क्रिकेट के आकाश पर छा गई भारत की बेटियां
नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में भारत और दक्षिण अफ्रीका की महिला क्रिकेट टीमों के बीच वनडे क्रिकेट वर्ल्ड कप फाइनल मुकाबला खेला गया। जिसमें टीम इंडिया ने मेहमान टीम को 52 रनों से हराकर इतिहास रच दिया है। इंडियन विमेंस क्रिकेट टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर की अगुवाई में भारत ने ये करिश्मा करके दिखाया है। जिसका जश्न आज पूरा भारत मना रहा रहा है। भारत की बेटियों की जय हो। वाह! क्या खेल दिखाया है? क्या जुझारू पारी और एकाग्रता की मिसाल कायम की है? विश्व कप में भारत की बेटियों ने जो खेल खेला है, वह वाकई अद्भुत, अप्रत्याशित, अभूतपूर्व, अकल्पनीय, अतुलनीय है! यह सिर्फ एक जीत नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों के दिलों में बसी उम्मीदों का चरमोत्कर्ष था। यह आधी आबादी को संबल देने वाली जीत है जो नजीर बन गई उनके लिए जो एक मुकाम हासिल करना चाहती हैं। भारत और साउथ अफ्रीका के बीच रोमांचक फाइनल मुकाबले पर हर किसी की नजरें बनी हुई थीं। 25 साल के विमेंस क्रिकेट वर्ल्ड कप के इतिहास में एक बार फिर से महिला क्रिकेट टीम के सामने एक सुनहरा मौका था और उन्होंने इसमें बाजी मारते हुए विश्व विजेता बनकर देश का मान और गौरव बढ़ा दिया है। विमेंस क्रिकेट वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में भारत ने साउथ अफ्रीका को जीत के लिए 299 रनों का बड़ा लक्ष्य दिया, जिसके जवाब में पूरी मेहमान टीम 45.3 ओवर में 246 रनों पर सिमट गई और 52 रनों से टीम इंडिया ने ये मैच जीत लिया।
भारत और हम भारतीयों को अपेक्षाएं ही नहीं थीं। हमने महिला क्रिकेट तो क्या, महिला खिलाडि़यों को कभी गंभीरता से नहीं लिया। फाइनल मैच से पहले सेमीफाइनल में भारत की बेटियों ने जो करिश्मा कर दिखाया उसकी बात करना जरूरी जान पड़ता है। असल में वो मैच निर्णायक मैच तो था ही। वहीं उस मैच में मिली जीत ने टीम इंडिया के आत्मविश्वास का स्तर बहुत ऊंचा कर दिया था। महिला टीम इंडिया ने 7 बार की विश्व चैम्पियन और लगातार 15 मैचों की अजेय ऑस्ट्रेलिया टीम को पराजित कर विश्व कप के फाइनल में प्रवेश किया,वो पल खेल के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गए। ऑस्ट्रेलिया की टीम ने ग्रुप स्तर पर टीम इंडिया के 330 रनों का सफल चेज कर जीत हासिल की थी। लिहाजा सेमीफाइनल मुकाबले में किसी अतिरिक्त करिश्मे की उम्मीद नहीं थी लेकिन जेमिमा रोड्रिग्स के रूप में मानो कोई फरिश्ता उतर आया और उसने अभूतपूर्व करिश्मा कर दिखाया। जेमिमा को इंग्लैंड के खिलाफ मुकाबले में ‘ड्रॉप’ किया गया था। जेमिमा की फॉर्म भी अच्छी नहीं थी। हालांकि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उसने नाबाद 127 रन ठोके थे। सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने 338 रन का पहाड़-जैसा लक्ष्य दिया था। जवाब में जब टीम इंडिया के सलामी बल्लेबाज शेफाली वर्मा और स्मृति मंधाना अपेक्षाकृत कम स्कोर पर आउट हो गए तो भारत की पारी डूबती-सी लगी। उन स्थितियों में जेमिमा ने नाबाद 127 रन (134 गेंद, 14 चौके) बनाकर न केवल विश्व कप का अपना पहला शतक लगाया, बल्कि कप्तान हरमनप्रीत कौर (88 गेंद पर 89 रन) के साथ तीसरे विकेट की साझेदारी में 167 रन (156 गेंद) बना कर ‘पहाड़’ की ऊंचाई को एक हद तक कम कर दिया।
जेमिमा ने दीप्ति शर्मा के साथ 38 रन (34 गेंद), ऋचा घोष के साथ 46 रन (31 गेंद) और अमनजोत कौर के साथ नाबाद 31 रन (15 गेंद) जोड़े और एक अविश्वसनीय-सी लग रही जीत पर मुहर लगा दी। विश्व कप का यह सबसे बड़ा और सफल चेस रहा। भारत ने 1978 में पहली बार महिला विश्व कप में हिस्सा लिया था। 2005 व 2017 में मिताली राज की कप्तानी में भारत फाइनल तक पहुंचा, पर दोनों बार ट्रॉफी हाथ से फिसल गई। आखिरकार हरमनप्रीत की कप्तानी में टीम विश्व विजेता बन गई। महिला टीम की यह पहली आईसीसी ट्रॉफी है। 1983 में कपिल देव और 2011 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में पुरुष टीम ने वनडे विश्व कप जीता था। अब हरमनप्रीत कौर की अगुआई में बेटियों ने भी विश्व चैंपियन का तमगा पा लिया। यह जीत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी। मैच में भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए सात विकेट पर 297 रन का स्कोर खड़ा किया जो महिला वनडे विश्व कप फाइनल का दूसरा सर्वोच्च स्कोर है, जवाब में दक्षिण अफ्रीका की टीम 246 रन पर ऑलआउट हो गई। कप्तान लौरा वोल्वार्ट (101) ने शतकीय पारी खेली, पर टीम को जीत नहीं दिला पाईं। महिला टीम की जीत ने 2024 टी-20 विश्व कप की यादें भी ताजा कर दीं, जब रोहित की कप्तानी ने भारत ने दक्षिण अफ्रीका को हराकर दूसरा टी-20 खिताब जीता था।
दक्षिण अफ्रीकी टीम पहली बार विश्व कप के फाइनल में पहुंची। टीम इंडिया ने उनके खेल और हुनर को किसी भी तरह कमतर आंकने के गलती नहीं की। महिला टीम इंडिया 2005 और 2017 में भी फाइनल में पहुंच चुकी है। हमें उस स्तर के तनाव और दबाव का अनुभव हो चुका था। टीम इंडिया ने 2017 विश्व कप में भी, सेमीफाइनल मुकाबले में, ऑस्टे्रलिया टीम को पराजित किया था। हम यह कई बार साबित कर चुके हैं कि ऑस्ट्रेलिया टीम ‘अजेय’ नहीं है। उसे किसी भी दिन, बेहतर खेल के जरिए, पराजित किया जा सकता है। अब भारत की बेटियों ने विश्व कप को जीत कर अपनी प्रतिभा, लगन और मजबूत इरादों का प्रदर्शन कर दिया है। यह प्रदर्शन उम्मीद से कहीं ज्यादा है। इसे भारतीय महिला क्रिकेट का उभार भी कहा जा सकता है। यह सिर्फ एक जीत नहीं, बल्कि भारतीय महिला क्रिकेट के स्वर्ण युग की शुरुआत है। अब तक पुरुष टीम के मुकाबले महिला क्रिकेट को कम आंका जाता था लेकिन इस जीत ने पूरी तस्वीर बदल दी है। अब बीसीसीआई और राज्य संघ महिला क्रिकेट में अधिक निवेश करेंगे, घरेलू टूर्नामेंट्स को विस्तार मिलेगा और नए प्रायोजक सामने आएंगे। यह ट्रॉफी सिर्फ एक खिताब नहीं, बल्कि आत्मविश्वास, समान अवसर और नए भारत की नारी शक्ति का उदाहरण बन जाएगी।

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