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आपातकाल के 50 साल : इंदिरा गांधी पर लगा था चुनाव में धांधली करने का इल्जाम, जानिए डिटेल में

06:12 PM Jun 25, 2025 IST | Priya Pathania

नई दिल्ली। भारत में 50 साल पहले, 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल घोषित किया था। यह आपातकाल देश की संविधान व्यवस्था में सबसे विवादित और काला अध्याय माना जाता है। हालांकि उस समय विपक्षी नेता और कई लोग आपातकाल के खिलाफ थे, लेकिन अब कुछ नेताओं ने माना है कि इंदिरा गांधी ने संविधान का सम्मान करते हुए यह कदम उठाया था। शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने कहा, "इंदिरा गांधी ने संविधान का पूरा सम्मान करते हुए आपातकाल लगाया था। इसलिए इसे 'संविधान हत्या दिवस' नहीं कहा जा सकता।"

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आपातकाल क्यों लगाया गया था?

इंदिरा गांधी पर चुनाव में धांधली करने का इल्जाम लगा था और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी संसद सदस्यता भी रद्द कर दी थी। साथ ही, जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में विरोधी दलों, छात्रों और मजदूरों ने भ्रष्टाचार और आर्थिक समस्याओं के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया था। इंदिरा गांधी ने इसे "आंतरिक अस्थिरता" माना, जो देश के लिए खतरा थी। इसके चलते उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल लागू किया, जो उस समय "आंतरिक अस्थिरता" की वजह से घोषित किया जा सकता था। यह पहला मौका था जब समाजवादी और दक्षिणपंथी पार्टियों ने मिलकर इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ आवाज उठाई थी।

संविधान का कैसे किया गया इस्तेमाल?

- अनुच्छेद 352 (आंतरिक अस्थिरता): राष्ट्रपति ने इस अनुच्छेद के तहत आपातकाल की घोषणा की। आज यह अनुच्छेद केवल युद्ध, बाहरी हमला या सशस्त्र विद्रोह के लिए लागू होता है, लेकिन उस समय "आंतरिक अस्थिरता" भी मान्य कारण था।

- अनुच्छेद 358: इसके तहत आपातकाल के दौरान बोलने, लिखने और अन्य मौलिक अधिकारों को रोक दिया गया।

- अनुच्छेद 359: इसने अदालतों में जाने का अधिकार भी रोक दिया। यानी, कोई भी व्यक्ति अपने अधिकारों के लिए कोर्ट में नहीं जा सकता था।

- अनुच्छेद 356: इस अनुच्छेद का उपयोग कर इंदिरा गांधी ने विपक्षी सरकारों वाले नौ राज्यों की सरकारें गिरा दीं और कांग्रेस के समर्थक राज्यपालों को वहां भेजा।

- MISA कानून (रक्षा कानून): इस कानून का उपयोग विपक्ष के लोगों को बिना मुकदमे जेल में डालने के लिए किया गया। करीब एक लाख से ज्यादा लोग इस कानून के तहत जेल गए।

- सुप्रीम कोर्ट का फैसला (ADM जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ला केस): सुप्रीम कोर्ट ने आपातकाल के दौरान हक को सुरक्षित करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। यानि कि लोगों को जेल में डालने पर कोर्ट कुछ नहीं कह सकता था।

आपातकाल के बाद के सुधार

1977 में जब जनता पार्टी ने चुनाव जीतकर सरकार बनाई, तब इंदिरा गांधी के समय बने कई कानूनों और प्रावधानों को बदल दिया गया। 44वां संशोधन (1978) से आपातकाल की घोषणा के नियम सख्त किए गए। अब इसे केवल युद्ध या बाहरी हमले के लिए ही लागू किया जा सकता है, "आंतरिक अस्थिरता" नहीं। मौलिक अधिकारों को आपातकाल में भी सुरक्षित किया गया। MISA कानून को खत्म कर दिया गया। हालांकि, अनुच्छेद 356 अभी भी लागू है, लेकिन अब इसके लिए संसद की मंजूरी जरूरी है और यह केवल सीमित समय के लिए ही रह सकता है।

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