काम का आदमी : लगे रहे 5 साल
दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिले प्रचंड बहुमत के बाद तीसरी बार मुख्यमंत्री का ताज पहनने को तैयार अरविन्द केजरीवाल की चुनौतियां और जनता के प्रति जवाबदेही काफी बढ़ गई है।
05:53 AM Feb 13, 2020 IST | Aditya Chopra
Advertisement
दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिले प्रचंड बहुमत के बाद तीसरी बार मुख्यमंत्री का ताज पहनने को तैयार अरविन्द केजरीवाल की चुनौतियां और जनता के प्रति जवाबदेही काफी बढ़ गई है। यद्यपि आप पार्टी को 2015 के मुकाबले इस बार पांच सीटें कम मिली हैं लेकिन दिल्ली का जनादेश बहुत बड़ा है। आक्रामक चुनाव प्रचार के बावजूद भाजपा की सीटों की संख्या 2015 के मुकाबले तीन से बढ़कर 8 हो गई है लेकिन ऐसा नहीं कहा जा सकता कि उसे सम्मानजनक हार मिली है।दिल्ली के जनादेश का असर देशभर में होगा। दिल्ली का चुनाव केवल एक महानगर का चुनाव नहीं होता, दिल्ली में हर क्षेत्र के, हर समुदाय के लोग रहते हैं। इसलिए दिल्ली के जनादेश को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
Advertisement
Advertisement
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जीत और भाजपा की हार का विश्लेषण अलग-अलग ढंग से किया जा रहा है। आम आदमी पार्टी बुनियादी मुद्दों पर टिकी रही। आप के उम्मीदवार मतदाताओं को यही बात समझाने में कामयाब हुए कि पिछले पांच वर्ष में केजरीवाल सरकार ने पानी, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन के क्षेत्र में क्या-क्या काम किए।यह ऐसे मुद्दे थे जिनका सीधा लाभ आम लोगों को हो रहा था। आम लोग इसका फायदा भी उठा रहे थे, उनके पैसे बच रहे थे। अन्य राजनीतिक दलों के लिए तार्किक ढंग से केजरीवाल सरकार की योजनाओं की आलोचना करना आसान नहीं था।
Advertisement
अब जबकि केजरीवाल को फिर लगे रहाे पांच साल का जनादेश मिल चुका है। अब उन्हें उन समस्याओं की ओर ध्यान देना होगा, जिन पर पिछले 5 वर्षों में कोई ज्यादा काम नहीं हुआ। अधूरे रह गए कामों को पूरा करना अपने आप में बड़ी चुनौती है। दिल्ली का सबसे बड़ा मुद्दा है पर्यावरण प्रदूषण। हर वर्ष उत्सवों के सीजन में दिल्ली गैस चैम्बर बन जाती है। आसमान में छाया धुआं वायु गुणवत्ता को खराब कर देता है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक काे सांस लेना भी दूभर हो जाता है। स्कूल-कालेज बंद कर दिए जाते हैं, निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी जाती है। प्रदूषण समूचे महानगर को बंधक बना लेता है। प्रदूषण को लेकर भी सियासत कम नहीं हुई लेकिन अब केजरीवाल सरकार को दिल्ली की हवा को शुद्ध बनाने के लिए काम करना होगा।
राजधानी की वायु गुणवत्ता में सुधार से ही भावी पीढ़ी को सांस लेने के लिए शुद्ध हवा मिलेगी और इससे बीमारियों पर भी रोक लगेगी। केजरीवाल सरकार काे प्रदूषण से लड़ना होगा यह काम बेहतर प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से हो सकता है। जहां तक पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में किसानों के पराली जलाने का मुद्दा है, इससे निपटते के लिए अन्य राज्य सरकारों से समन्वय स्थापित कर अभी से ही मोर्चाबंदी करनी होगी। इसके अलावा आप पार्टी ने स्वच्छता, यमुना की सफाई और दिल्ली की परिवहन व्यवस्था पर काफी अधिक ध्यान देना होगा। पिछले 5 वर्ष में आप सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य पर काफी ध्यान दिया लेकिन दिल्ली की परिवहन व्यवस्था में कोई खास सुधार नहीं आया। जगह-जगह ट्रैफिक जाम की समस्या से लोगों को जूझना पड़ रहा है।
शिक्षा संस्थानों के बाहर सैकड़ों ई-रिक्शा वाले खड़े रहते हैं, सड़कें और संकरी हो चुकी हैं, चलने के लिए फुटपाथ तो बचे ही नहीं। दिल्ली की परिवहन व्यवस्था को इस ढंग से सुचारू बनाना होगा ताकि लोगों को सार्वजनिक परिवहन सेवा सुविधाजनक लगे। पिछले पांच वर्षों में दिल्ली के बुनियादी ढांचे पर कोई ज्यादा काम नहीं किया गया। कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं को ही पूरा किया गया। आप सरकार को राजधानी की सड़कों और फ्लाईओवरों के निर्माण के साथ-साथ ऐसे उपाय करने होंगे ताकि दिल्ली को जाम से मुक्ति मिले ।
यमुना नदी की सफाई का मुद्दा लोगों के लिए आस्था का मुद्दा तो है ही साथ ही भावनात्मक मुद्दा भी है। देखना यह है कि केजरीवाल सरकार कितनी तेजी से इंटरसैप्टर सीवेज सिस्टम को पूूरा कर चार बड़े नालों का सीवेज यमुना में गिरने से रोकेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने द्वारका की चुनावी रैली में यमुना रिवर फ्रंट के निर्माण का वादा किया था। आप सरकार को केन्द्र सरकार से तालमेल कायम कर यमुना की स्वच्छता के लिए काम करना होगा और नए सीवेज ट्रीटमैंट प्लांट लगाने होंगे। दिल्ली की चारों दिशाओं में कूड़े-कचरे के पहाड़ बन चुके हैं। महानगर को कचरे के ढेरों से मुक्त कराने के लिए फंड की व्यवस्था करनी होगी, बल्कि कूड़े-कचरे के रोजाना निपटान की कारगर योजनाएं लागू करनी होंगी।
विदेशों में कूड़े-कचरे से बिजली पैदा की जाती है और यह बिजली उद्योगों काे दी जाती है जिससे सरकारों को राजस्व भी मिलता है। केजरीवाल सरकार को कचरे से बिजली उत्पादन की ओर ध्यान देना होगा। सबसे बड़ा सवाल है दिल्ली विश्व स्तरीय शहर कैसे बने। दिल्ली की सड़कें विश्व स्तरीय शहरों की तरह होनी चाहिए। राजधानी में चारों तरफ हरियाली ही हरियाली होनी चाहिए ताकि कंक्रीट के शहर में सांस लेने की शुद्ध हवा बच सके। पिछले पांच वर्षों में आप सरकार ने केन्द्र के साथ मुठभेड़ की राजनीति भी की लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा अधिकारों काे परिभाषित किए जाने के बाद सब कुछ सामान्य हो चुका है। जितना बड़ा जनादेश, दायित्व भी उतना ही बड़ा है। अरविन्द केजरीवाल को दिल्लीवासियों ने बेटे की तरह प्यार दिया है तो अपने वादों को पूरा करने का दायित्व भी उनके कंधों पर है। दिल्ली वालों की उम्मीद भी पहले से काफी बढ़ चुकी है। नई पारी की शुरूआत पर हमारी शुभकामनाएं उनके साथ हैं।

Join Channel