भारत के बासमती चावल का निर्यात 1,923 करोड़ रुपये बढ़ा, ये देश बना सबसे बड़ा खरीदार
India's Rice Export : मध्य पूर्व में जारी तनाव और वैश्विक अस्थिरता के बावजूद वित्त वर्ष 2024-25 में भारत के बासमती चावल के निर्यात में तेजी से वृद्धि हुई है। वाणिज्यिक खुफिया और सांख्यिकी महानिदेशालय (DGCI&S) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत ने इस साल बासमती चावल के निर्यात से 50,312 करोड़ रुपये ($5.87 बिलियन) कमाए, जो पिछले वित्त वर्ष 2023-24 के 48,389 करोड़ रुपये ($5.74 बिलियन) से 1,923 करोड़ रुपये अधिक है। बढ़ते तनाव के बावजूद यह व्यापारिक सफलता इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत का बासमती चावल का निर्यात काफी हद तक मध्य पूर्व के देशों पर निर्भर करता है।
सऊदी अरब बना सबसे बड़ा खरीदार
आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि भारत ने 2024-25 में 60.65 लाख मीट्रिक टन (LMT) बासमती चावल का निर्यात किया, जो 2023-24 की तुलना में 8.23 LMT या 15.7% अधिक है। पिछले साल भारत ने 154 देशों को बासमती चावल का निर्यात किया था, जबकि 2023-24 में यह संख्या 150 देशों की थी। सऊदी अरब भारत का सबसे बड़ा खरीदार था, जिसने 11.73 LMT बासमती चावल खरीदा। इसके बाद इराक (9.05 LMT) और ईरान (8.55 LMT) का स्थान रहा। ये तीनों देश पिछले साल भी शीर्ष आयातक थे, जिन्होंने क्रमशः 10.98 LMT, 8.24 LMT और 6.7 LMT की खरीद की थी।
ये देश भी हैं बासमती के खरीदार
अन्य प्रमुख आयातकों में यमन (3.92 LMT), UAE (3.89 LMT), US (2.74 LMT), UK (1.80 LMT), कुवैत (1.75 LMT), ओमान (1.49 LMT) और कतर (1.24 LMT) शामिल हैं। मूल्य के लिहाज से सऊदी अरब ने सबसे ज्यादा 10,190.73 करोड़ रुपये का बासमती चावल खरीदा। इसके बाद इराक ने 7,201 करोड़ रुपये, ईरान ने 6,374 करोड़ रुपये, यूएई ने 3,089 करोड़ रुपये, यमन ने 3,038.56 करोड़ रुपये और अमेरिका ने 2,849 करोड़ रुपये का भुगतान किया। इसके अलावा ब्रिटेन ने 1,613.36 करोड़ रुपये, कुवैत ने 1,518.8 करोड़ रुपये, ओमान ने 1,223 करोड़ रुपये और कतर ने 1,040 करोड़ रुपये का बासमती चावल भारत से खरीदा। भारत की यह उपलब्धि इस बात का संकेत है कि भले ही दुनिया में राजनीतिक अस्थिरता हो, लेकिन भारतीय कृषि उत्पादों, खासकर बासमती चावल की वैश्विक मांग लगातार बढ़ रही है।
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