ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भारत का बड़ा कदम: 59 सदस्यीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेश दौरे पर जाएगा
ऑपरेशन सिंदूर: भारत का 59 सदस्यीय दल विदेश यात्रा पर
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत 59 सदस्यीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की घोषणा की है, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों का दौरा करेगा। इस डेलिगेशन का उद्देश्य पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर भारत का रुख स्पष्ट करना है। शशि थरूर को अमेरिका जाने वाले समूह की कमान मिली है, जो इस जिम्मेदारी को सम्मानजनक मानते हैं।
भारत सरकार ने शनिवार देर रात 59 सदस्यों वाले एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल (डेलिगेशन) की घोषणा की है, जिसमें 51 नेता और 8 राजनयिक शामिल हैं। इस डेलिगेशन में NDA के 31 सदस्य हैं जबकि 20 अन्य दलों से हैं, जिनमें कांग्रेस के तीन नेता भी शामिल हैं। यह डेलिगेशन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सदस्य देशों सहित प्रमुख वैश्विक शक्तियों का दौरा करेगा और ऑपरेशन सिंदूर तथा पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर भारत का रुख स्पष्ट करेगा। इस डेलिगेशन को 7 समूहों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक समूह में 8-9 सदस्य हैं, जिनमें 6-7 सांसद, एक वरिष्ठ नेता (पूर्व मंत्री), और एक राजदूत शामिल हैं। हर समूह की कमान एक सांसद के हाथ में है। खास बात यह है कि हर डेलिगेशन में कम से कम एक मुस्लिम प्रतिनिधि को शामिल किया गया है, चाहे वह नेता हो या राजनयिक।
ग्रुप लीडर्स की सूची इस प्रकार है:
ग्रुप 1: बैजयंत पांडा (भाजपा)
ग्रुप 2: रविशंकर प्रसाद (भाजपा)
ग्रुप 3: संजय कुमार झा (JDU)
ग्रुप 4: श्रीकांत शिंदे (शिवसेना)
ग्रुप 5: शशि थरूर (कांग्रेस)
ग्रुप 6: कनिमोझी (DMK)
ग्रुप 7: सुप्रिया सुले (NCP-SCP)
थरूर को अमेरिका जाने वाले डेलिगेशन की कमान
कांग्रेस सांसद शशि थरूर को अमेरिका समेत पांच देशों के डेलिगेशन का नेतृत्व सौंपा गया है। थरूर ने इस जिम्मेदारी को “सम्मानजनक” बताया और कहा कि जब भी राष्ट्रीय हित की बात होगी, वे पीछे नहीं हटेंगे।
पहले भी भेजे गए हैं ऐसे डेलिगेशन
1994 में प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में एक डेलिगेशन को जिनेवा भेजा था, जहां उसने UNHRC में पाकिस्तान के कश्मीर मुद्दे पर प्रस्ताव का सफलतापूर्वक विरोध किया था। 2008 में मुंबई हमलों के बाद मनमोहन सिंह सरकार ने भी विपक्षी नेताओं के साथ एक डेलिगेशन विदेश भेजा था ताकि पाकिस्तान के आतंकी कनेक्शन को वैश्विक मंचों पर उजागर किया जा सके। इसके चलते पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बना और उसे FATF की ग्रे लिस्ट में डाला गया।