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आर्थिक सर्वेक्षण में महंगाई !

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण के साथ ही संसद का बजट सत्र शुरू

04:38 AM Feb 01, 2025 IST | Aditya Chopra

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण के साथ ही संसद का बजट सत्र शुरू

आर्थिक सर्वेक्षण में महंगाई

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण के साथ ही संसद का बजट सत्र शुरू हो गया है। आज संसद में वित्तमन्त्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने वार्षिक आर्थिक सर्वेक्षण भी प्रस्तुत किया जिसमें आगामी वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार आने की उम्मीद जताई गई है। वित्तमन्त्री 1 फरवरी को सालाना बजट भी पेश करेंगी अतः सर्वेक्षण में पेश आंकड़ों से यह उम्मीद जग रही है कि वह निजी आयकर के क्षेत्र में व्यापक संशोधन कर सकती हैं। सर्वेक्षण में सकल विकास वृद्धि दर में आगामी वर्ष में ज्यादा सुधार होने की संभावना से इन्कार किया गया है और कहा गया है कि यह 6.3 से 6.8 के बीच रह सकती है जबकि 2024-25 में 6.4 रही। इससे साफ जाहिर होता है कि देश में उत्पादन के मोर्चे पर हालात बहुत ज्यादा बेहतर होने की संभावना नहीं है। इससे जुड़ा हुआ सवाल रोजगार का है अतः इस क्षेत्र में भी भारत छलांग लगाता हुआ नहीं दिखाई पड़ेगा। इसे देखकर कहा जा सकता है कि शनिवार को पेश होने वाले बजट में औद्योगिक उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेष उपाय किये जा सकते हैं। इसके साथ ही महंगाई के मोर्चे पर भी ज्यादा सुधार होते हुए नहीं दिखाई पड़ रहा है।

सर्वेक्षण में बताया गया है कि चालू वर्ष के दौरान खाने-पीने की सामग्री के दामों में वृद्धि हुई है और इसकी दर 7.5 से बढ़कर 8.4 हो गई है। जबकि सकल महंगाई की दर 5.4 प्रतिशत रही है। यह सरकार द्वारा लक्षित दर से अधिक है। क्योंकि रिजर्व बैंक ने यह दर 4 प्रतिशत के आसपास रहने का लक्ष्य बांधा था। जहां तक विदेशी मुद्रा के भारत में आने का सवाल है तो इसमें भी दिसम्बर मास में कमी आयी है। सर्वेक्षण से स्पष्ट होता है कि रोजगार के मोर्चे पर इसे छलांग लगाने की जरूरत है और साथ ही प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के भी इसे संसाधन जुटाने होंगे। वर्तमान समय में जहां विश्व भर में सकल विकास वृद्धि की दर स्थिर है और इनमें विपरीत परिस्थितियां बन रही हैं वहीं भारत में विकास वृद्धि दर सन्तोषजनक है। इसका अर्थ यह है कि भारत यदि कोशिश करे तो वह विदेशी निवेश को और आकर्षित कर सकता है बशर्ते इसकी अर्थव्यवस्था मजबूती का इजहार करती हुई चले फिलहाल दिसम्बर महीने में इसमें हल्की गिरावट आयी है।

सर्वेक्षण का सम्बन्ध बजट से ही होता है क्योंकि इसमें बताई गई सूचनाएं बजट तैयार करने के लिए महत्वपूर्ण होती हैं। कृषि क्षेत्र में भी वृद्धि दर सन्तोषजनक बताई जा रही है जो कि तीन प्रतिशत से ऊपर रही है। इस मोर्चे पर हमें बहुत सावधानीपूर्वक चलने की जरूरत है क्योंकि भारत में सर्वाधिक रोजगार देने वाला यही क्षेत्र है। इसके बाद लघु व मझोला उत्पादन क्षेत्र आता है। इस क्षेत्र पर बजट में जोर रहेगा, एेसी राय विशेषज्ञ प्रकट कर रहे हैं। मगर महंगाई व रोजगार के मोर्चे पर सरकार को एेसे कदम उठाने होंगे जिससे खाद्य वस्तुओं के दाम ज्यादा न बढ़ सकें। इसके साथ ही बजट में हमें आर्थिक गैर बराबरी दूर करने के उपाय भी करने होंगे क्योंकि अमीर-गरीब के बीच की खाई लगातार बढ़ रही है। देश की कुल सम्पत्ति से 40 प्रतिशत सम्पत्ति केवल एक प्रतिशत लोगों के हाथ में है जबकि भारत के लोगों की प्रति व्यक्ति आय बंगलादेश के लोगों की प्रति व्यक्ति आय से भी कम है। हमें पूंजी का विकेन्द्रीकरण करने के बारे में भी गंभीरता से सोचना होगा क्योंकि भारत एक लोककल्याणकारी राज्य है। इसके लिए हमें विज्ञान का प्रयोग गरीबी दूर करने के लिए करना होगा। सर्वेक्षण में कृत्रिम ज्ञान (आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस) का उपयोग नई टैक्नोलॉजी के साथ रोजगार अवसरों के सापेक्ष करने की बात कही गई है। यह क्षेत्र भारत जैसे देश के लिए बेशक नया हो मगर हम जानते हैं कि जब अस्सी के दशक में कम्प्यूटर आया था तो रोजगार खत्म होने की कितनी अफवाहें उड़ाई गई थीं मगर आज इसी क्षेत्र में भारत दुनिया का सिरमौर बना हुआ है।

भारत के युवाओं ने इसके साफ्टवेयर क्षेत्र पर अपना दबदबा बनाया हुआ है। सर्वेक्षण बता रहा है कि महंगाई की दर थोड़ी बढ़ सकती है जबकि रोजगार पैदा होने की संभावनाएं ज्यादा दिखाई नहीं पड़ती, इसके बावजूद सरकार यदि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सहारा देने के उपक्रम करे तो हम स्थितियां बदल भी सकते हैं मगर इसके लिए मध्यम औद्योगिक क्षेत्र व कृषि पर विशेष जोर देना होगा। उम्मीद की जानी चाहिए कि शनिवार को पेश होने वाला बजट ये अपेक्षाएं पूरी करेगा। इसके लिए मध्यम वर्ग के लोगों को विशेष प्रोत्साहन देने की जरूरत है जिससे वे रोजगार पैदा करने वाली इकाई बन सकें।

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Aditya Chopra

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