छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र सीमा पर ITBP ने स्थापित किया नया COB, सुरक्षा को मिलेगी मजबूती
नक्सलियों के गढ़ में ITBP का नया बेस, नक्सलियों को बड़ा झटका
छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र सीमा पर नेलांगुर में ITBP ने नया कंपनी ऑपरेटिंग बेस स्थापित किया है। यह कदम नक्सलियों के गढ़ अबूझमाड़ क्षेत्र पर प्रभुत्व स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। इससे क्षेत्र में सुरक्षा और निगरानी क्षमताओं में वृद्धि होगी और विकास को बढ़ावा मिलेगा।
छत्तीसगढ़ में नक्सलवादियों के लगातार कार्रवाई की जा रही है। आज एक महत्वपूर्ण कदम में, ITBP और छत्तीसगढ़ पुलिस ने छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र सीमा पर रणनीतिक रूप से स्थित नेलांगुर में एक कंपनी ऑपरेटिंग बेस (सीओबी) की सफलतापूर्वक स्थापना की है। नव स्थापित बेस नक्सलियों के गढ़ के रूप में जाने जाने वाले दूरस्थ और पहले दुर्गम अबूझमाड़ क्षेत्र पर प्रभुत्व स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। बता दें कि सुरक्षाबलों ने नक्सलवाद और कई कठिनाइयों के बाद भी इस क्षेत्र को सुरक्षित करने में कामयाब रहे हैं। जिससे नक्सल नेटवर्क को बड़ा झटका लगा है।
#WATCH | In a major strategic move against the Naxals, the ITBP and Chhattisgarh Police have set up the Nelangur Company Operating Base (COB) along the Chhattisgarh-Maharashtra border, asserting control over Naxal strongholds in the remote Abujhmad region despite facing… pic.twitter.com/OnkdsJqVeT
— ANI (@ANI) April 24, 2025
अधिकारियों का मानना है कि इस सीओबी की स्थापना से क्षेत्र में निगरानी और परिचालन क्षमताओं और विकास में वृद्धि के साथ बेहतर सुरक्षा का मार्ग प्रशस्त होगा। बता दें कि आईटीबीपी की 41वीं और 45वीं बटालियन तथा सेक्टर मुख्यालय भुवनेश्वर ने छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के नेलांगुर में नया सीओबी स्थापित किया है, जिसे कई नक्सल संगठनों के प्रभाव में माना जाता है।
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अभी तक पांच नए COB खोले गए
अबूझमाड़ और विशेष रूप से नारायणपुर के मध्य सड़क नेटवर्क का खुलना, नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में क्षेत्र में एक बड़ी रणनीतिक प्रगति है। इस वर्ष जनवरी से अब तक आईटीबीपी द्वारा महाराष्ट्र की ओर संचार संपर्क को सुगम बनाने के लिए पांच नए सीओबी खोले गए हैं। बता दें कि छत्तीसगढ़ में कई नक्सलियों, ओजीडब्ल्यू और उनके समर्थकों तथा ‘जनता’ सरकार के सदस्यों ने आईटीबीपी और पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया है। ऐसे आत्मसमर्पण करने वालों की संख्या 100 से अधिक रही है।
अधिकारियों ने बताया कि नारायणपुर से महाराष्ट्र तक पहुंचने से विकास का मार्ग प्रशस्त होगा और सुरक्षा बलों , विकास एजेंसियों की पहुंच बेहतर होगी क्योंकि यह लगभग चार दशकों से नक्सल प्रभावित क्षेत्र में आता है। बता दें कि लगभग 40 चालीस किलोमीटर का यह इलाका नक्सलियों की मौजूदगी और पश्चिम बस्तर, उत्तर बस्तर और माड़ द्वारा नक्सली स्थानीय समानांतर सरकारों और मुक्त क्षेत्रों के कामकाज से भरा हुआ है।