W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

महंगाई से राहत

मुद्रास्फीति में गिरावट दर किसी के लिए एक राहत के रूप में आती है।

12:55 AM Dec 14, 2022 IST | Aditya Chopra

मुद्रास्फीति में गिरावट दर किसी के लिए एक राहत के रूप में आती है।

महंगाई से राहत
मुद्रास्फीति में गिरावट दर किसी के लिए एक राहत के रूप में आती है। महंगाई कम होने से आम आदमी, आरबीआई औेर केन्द्र सरकार के लिए बड़ी राहत है। आरबीआई और केन्द्र सरकार वर्ष 2022 के पहले महीने से ही महंगाई को कम करने के​ लिए संघर्ष कर रही थी। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक देश की खुदरा महंगाई नवम्बर में 6.77 प्रतिशत से घटकर 11 महीने के निचले स्तर 5.88 प्रतिशत पर आ गई है। पिछले साल दिसम्बर के बाद यह पहली बार है जब खुदरा मुद्रास्फीति आरबीआई के 6 प्रतिशत के सहनशीलता स्तर  से नीचे आई है। खाद्य मुद्रास्फीति में कमी आई है और सब्जियों की कीमतों में सुधार हुआ है। आरबीआई ने पिछले हफ्ते कहा था कि महंगाई का बुरा दौर बीत चुका है लेकिन कीमतों में बढ़ौतरी के खिलाफ लड़ाई में आत्म संतोष की कोई गुंजाइश नहीं है। वह ‘अर्जुन की नजर’ विकसित मुद्रास्फीति गतिशीलता और अगले 12 महीनों के लिए अनुमानित मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत से ऊपर रहने पर रखेगा। महंगाई को लेकर संसद में विपक्ष केन्द्र सरकार को निशाने पर ले रहा है। विपक्ष देश की अर्थव्यवस्था पर भी सवाल उठा रहा है। लोकतंत्र में विपक्ष को सवाल उठाने का हक है और सरकार विपक्ष के सवालों का जवाब भी दे रही है।
Advertisement
महंगाई को कम करने के लिए आरबीआई ने कड़ा रुख अपनाया था और उसने लगातार रेपोरेट में बढ़ौतरी की थी। आरबीआई की मौद्रिक नीति की आलोचना होती रही है। क्योंकि उसने आठ महीनों में पांचवीं बार नीतिगत दरों में बढ़ौतरी की है। अर्थशा​स्त्रियों का मानना है कि अगर महंगाई में कोई बड़ी कमी देखने को नहीं मिली तो आरबीआई अगले वर्ष फरवरी में रेपो दर को और बढ़ा सकता है। अब जबकि महंगाई कम हुई है और खुदरा महंगाई की दर 6 फीसदी से नीचे होने पर महंगाई नियंत्रण में मानी जाती है। अब यह उम्मीद की जा रही है कि आरबीआई रेपो दरों को स्थिर कर सकता है। इसका अर्थ यही है कि लोगों की ईएमआई और नहीं बढ़ेगी। आरबीआई की नीति से संबंधित समिति में रेपो दर बढ़ाने के फैसलों को लेकर एक राय नहीं थी।
इसके छह सदस्यों में से एक ने जहां नीतिगत दर को बढ़ाने के खिलाफ मतदान सम्भवतः इसलिए किया कि अभी तक जारी अस्थायी आर्थिक सुधार की प्रक्रिया को धीमी न किया जा सके, वहीं दो सदस्यों ने ‘समायोजन की वापसी पर ध्यान केन्द्रित’ करने के नीतिगत रुख से असहमति जताई। हालांकि बहुमत ने यह जोर देकर कहा कि ‘‘मुद्रास्फीति की उम्मीदों को स्थिर रखने, मूल मुद्रास्फीति की जकड़न को तोड़ने और दूसरे दौर के प्रभाव को रोकने के लिए और अधिक ठोस मौद्रिक नीति से जुड़ी कार्रवाई की जरूरत है।’’ उनका तर्क है कि मूल्य स्थिरता आखिरकार मध्यम अ​वधि के विकास की सम्भावनाओं को मजबूत करने की दिशा में काम करेगी। कुल मिलाकर जैसा कि भारतीय रिजर्व बैंक की ताजा मौद्रिक नीति रिपोर्ट में कहा गया है, ‘दूसरे दौर के प्रभाव मुद्रास्फीति को आठ तिमाहियों के बाद भी उच्च स्तर पर बनाए रख सकते हैं’ और इसलिए मुद्रास्फीति की उम्मीदों को स्थिर करने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप करना अनिवार्य था।
संसद के शीतकालीन सत्र में जब विपक्षी सांसदों ने देश की अर्थव्यवस्था पर सवाल खड़े किए तब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया। निर्मला सीतारमण ने कहा कि देश की मजबूत अर्थव्यवस्था को देखकर कुछ लोगों को जलन हो रही है। वित्त मंत्री ने विपक्ष से उन दिनों की याद दिलाई जिस वक्त देश की अर्थव्यवस्था आईसीयू में थी। पूरी दुनिया में भारत को ‘फ्रैजाइल फाइव’ में रखा गया था और उस समय हमारा विदेशी मुद्रा भंडार एकदम नीचे आ गया था। पहले कोरोना की महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के बावजूद भी भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन चुकी है। विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार बढ़ौतरी हो रही है। अर्थव्यवस्था के सभी संकेतक अच्छे संकेत दे रहे हैं। पूरी दुनिया मंदी की आशंका से परेशान है। लेकिन भारत में मंदी की कोई आशंका नहीं है। भारत में लगातार विदेशी निवेश बढ़ रहा है। इसका ठोस कारण आत्मनिर्भर भारत अभियान भी है।
Advertisement
भारत को वैश्विक आपूर्ति शृंखला में प्रमुखता से स्थापित करने का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आह्वान भी धीरे-धीरे साकार हो रहा है। भारत हर स्थिति का सामना करने के लिए तैयार है। कोरोना महामारी पर नियंत्रण के साथ ही उपभोक्ताओं आैर कारोबारियों का उत्साह बढ़ा है। आर्थिक सुधारों तथा नीतिगत पहलों से घरेलू उद्योगों में जान आई है। वहीं रूस-यूक्रेन युद्ध के बावजूद भारत ने जिस तरीके से अपने हितों की रक्षा की है उसकी प्रशंसा पूरी दुनिया में हो रही है। स्वतंत्र विदेश और वाणिज्य नीति के कारण भारत में दुनिया का भरोसा भी लगातार बढ़ रहा है। महंगाई का कम होना और अर्थव्यवस्था का मजबूत होना शुभ संकेत हैं। अगर भारत इसी तरह आगे बढ़ता रहा तो स्वतंत्रता प्राप्ति के 100वें वर्ष 2047 तक भारत एक आर्थिक महाशक्ति बनकर उभर आएगा।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
Advertisement W3Schools
Author Image

Aditya Chopra

View all posts

Aditya Chopra is well known for his phenomenal viral articles.

Advertisement
×