2050 तक भारत बनेगा 25 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था : गौतम अदाणी
अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने कहा कि भारत अब उभरती अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि दिशा देने वाली शक्ति है। युवा ऊर्जा, तकनीकी प्रगति और घरेलू मांग भारत को 2050 तक 25 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाएंगे। उन्होंने दो टूक कहा, 'भारत वही स्थान अर्जित करेगा, जहां कभी पश्चिमी अर्थव्यवस्थाएं थीं, लेकिन अपनी शर्तों पर।' देश के प्रमुख उद्योगपति गौतम अदाणी ने भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) लखनऊ में छात्रों को संबोधित करते हुए यह आत्मविश्वासपूर्ण घोषणा गुरुवार को की। उनका यह संबोधन केवल आंकड़ों का प्रक्षेपण नहीं था, बल्कि भारत के भविष्य पर एक आस्था-निर्माण करने वाला दृष्टिकोण भी था, जो युवाओं को प्रेरित करने के साथ राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने की चुनौती भी दे रहा था।
Honoured to address the brilliant minds at the Annual Conference of the Society for Minimally Invasive Spine Surgery.
To the world, they are spine surgeons.
To their patients, they are something far greater.
They restore dignity, hope and movement.
And, in doing so, hold up the… pic.twitter.com/IWV7rWFy0u— Gautam Adani (@gautam_adani) July 11, 2025
भारत उभरती हुई अर्थव्यवस्था
अदाणी ने कहा कि भारत की जनसांख्यिकीय शक्ति, उभरता हुआ तकनीकी परिदृश्य, बढ़ती उपभोक्ता मांग और आत्मनिर्भरता की नीतियां मिलकर एक ऐसी आर्थिक नींव तैयार कर रहे हैं, जो आने वाले समय में भारत को इस लक्ष्य प्राप्ति में सक्षम बनाएंगे। उन्होंने कहा कि यह लक्ष्य केवल सरकार की नीतियों का परिणाम नहीं, बल्कि युवाओं की भागीदारी, निजी क्षेत्र की नेतृत्व क्षमता और सामाजिक-सांस्कृतिक समावेशन से ही साकार होगा। अदाणी ने कहा भारत अब उभरती हुई अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि एक वैश्विक उत्तर है, जिसकी भूमिका आने वाले दशकों में निर्णायक होगी।
गौतम अदाणी ने छात्रों का किया संबोधन
उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे सिर्फ नौकरी तलाशने वाले नहीं, बल्कि नौकरियां देने वाले बनें। उन्होंने कहा कि इस आर्थिक यात्रा के केवल यात्री मत बनिये, चालक बनें। यह देश अब सपनों का नहीं, संकल्पों का समय मांग रहा है। अदाणी ने बताया कि भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था, ऊर्जा सुरक्षा, हरित निवेश और बुनियादी ढांचे में तीव्र गति से हो रहे सुधार आने वाले वर्षों में भारत को उस स्थान तक पहुंचाएंगे जहां पश्चिमी अर्थव्यवस्थाएं कभी थीं।