजबूत वृहद आर्थिक बुनियाद, वित्तीय क्षेत्र और सस्टेनेबल विकास के प्रति प्रतिबद्धता के साथ सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। एसबीआई के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर डॉ. सौम्य कांति घोष ने आरबीआई की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट के आधार पर कहा, “उच्च प्रत्याशित बचत के साथ घरेलू वित्त, प्रत्याशित विकास की फंडिंग के लिए काफी होगा। इसके साथ ही, कीमतों पर मांग से जुड़े दबाव की उम्मीद न के बराबर है।”घोष ने कहा कि विकास के लिए बाहरी और भू-राजनीतिक कारकों से बाधा उत्पन्न हो सकती है। चौथी तिमाही में 7.4 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि को पूंजी निर्माण में मजबूत उछाल से सपोर्ट मिला। पूंजी निर्माण ने 9.4 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज की।

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पूंजी निर्माण में सुधार चौथी तिमाही में मुख्य क्षेत्र में पुनरुद्धार के कारण हुआ, जैसा कि हाई-फ्रीक्वेंसी इंडीकेटर्स से साफ है। वित्त वर्ष 2025 के लिए पूंजी निर्माण में कुल वृद्धि अब 7.1 प्रतिशत है। वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था 7.4 प्रतिशत बढ़ी, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 8.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। चौथी तिमाही के आंकड़ों के आधार पर वित्त वर्ष 2025 की वार्षिक वृद्धि 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में लगभग सभी क्षेत्रों ने बेहतर वृद्धि दर्ज की। उद्योग में जहां 6.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, वहीं सेवा क्षेत्र में चौथी तिमाही में 7.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

चौथी तिमाही के दौरान उद्योग के तहत निर्माण क्षेत्र में 10.8 प्रतिशत और विनिर्माण क्षेत्र में 4.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई। निजी खपत ने चौथी तिमाही में अपनी अच्छी स्थिति बनाए रखी, हालांकि चौथी तिमाही में वृद्धि की क्रमिक धीमी दर रही। कुल मिलाकर, वित्त वर्ष 2025 के लिए निजी अंतिम उपभोग व्यय में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। पूरे वर्ष के दौरान निर्यात मांग अच्छी रही, जिसमें 6.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि पूरे वर्ष के दौरान आयात में 3.7 प्रतिशत की कमी आई। एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, यह वृद्धि अमेरिकी टैरिफ अनिश्चितता के बीच निर्यात को बढ़ावा देने के कारण दर्ज की गई।

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