Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

Jivitputrika Vrat 2025 Kab Hai: 13 या 14 सितंबर, कब मनाया जाएगा जीवित्पुत्रिका व्रत, जानें सही तिथि और व्रत की कथा

02:39 PM Sep 12, 2025 IST | Shweta Rajput
Jivitputrika Vrat 2025 Kab Hai

Jivitputrika Vrat 2025 Kab Hai: हिंदू धर्म में हर तीज-त्योहार का अपना अलग महत्व है। हर त्योहार को हिंदू धर्म काफी खास माना जाता है। हर त्योहार को बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इतना ही नहीं हर त्योहार की अपनी अलग मान्यता होती है और अपनी अलग विशेषता होती है। इन्हीं त्योहारों में से एक है जीवित्पुत्रिका व्रत (जिउतिया। इस व्रत को हिंदू धर्म में काफी खास माना जाता है। इस दिन सभी माताएं अपनी संतान के लिए इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करती हैं।

यह व्रत मातृ प्रेम और संतान की दीर्घायु के लिए किया जाने वाला जीवित्पुत्रिका व्रत (जिउतिया) (jivitputrika 2025 vrat) है। इस दिन सभी माताएं श्रृंगार करके अपने हाथों में मेहंदी लगाकर तेयार होती हैं। इस दिन को सभी माताओं के लिए काफी खास माना जाता है। लेकिन कई लोगों को इस व्रत को लेकर काफी कन्फ्यूजन है। लोग इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि इस बार यह व्रत 13 को मनाया जाएगा या 14 सितंबर के दिन। आइए जानते हैं इस व्रत की सही तिथि और इस व्रत की कथा।

Also Read:- Death in Pitru Paksha: पितृ पक्ष में मृत्यु होना शुभ है या अशुभ, जानें अंतिम-संस्कार के नियम में क्या होता है बदलाव

Jivitputrika Vrat 2025 kab hai: जानें कब मनाया जाएगी जीवित्पुत्रिका व्रत

Advertisement
Jivitputrika Vrat 2025 Kab Hai

सनातन धर्म में जीवित्पुत्रिका व्रत की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इस दिन सभी व्रती महिलाएं शुद्ध आचरण रखते हुए स्नान-ध्यान कर सात्विक भोजन करती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल 13 सितंबर, शनिवार के दिन जितिया व्रत का नहाय-खाय मनाया जाएगा। जीवित्पुत्रिका व्रत शुद्धता का प्रतीक भी माना जाता है। पंचांग के अनुसार, सप्तमी तिथि 14 सितंबर 2025 को सुबह 08 बजकर 41 मिनट तक रहेगी। इस तिथि के बाद अष्टमी तिथि की शुरुआत होगी।

14 सितंबर 2025 को सप्तमी तिथि युक्त अष्टमी तिथि पड़ रही है। यही कारण है कि इस साल जीवित्पुत्रिका व्रत 4 सितंबर, रविवार को मनाया जाएगा। जीवित्पुत्रिका व्रत के दिन सभी माताएं निर्जला उपवास कर संतान की मंगलकामना हेतु और उसकी लंबी आयु के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं और विधि-विधान से पूजा करती हैं। वहीं इस व्रत का पारण पंचांग के अनुसार, सोमवार 15 सितंबर के दिन 6 बजकर 15 मिनट पर अष्टमी तिथि की समाप्ति होने के बाद और नवमी तिथि के सूर्योदय के बाद किया जाएगा।

Also Read:- Sharad Purnima 2025 Kab Hai: कब मनाई जाएगी शरद पूर्णिमा, जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और इसका महत्व

Jivitputrika Vrat Katha: जानें जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा

Jivitputrika Vrat Katha

जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा अनुसार, एक बार चील (गरुड़ पक्षी) और सियारिन (लोमड़ी) दोनों ने जितिया व्रत रखने का संकल्प लिया। इसके बाद दोनों ने पूरे विधि और नियमपूर्वक व्रत रखना शुरू किया। इस व्रत के दौरान चील ने पूरे नियम और संयम का पालन किया और बिना अन्न-जल ग्रहण किए संध्या तक व्रत निभाया। लेकिन सियारिन व्रत की कठिनाई सहन न कर सकी। वह भूख से तड़पने लगी और उसने व्रत को बीच में ही तोड़कर मांस खा लिया।

जब दोनों का व्रत पूरा हो गया तो व्रत की समाप्ति को बाद उनके पास धर्मराज प्रकट हुए और उन्होंने दोनों के आचरण के आधार पर फल सुनाया। धर्मराज ने कहा कि केवन चील ने ही इस व्रत को नियमपूर्वक पूरा किया है। इसलिए केवल चील को ही इसका पुण्य मिलेगा, जबकि सियारिन को कोई फल प्राप्त नहीं होगा। इसके परिणामस्वरूप, चील की संतान दीर्घायु और सुखी जीवन प्राप्त करती है, जबकि सियारिन की संतान अल्पायु और कष्टमय जीवन जीती है।

ऐसी मान्यता है कि जितिया व्रत में चील और सियारिन की कथा सुनना अनिवार्य होता है। वहीं इस कथा से सभी को यह सीख भी मिलती है कि व्रत करना या उसका संकल्प लेना केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि श्रद्धा होती है। इसलिए संयम और नियमों के साथ किए जाने व्रत का फल अवश्य मिलता है और जीवन में संतान पर कोई कष्ट नहीं आता है।

Also Read:- Jitiya 2025 Mehndi Art Designs: जितिया के शुभ मौके पर अपने हाथों में लगाएं ये ट्रेंडी मेहंदी डिजाइन, बढ़ाएं हाथों की खूबसूरती

Advertisement
Next Article