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क्या पाकिस्तान एक जायज मुल्क है ?

उस समय उत्तर भारत में धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही भारतीय जनसंघ पार्टी इस नारे…

10:57 AM May 09, 2025 IST | Rakesh Kapoor

उस समय उत्तर भारत में धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही भारतीय जनसंघ पार्टी इस नारे…

अपने बचपन में सुना यह नारा मुझे आज तक याद है कि :

एक धक्का और दो

पाकिस्तान तोड़ दो

उस समय उत्तर भारत में धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही भारतीय जनसंघ पार्टी इस नारे को हर उस अवसर पर लगाया करती थी जब भी पाकिस्तान की ओर से बुरी नीयत के साथ सीमाओं पर गोलाबारी की जाती थी। उस समय मेरी समझ में इस नारे का ज्यादा अर्थ नहीं आता था बस इतनी ही मेरी जानकारी थी कि दस वर्ष पहले भारत को तोड़ कर ही एक नये देश पाकिस्तान का निर्माण हुआ है। तब इतना भी समझ में आता था कि पाकिस्तान मुसलमानों के लिए बनाया गया था परन्तु किशोरवय तक पहुंचने पर पाकिस्तान के पीछे के फलसफे के बारे में भी मुझे हल्का-हल्का ज्ञान होने लगा और यह पता लगा कि उत्तर प्रदेश के शहरों में जो पंजाबी रहते हैं वे पहले उन्हीं जगहों पर रहते थे जिन्हें आज पाकिस्तान के रूप में जाना जाता है। अतः धीरे-धीरे यह स्पष्ट होने लगा कि भारतीय जनसंघ पाकिस्तान का विरोध क्यों करती है और उसकी हरकतों पर जब भारत की तत्कालीन सरकार कड़ा विरोध पत्र लिखती है तो जनसंघ की सभाओं में यह नारा क्यों लगाया जाता है।

दरअसल पाकिस्तान का निर्माण ही हिन्दू विरोध की बुनियाद पर हुआ था जबकि पाकिस्तान बनने के बावजूद भारत में करोड़ों मुसलमान नागरिक रहते थे। भारतीय जनसंघ के तब के नेता पाकिस्तान को कड़ा विरोध पत्र लिखने का मजाक उड़ाया करते थे और कहते थे कि पाकिस्तान सीमा पर हमारे सैनिकों पर गोलियां चलाता है और हम वहां की सरकार को कड़ा विरोध पत्र लिख देते हैं। कल की भारतीय जनसंघ पार्टी ही आज की भारतीय जनता पार्टी है। अतः वर्तमान में भाजपा के प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी पाकिस्तान के खिलाफ जो कड़ा रुख अपना रहे हैं उसकी कैफियत भारत के स्वतन्त्रता के बाद के ताजा इतिहास में छिपी हुई है। यदि और विश्लेषण किया जाये तो 2014 में सत्ता पर काबिज होने के बाद श्री मोदी ने हर चन्द कोशिश की कि पाकिस्तान से भारत के सम्बन्धों में सुधार हो मगर पाकिस्तान ने उनके हर सद्प्रयास को असफल किया।

भारत में पाकिस्तान आतंकवाद 1989 से फैला रहा है और इस तरह फैला रहा है कि मानों की आतंकवाद उसकी विदेश नीति का अभिन्न अंग हो। असलियत यह है कि पाकिस्तान के 1971 में दोफाड़ होने के बाद इसके हुक्मरानों ने जो नीतियां अपनाईं उनमें भी हिन्दू विरोध ही प्रमुख रहा जो कि पाकिस्तान बनने की बुनियाद है। जबकि दूसरी तरफ भारत के नेताओं ने कभी भी इस फलसफे को स्वीकार नहीं किया और आजाद होने पर भारत को धर्मनिरपेक्ष देश ही घोषित नहीं किया बल्कि मुसलमानों को हिन्दू नागरिकों के समान ही बराबर के अधिकार दिये। यह भी कहा जा सकता है कि भारत में जितनी भी कांग्रेस या गैर भाजपाई सरकारें रहीं सभी ने मुसलमानों को हिन्दुओं से भी बढ़ कर सीमित क्षेत्र में अधिकार दिये। इनमें मुसलमानों के लिए अलग से उनकी धार्मिक नागरिक संहिता शामिल थी। हालांकि यह केवल घऱेलू नियम-कायदों तक ही सीमित थी परन्तु हिन्दुओं के अधिकारों के ऊपर थी। जिसके चलते सत्तर के दशक में यहां तक मांग उठी कि मुसलमानों का भारतीयकरण होना चाहिए।

हैरान करने वाली बात यह है कि 1970 के लगभग यह मांग किसी राजनीतिज्ञ ने नहीं बल्कि प्रसिद्ध फिल्मी कलाकार स्व. देवानन्द ने उठाई थी और इसका समर्थन तब जनसंघ के बहुत बड़े नेता स्व. बलराज मधोक ने किया था। मगर आज का ज्वलन्त प्रश्न पाकिस्तान के अस्तित्व को लेकर है क्योंकि वह भारत के खिलाफ लगातार हिन्दू विरोध के नाम पर अपने देश में ‘महाज’ छेड़े हुए है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण कश्मीर के पहलगाम में विगत 22 अप्रैल को हुई घटना है जिसमें पाक से आये आतंकवादियों ने सैर-सपाटा करने आये सैलानियों को उनका मजहब पूछ-पूछ कर चुन-चुन कर हिन्दुओं को ही मारा मगर इनके हत्थे एक देशभक्त कश्मीरी नागरिक भी चढ़ गया जो हिन्दू पर्यटकों की जान बचाना चाहता था।

इस हृदय विदारक घटना ने पूरे देशवासियों को सकते में डाल दिया जिस पर प्रधानमन्त्री मोदी ने अपनी पहली प्रति​िक्रया में कहा कि आतंकवादियों व उनके समर्थकों को मिट्टी में मिला दिया जायेगा और कल्पना से परे की सजा दी जायेगी। वास्तव में भारत सरकार की तरफ से एेसा ही किया गया और पाक व उसकी गुलामी में जी रहे कश्मीर में नौ स्थानों पर आतंक के अड्डों को नष्ट कर दिया गया। जो लोग इस इतिहास से वाकिफ हैं कि पाकिस्तान को 1947 में किन परिस्थितियों में बनाया गया था, उन्हें मालूम होगा कि भारत को काट कर एक नया मुल्क बनाने की साजिश किस तरह हुई थी? हकीकत तो यह है कि अंग्रेजों ने तब मुस्लिम लीग के नेता मुहम्मद अली जिन्ना को मुसलमानों को बरगलाने की खुली छूट दे दी थी। 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ जाने के बाद अंग्रेजों ने 8 अगस्त 1942 के बाद कांग्रेस के सभी नेताओं को जेल में डाल दिया था और गांधी जी को छोड़ कर शेष सभी को 1945 में तब रिहा किया था जब युद्ध समाप्त हो गया था।

जिन्ना के लिए उस समय पूरा भारत राजनीति करने के लिए खुला हुआ था। जिन्ना की मुस्लिम लीग ने तब पूरे देश में हिन्दू-मुस्लिम बैर को सिरे चढ़ाया और एेलान किया कि हिन्दू-मुसलमान एक देश में एक साथ कभी नहीं रह सकते। ये दो अलग-अलग संस्कृतियां हैं अतः इनके देश भी अलग-अलग होने चाहिए। तब भारत के पसमान्दा मुसलमानों ने इस सिद्धान्त का पुरजोर विरोध किया था मगर उनके खेमे में गरीब-गुरबे 80 प्रतिशत से ज्यादा मुसलमान थे। जिन्ना के साथ भारत के अधिसंख्य जमींदार व संभ्रान्त समझे जाने वाले अशराफिया मुसलमान थे।

अंग्रेजों का पहले इरादा था कि वे 1973 तक भारत में रहेंगे मगर द्वितीय विश्व युद्ध के समाप्त हो जाने पर अमेरिका चाहता था कि अंग्रेज भारत से जल्द से जल्द चले जायें। इसकी वजह यह थी कि इस युद्ध में ब्रिटेन कंगाल हो गया था और उसकी फौजों को वेतन भी अमेरिकी खजाने से जा रहा था। जिसके चलते अंग्रेजों ने भारत को स्वतन्त्रता 1947 में दे दी और जिन्ना से समझौता कर लिया कि भारत के दो मुस्लिम बहुल बंगाल व पंजाब राज्यों का बंटवारा किया जायेगा और मुस्लिम बहुल इलाकों को पाकिस्तान बना दिया जायेगा। इसका पूरा विवरण पाकिस्तान मूल के ही लेखक डा. इश्तियाक अहमद ने अपनी जिन्ना पर लिखी पुस्तक में दिया है। यह सवाल पैदा होना लाजिमी है कि पाकिस्तान क्या एक जायज मुल्क है क्योंकि इससे भी ज्यादा मुसलमान भारत में रहते हैं। ये मुसलमान देश भक्ति में किसी से कम नहीं हैं मगर स्वतन्त्र भारत में इन्हें केवल मजहबी दायरे में सीमित करके ही स्वतन्त्रता का तोहफा दिया गया और मुल्ला-मौलवियों के रहमो-करम पर छोड़ दिया गया।

इसी वजह से इनके तुष्टीकरण के आरोप कांग्रेस व उसकी हमसाया पार्टियों पर लगते रहते हैं। तथ्य तो यह भी है कि मुसलमानों की स्थिति दलितों से भी बदतर है इसके बावजूद इनकी राष्ट्रभक्ति को चुनौती नहीं दी जा सकती है क्योंकि ये सबसे पहले भारतीय मुसलमान हैं। पाकिस्तान के नाजायज मुल्क होने का यही सबसे बड़ा प्रमाण है कि भारत में पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमान रहते हैं। इसके बावजूद पाकिस्तान अपनी हिन्दू विरोध की राजनीति को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। एेसे फलसफे पर यकीन करने वाले मुल्क को जायज मुल्क किस तरह कहा जा सकता है। अतः किराये की जमीन पर तामीर किये गये एेसे मुल्क को जायज मुल्क किस तरह कहें जिसकी ना कोई तवारीख (इतिहास) है, ना कोई तबीयत (चरित्र) है और ना कोई तरबीयत (संस्कार) है। एेसे मुल्क की फौज को सिवाय नामुराद फौज कहने के और क्या कहा जा सकता है?

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