Janmashtami 2025 Vrat Time: जन्माष्टमी पर इस समय करें श्री कृष्ण की पूजा, जानें कब करें व्रत का पारण
Janmashtami 2025 Vrat Time: जन्माष्टमी का दिन भगवान Sri Krishna को समर्पित है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण धरती पर अवतरीत हुए थे। हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस त्योहर की तैयारी लोगों ने अभी से शुरू कर दी है। जन्माष्टमी 2025 का पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी में बड़े उत्साह से मनाया जा रहा है। इस दिन लोग अपने घर को बड़े ही प्रेम और श्रद्धा से सजाते हैं और बाल गोपाल को पालने में झुलाने की परंपरा निभाते हैं।
झूला सजाना इस त्योहार का खास हिस्सा होता है, जो न सिर्फ भक्ति का प्रतीक है बल्कि उत्साह और उमंग भी दर्शाता है। इस दिन बाल गोपाल को सजाते हैं और पूरे मन से उनकी पूजा करते हैं। इस दिन उपवास भी रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखने से 100 एकादशी का फल मिलता है। अर्थात कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत 100 एकादशीयों के बराबर माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु अतार लेकर धरती पर दुष्टों का संहार करने के लिए प्रकट हुए थे। श्री कृष्ण के रूप में उन्होंने कई बाल लीलाएं भी की थी। श्री कृष्ण को कई नामों से भी लोग पुकारा करते हैं।
कोई उन्हें माखनचोर पुकारता है तो कोई उन्हें चितचोर कहता है। कोई उनको मुरलीधर कहता है तो कोई उनको माधव कहता है। कोई उनको द्वारकाधीश कहता है तो कोई उन्हें प्यार से लल्ला कहता है। श्रीकृष्ण की छवि ऐसी है कि वह हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं। इस कृष्ण जन्माष्टमी पर पारण कब करना है और श्री कृष्ण की पूजा कैसे करनी है आइए जानते हैं।
Janmashtami 2025 Vrat Kaise Kare: कैसे करे श्री कृष्ण जन्माष्टमी का नियमपूर्वक व्रत
श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत काफी कठिन होता है। यह व्रत एकादशी के जैसा ही होता है। इस व्रत का पारण साधक को अगले दिन करना होता है। इस व्रत में साधक को सोना नहीं चाहिए। इस दिन भजन-कीर्तन करना चाहिए। इस दिन तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। इस दिन मांस-मदिरा का सेवन भी नहीं करना चाहिए। इस दिन लहसुन-प्याज का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
इस दिन सच्चे मन से भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण करना चाहिए और झूठ नहीं बोलना चाहिए। इस दिन किसी के साथ लड़ाई और झगड़ा भी नहीं करना चाहिए। जन्माष्टमी के दिन किसी शांत और एकांत स्थान पर मंत्र जप करना चाहिए। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंत्रों का जप करना बहुत ही शुभ और लाभकारी माना जाता है।
इन मंत्रों का जप करने से न केवल आपको सकारात्मक ऊर्जा मिलती है, बल्कि आपके आध्यात्मिक विकास में भी मदद होती है। इस दिन रात 12 बजे जब कान्हा का जन्म होता है, तब उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें नए वस्त्र पहनाकर झूले में बैठाएं। अंत में आरती करें।
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Janmashtami 2025 Vrat Kab Khole: कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत का पारण का सही समय
हिंदू कैलेंडर के अनुसार अष्टमी तिथि आरंभ 15 अगस्त 2025 को रात 11:49 मिनट पर होगा और अष्टमी तिथि की समाप्ति 16 अगस्त 2025 को रात में 9 बजकर 34 मिनट पर होगी। वहीं रोहिणी नक्षण की शुरुआत 17 अगस्त को सुबह 4 बजकर 38 मिनट पर होगी और रोहिणी नक्षण की समाप्ति18 अगस्त 2025 को तड़के 03:17 बजे होगी।
इसके साथ ही 16 अगस्त को रात 10:46 बजे चन्द्रोदय का समय है। पंचांग के अनुसार, श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2025 में व्रत का पारण 16 अगस्त को सुबह 12:47 बजे के बाद किया जा सकता है। इसके साथ ही आप 16 अगस्त को रात में 9 बजकर 34 मिनट पर भी व्रत का पारण कर सकते हैं। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले स्नान करें।
इसके बाद साफ कपड़े पहनकर पूजा घर की सफाई करें और सच्चे मन से श्री कृष्ण की आरती करें और व्रत रखने का संकल्प लें। इसके बाद तुलसी की आरती करें और जल चढ़ाएं। भगवान श्री कृष्ण के भोग में तुलसी को जरूर अर्पित करें। रात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण जन्म के समय पूजा की जाती है।
सभी भक्तों को रात के समय श्रीकृष्ण जन्म को झूला झुलाकर, कृष्ण की आरती उतारकर और भजन-कीर्तन के माध्यम से भगवान का स्वागत करना चाहिए। इस दिन भक्तों को भगवान श्री कृष्ण के दिव्य मंत्रों का जाप भी करना चाहिए। हालांकि कुछ लोग रात्रि 12 बजे पूजा के बाद ही व्रत तोड़ते हैं, परंतु परंपरा के अनुसार पारण अगले दिन ही करना अधिक शुद्ध माना गया है।
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