मियावाकी पद्धति से हरियाली लौटाने की पहल
मियावाकी तकनीक से शहर में हरियाली की नई लहर
मेघालय सरकार पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रही है। राज्य में अब जापान की मशहूर मियावाकी पद्धति (Miyawaki Method) से तेज़ी से घने और स्थायी जंगल लगाए जा रहे हैं। यह पद्धति जापानी वनस्पति विज्ञानी अकीरा मियावाकी द्वारा विकसित की गई थी और अब इसे मेघालय के विभिन्न हिस्सों में सफलतापूर्वक लागू किया जा रहा है। राज्य ने Payment for Ecosystem Services (PES) के ज़रिए स्थानीय लोगों को वित्तीय प्रोत्साहन भी देना शुरू किया है, जिससे लोग अपने इलाकों में वनों के संरक्षण के लिए प्रेरित हो सकें।
मुख्यमंत्री कोनराड संगमा की पहल से शुरू हुआ हरित अभियान
मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने राज्य में बढ़ते वनों की कटाई पर चिंता जताई थी और तभी से उन्होंने हरियाली लौटाने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की। ‘ग्रीन मेघालय’ जैसी पहलों के साथ राज्य सरकार ने विभिन्न संगठनों के साथ मिलकर वनीकरण और संरक्षण के कार्य शुरू किए हैं। राज्य ने Payment for Ecosystem Services (PES) के ज़रिए स्थानीय लोगों को वित्तीय प्रोत्साहन भी देना शुरू किया है, जिससे लोग अपने इलाकों में वनों के संरक्षण के लिए प्रेरित हो सकें।
पूर्व खासी हिल्स में 15 हेक्टेयर में लग रहा है घना जंगल
गुरुवार को मुख्यमंत्री ने ईस्ट खासी हिल्स के उम्मीर गांव के मौशरच इलाके में चल रही एक मियावाकी परियोजना का दौरा किया। यहाँ 15 हेक्टेयर में घना जंगल उगाया जा रहा है, जहाँ पेड़ों को बेहद पास-पास लगाकर एक प्राकृतिक, बहुस्तरीय जंगल बनाया जा रहा है।
स्थानीय समुदायों की भागीदारी से बन रही है ‘ग्रीन मेघालय’
जल और मृदा संरक्षण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस पद्धति में देशी प्रजातियों के पेड़ एक दूसरे के क़रीब लगाए जाते हैं, जिससे जंगल तेज़ी से बढ़ता है और समय के साथ कम रखरखाव में भी खुद-ब-खुद पनपता है। राज्य की पहली मियावाकी परियोजना तीन साल पहले गारो हिल्स में शुरू की गई थी और अब इसे पूरे मेघालय में विस्तार दिया जा रहा है।