घबराने की जगह अलर्ट रहना जरूरी...
हम सब कोरोना की दो लहरें देख चुके हैं और आज तीसरी लहर का सामना कर रहे हैं। हम पिछली दो लहरों से यही सीखे हैं कि हमें सभी सुरक्षा के पैरामीटर का ध्यान रखते हुए सभी नियमाें का पालन करना चाहिए
01:37 AM Jan 16, 2022 IST | Kiran Chopra
हम सब कोरोना की दो लहरें देख चुके हैं और आज तीसरी लहर का सामना कर रहे हैं। हम पिछली दो लहरों से यही सीखे हैं कि हमें सभी सुरक्षा के पैरामीटर का ध्यान रखते हुए सभी नियमाें का पालन करना चाहिए। तब भी अगर कोरोना हो जाए तो घबराना नहीं चाहिए। आजकल फ्लू का समय भी है। कोशिश हो अगर हम अपनी सैल्फ जांच किट घर में रखें। अगर कर सकते हैं तो खुद ही जांच कर लें अगर है भी तो डाक्टर से पूछ कर पैरासिटामोल यानी क्रोसीन लें। मैंने बहुत से लोगों से बात की जिनको 3-4 दिन बुखार हुआ और वो ठीक हो गए परन्तु टैस्ट में 10, 14 दिन में नैगेटिव आए। मैं तो सब पाठकों को प्रार्थना करूंगी कि सिस्टम की पालना करें ताकि लाॅकडाउन न लगे। अगर लाॅकडाउन लगता है तो अर्थव्यवस्था गड़बड़ाती है और आम आदमी पिसता है। अगर हम पालन करें तो लाॅकडाउन नहीं लगेगा। हमें अपनी जिन्दगी जीने का तरीका ही कुछ वर्षों तक बदल देना चाहिए नहीं तो लोगों की जानमाल की सुरक्षा के लिए लाॅकडाउन लगाना जरूरी हो जाएगा।
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सबसे पहले हमें अपना डर निकालना होगा। (अभी मैं लिख रही हूं परन्तु मेरे बच्चे अपने लिए नहीं मेरे लिए बहुत डरते हैं) 2. सभी सुरक्षा मानदंड अपनाने होंगे, मास्क, दूरी, सैनेटाइजर, 3. आफिस या अपने बिजनेस के लिए जाना है तब भी सभी बातों का ख्याल रखना होगा। 4. अपने आप को व्यस्त और मस्त रखना होगा। 5. घर में बड़े और छोटों का बहुत ध्यान परन्तु युवाओं को अपना भी ध्यान रखना होगा।
अभी दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री मोदी जी ने यही कहा है कि कोरोना से डरना नहीं है। डटकर इसका सामना करना है और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना है। यह मंत्र कहने में छोटा है परंतु इसका महत्व बहुत ज्यादा है।
मुझे याद है कि हम अपने वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब में सदस्यों को व्यस्त रखते हैं और कोरोना के हमलो के बीच उन्हें अस्त-व्यस्त नहीं होने देते। अगर कोई सदस्य गाना चाहता है या कोई 70 प्लस या 80 प्लस का कोई सदस्य नाचना चाहता है, एक्टिंग करना चाहता है या डायलॉग बोलना चाहता है या फिर किसी नेता की नकल करना चाहता है, यकीन मानिए मैंने अपने वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब के प्लेटफार्म से सबको वर्चुअल मीटिंग के जरिये उन्हें वह सब करने दिया जो वह करना चाहते थे। जिंदगी की चुनौतियों के बीच उन्हें जीने का अवसर दिया। यह मेरी जीत नहीं, मेरे क्लब की जीत नहीं हम सबकी जीत है और हम जिंदगी में आज भी इसी मंत्र के साथ चल रहे हैं कि जिंदगी की चुनौतियों के बीच नियमों का पालन करते हुए कोरोना से डरने की बजाये मास्क लगाओ और हाथ धोते चलते जाओ तो जीने के इस मंत्र का असली महत्व पता चल जायेगा। कल,आज और कल के माध्यम से हमने अपने वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब के सौजन्य से अनेक प्रोग्राम किए। मैं आज भी हर किसी से यही अपील करती हूं अगर आपको कोरोना की वजह से क्वारंटीन होना पड़ रहा है तो आप अपने अच्छे शुभचिंतकों और मित्रों के साथ अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति कीजिए। जो आप करना चाहते हैं वह कीजिए।
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कई सामाजिक संगठन एक-दूसरे की मदद के लिए जरूरी सामाना भेजने के लिए हाथ बढ़ाते रहते हैं लेकिन कोरोना के ज्यादा देर तक चलने की वजह से अर्थव्यवस्था और बजट की स्थिति हर किसी को प्रभावित कर रही है परंतु सामाजिक तौर पर परोपकार का यह रिश्ता बना रहना चाहिए। अगर हम एक दूसरे की मदद के लिए हाथ बढ़ाने के संस्कारों को एक परंपरा की तरह आगे बढ़ा सकते हैं तो फिर कोरोना जैसी कितनी ही चुनौतियों पर विजय पाई जा सकती है। कोरोना के खिलाफ जंग में हमारे डाक्टर, नर्से और मेडिकल कर्मियों के अलावा पुलिस और मीडियाकर्मी तथा जरूरी चीजों की सप्लाई वाले लोग डटे रहे। कई रेजिडेंट डाक्टरों ने हड़ताल भी की जो कि अच्छा संकेत नहीं था लेकिन कोरोना के खिलाफ लड़ने में उनके योगदान को भूलाया नहीं जा सकता। कोरोना के खिलाफ जंग के लिए हमसब एकजुट होकर एक-दूसरे की मदद के संकल्प के साथ अगर सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और सेनैटाइजर प्रयोग करने के मंत्र को जिंदगी में उतार रहे हैं तो फिर यह कोरोना भी हमसे हारेगा।
अभी तीसरी लहर के चलते हमने अपने वरिष्ठ नागरिक फेसबुक पेज पर नया कम्पीटीशन जुगलबंदी शुरू किया है। जिसमें हमारे पाठक और वेवियर हिस्सा ले सकते हैं। यह प्रोग्राम सब परिवारों को इस मुश्किल की घड़ी में उत्साह के साथ जोड़ेगा और हम पंजाब केसरी के पाठकों के लिए भी नए-नए प्रोग्राम लेकर आ रहे हैं। युवाओं, बच्चों और महिलाओं को सीखाएं कि सब नियमों का पालन करते हुए इस मुश्किल घड़ी में पहले अपने आप को फिर दूसरों को बचाना है। देश को आगे बढ़ाना है।
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