भारत-बांग्लादेश के सम्बन्ध और मधुर हुए
भारत और बांग्लादेश एशिया महाद्वीप के दो ऐसे राष्ट्र हैं जिनके बीच पिछले 50 वर्षों से आपसी सम्बन्ध लगातार मिठास भरे हैं और दोनों देशों में समय-समय पर हुए सत्ता परिवर्तन का असर इन सम्बन्धों पर नहीं पड़ा है।
03:19 AM Sep 10, 2022 IST | Aditya Chopra
भारत और बांग्लादेश एशिया महाद्वीप के दो ऐसे राष्ट्र हैं जिनके बीच पिछले 50 वर्षों से आपसी सम्बन्ध लगातार मिठास भरे हैं और दोनों देशों में समय-समय पर हुए सत्ता परिवर्तन का असर इन सम्बन्धों पर नहीं पड़ा है। हालांकि बांग्लादेश में इसके राष्ट्रपिता कहे जाने वाले बंघ बन्धु शेख मुजीबुर्रहमान की 1975 में हत्या किये जाने के बाद भारी राजनैतिक उथल-पुथल रही और सैनिक शासन तक ने ढाका की सड़कों पर मार्च किया और यहां का संविधान तक बदला गया परन्तु भारत की तरफ से हमेशा बांग्लादेशी जनता का ही समर्थन किया गया और उसके मत को ही वरीयता दी गई। इस देश में लोकतन्त्र लौटने के साथ ही सैनिक शासन के दौरान मुस्लिम जेहादी संगठनों को मिली शह की वजह से जब भारत के साथ सम्बन्ध तल्ख करने के प्रयास किये गये तो बांग्लादेशी जनता की तरफ से ही इसका प्रबल विरोध हुआ और यहां की जनता ने शेख मुजीबुर्रहमान की विरासत की ध्वज फहराते हुए उनकी पार्टी अवामी लीग की नेता शेख हसीना के हाथ में अपने देश की बागडोर सौंपी। शेख हसीना के सत्ता में रहते पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय के दौरान दोनों देशों के बीच के सम्बन्धों में प्रगाढ़ता और बढ़ी है तथा आपसी सम्बन्धों ने नये आयाम को छुआ है।
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2015 में भारत के नये प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बांग्लादेश के साथ वह ऐतिहासिक सीमा समझौता हुआ जो पिछले कई वर्षों से लटका पड़ा था। इसके तहत दोनों देशों के बीच भू स्थलों की अदला-बदली होनी थी। यह कार्य भारत की संसद में संविधान संशोधन करके हुआ और सर्वसम्मति से हुआ। इससे अन्दाजा लगाया जा सकता है कि भारत के लोगों के दिलों में बांग्लादेश का क्या स्थान है? इस देश की प्रधानमन्त्री शेख हसीना वाजेद चार दिन की भारत की राजकीय यात्रा करके ढाका वापस लौट गई हैं और सन्देश दे कर गई हैं कि जब तक श्री मोदी प्रधानमन्त्री हैं तब तक दोनों देशों के बीच कोई विवाद लम्बा नहीं खिंच सकता। उन्हें उम्मीद है कि सभी विवादास्पद मुद्दे सुलझा लिये जायेंगे जिनमें तीस्ता नदी का जल बंटवारा प्रमुख माना जाता है। मगर उनकी इस यात्रा के मध्य कुशियारा नदी के जल बंटवारे पर अन्तरिम समझौता भी हुआ। बांग्लादेश एसा राष्ट्र है जिसमें से होकर भारत की गंगा नदी के अलावा और भी अन्य दर्जन से अधिक नदियां गुजरती हैं और बंगाल की खाङी मे गिरती हैं। गंगा का इस देश में प्रवेश होते ही इसे ‘पद्मा’ कहा जाने लगता है। पद्मा नदी की बांग्लादेश में भी बहुत अधिक महत्ता मानी जाती है। 25 वर्ष पहले 1996 में गंगा जल बंटवारे पर दोनों देशों के बीच समझौता हुआ था। शेख हसीना की यात्रा के समापन पर दोनों देशों की तरफ से जो संयुक्त वक्तव्य जारी किया है उसमें रक्षा क्षेत्र से लेकर परमाणु ऊर्जा तक के क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ाने को प्राथमिकता दी गई है तथा दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने के लिए संपुष्ट समझौता करने पर सहमति व्यक्त की गई है। दोनों देशों के बीच आपसी सम्पर्क के नये मार्ग स्थापित करने पर भी जोर दिये जाने के साथ भारत की तरफ से आवश्यक खाद्य सामग्री की ढाका तक निर्बाध आपूर्ति को सुनिश्चित किया गया है।
स्पष्ट रूप से भारत ने बांग्लादेश के सर्वांगीण विकास के लिए पूरी सहायता देने का वचन दिया है और बदले में शेख हसीना ने भारत के साथ हर महत्वपूर्ण क्षेत्र में सहयोग करने का विश्वास व्यक्त किया है। सीमा पर शान्ति व सौहार्द बनाये रखने के लिए किसी भी व्यक्ति के हताहत न होने के प्रति भी वचनबद्धता व्यक्त की गई है। भारत की समुद्री सीमा की रक्षा हेतु तटवर्ती राडार लगाने की अनुमति भी बांग्लादेश ने प्रदान की है। यह ध्यान में रखने वाली बात है कि भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए पड़ोसी सामुद्रिक सीमा छूते देशों के साथ सम्बन्धों की प्रगाढ़ता बहुत महत्व रखती है क्योंकि भारत की समुद्री सीमा सुरक्षा का पहली पंक्ति यहीं से शुरू होती है। इस संदर्भ में भारत ने तीन वर्ष पहले तटवर्ती राडार उत्पादन हेतु बांग्लादेश के साथ आशय पत्र पर हस्ताक्षर किये थे। इस परियोजना को बांग्लादेश वितरण सेवा (क्रेडिट लाइन) के जरिये लागू करने पर राजी हो गया है। इसी प्रकार भारत ने बांग्लादेश में आये 11 लाख से अधिक रोहिंिग्या शर्णार्थियों को मानवीय आधार पर मदद करने के लिए बांग्लादेश सरकार की प्रशंसा की और उन्हें वापस अपने देश म्यांमार में बसाने के लिए अपने सहयोग का आश्वासन भी दिया क्योंकि भारत ही एक मात्र ऐसा देश है जिसकी सीमाएं बांग्लादेश व म्यांमार दोनों से मिलती हैं। कुल मिला कर शेख हसीना की मौजूदा यात्रा से दोनों देशों के बीच सम्बन्ध और मजबूत व मधुर होंगे और तीस्ता जल विवाद का हल भी जल्दी ही निकलेगा।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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Adityachopra@punjabkesari.com
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