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किसी भी आराध्य व धर्म गुरु का अपमान असहनीय है!

03:27 AM Oct 16, 2024 IST | Shera Rajput
किसी भी आराध्य व धर्म गुरु का अपमान असहनीय है
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धार्मिक कट्टरता के चलते अब बहराइच में आग लग रही है। वहीं हिंदू और मुस्लिम, जो एक-दूसरे के ऊपर जान छिड़कते थे, जिनकी साझा विरासत दूध और शक्कर की तरह थी मिश्रित थी, और जो कहता थे, "मुझको सुकून मिलता है मेरी आज़ान से/ भारत सुरक्षित है गीता के ज्ञान से", एक दूसरे के जानी दुश्मन बन गए हैं। हालांकि सभी हिंदू-मुस्लिम ऐसे नहीं हैं, मगर यह ज़हर फैलता जा रहा है। ऐसा देखा गया है कि आए दिन किसी न किसी धर्म गुरु की अवहेलना की जाती रही है, जिससे उस के अनुयाइयों की भावनाएं आहत होती हैं। चाहे वह, मस्जिदों के मीनारों पर चढ़कर हरे झंडे उतार कर भगवा झंडे लगाना हो या शिवरात्रि व दुर्गा पूजा आदि जुलूसों में मुस्लिमों की ओर से पत्थरबाजी आदि हो, ये सारे कांड भारत के जगत गुरु बनने की राह में स्पीड ब्रेकर हैं और इन पर तुरन्त नकेल कसनी चाहिए। धार्मिक आराध्य चाहे जिसके भी हों, आस्था किसी की भी ही, मान-सम्मान सभी का मान्य है।
अपने बयानों को लेकर विवादों में बने रहने वाले महंत यति नरसिंहानंद, कुछ दिनों से फिर से चर्चा में हैं। गाजियाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान पैगंबर मोहम्मद व कुरान को लेकर आपत्तिजनक बातें कहने पर यति नरसिंहानंद के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गई है। सोशल मीडिया पर उनके बयान का वीडियो तेजी से वायरल हुआ जिसके बाद लोग आक्रोशित हो गए। इस प्रकार के व्याख्यानों से वैमनस्य और दुराचार फैलता है।
यति ने लोगों से ये तक अपील कर दी कि मेघनाद, कुंभकर्ण और रावण का पुतला न जलाएं क्योंकि इस धरती पर उनके जैसा चरित्रवान व्यक्ति पैदा नहीं हुआ! "मेघनाद जैसा वैज्ञानिक और योद्धा पैदा नहीं हुआ।" यति ने इसके बाद पैगंबर पर बेहद आपत्तिजनक बातें कर दी। उन्होंने कहा, "कोई रिकॉर्ड कर रहा है या नहीं? सब रिकॉर्ड करना और वायरल करना!" यति ने पैगंबर मोहम्मद साहब और कुरान पर विवादित बातें कहीं। वह इससे पूर्व भी इस्लाम और मुस्लिमों के विरुद्ध इस प्रकार की भद्दी टिप्पणियां करते चले आए हैं। वीडियो वायरल होने के बाद सिहानी गेट थाने में उनके खिलाफ गाजियाबाद पुलिस ने केस दर्ज किया है। धार्मिक भावनाएं आहत करने के मामले में यति के खिलाफ आगे की कानूनी कार्रवाई होगी। उनके इस कुकर्म पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी उन पर लानत भेजी है।
उन्हें इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि भारतीय समाज मिश्रित परंपरा वाला समाज है, जहां, बक़ौल इमाम उमैर अहमद इलियासी, हिंदू व मुसलमान कुरान की इस हिदायत पर चलें, जिस में कहा गया है, "तुम्हें तुम्हारा दिन मुबारक, हमें हमारा!"
कुछ समय पूर्व, धार्मिक उन्माद के चलते राजस्थान में एक दर्जी, कन्हैया कुमार का सर तन से जुदा कर दिया गया था। वास्तव में भाजपा की प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने हज़रत मुहम्मद (स.) के विरुद्ध कुछ अपशब्द कहे थे, जिस पर बड़ा उधम काटा गया और दो लोगों की जानें भी गईं। धमकियां तो उन्हें भी बहुत दी गईं और उनके सर को भी तन से जुदा करने की बात कही गई थी, जो कि भले ही ग़ैर इस्लामी है, मगर बावजूद इसके उन्हें अब तक छिप कर रहना पड़ रहा है। ऐसी बातों से हर व्यक्ति को परहेज करना चाहिए क्योंकि जब दुनिया जानती है मुस्लिम हजरत मुहम्मद (स.) के ऊपर आंच आने पर जान देने हैं, तो फिर उनके विरुद्ध अपशब्द क्यों बोलते हैं। बात दरअसल यह है कि सभी के धार्मिक आराध्यों की इज्जत होनी चाहिए।
कई वर्ष पूर्व हज़रत मुहम्मद (स.) के विरुद्ध डेनमार्क की "जायलैंडज" पत्रिका ने बड़े ग़लत कार्टून प्रकाशित किए थे, तो उस पर भी बड़ा खटराग खड़ा हो गया था। पूर्ण विश्व के मुस्लिम संप्रदाय को उससे अति हृदय विदारक यातना पहुंची थीं। इसी प्रकार से एक पश्चिमी देश के व्यक्ति ने मुसलमानों का पवित्र धार्मिक ग्रंथ, कुरान जला दिया था, जिससे भी मुस्लिम तबके को ज़बरदस्त धक्का लगा था। बांग्लादेश की तस्लीमा नसरीन ने भी बड़ी अनुचित बातें लिखी थीं, हज़रत मुहम्मद (स.) के संबंध में, जिसके कारण उन्हें देश से निकाल दिया गया था। सलमान रुश्दी ने भी "सैटेनिक वर्सेज" नामक एक घटिया सी पुस्तक लिखी, जिस पर बड़ा बवंडर उठा। इस प्रकार से मुस्लिम तबके की अवहेलना अब से नहीं सैकड़ों सालों से की जाती रही है। वैसे आम मुस्लिम इन बातों से दूर रहते हैं। इस प्रकार के अपमान के बाद, प्रसिद्ध मुस्लिम, सड़कों पर आते हैं और भारत सरकार से शिकायत करते हैं। ईसाईयों में कोई इस बात की चिंता नहीं करता कि कौन हज़रत ईसा मसीह का कार्टून बनाता है और कौन मखौल उड़ाता है या तौहीन करता है। इसका ईसाई भाई कोई नोट नहीं लेते। वे कहते हैं, जितना हम बुरा मानेंगे, लोग उतनी ही तौहीन करेंगे। हज़रत मुहम्मद (स.) का दिल इतना बड़ा था कि लोग उनके साथ न जाने क्या क्या ज़ुल्म करते थे, आप सबको माफ कर दिया करते थे।

- फ़िरोज़ बख्त अहमद

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