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4 या 5 सितंबर, Kab Hai Vamana Jayanti 2025? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

02:03 PM Sep 01, 2025 IST | Bhawana Rawat

Kab Hai Vamana Jayanti 2025?: वामन भगवान विष्णु के पांचवे अवतार हैं और वामन जयंती इन्हीं के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को वामन द्वादशी या वामन जयंती (Vamana Jayanti) के रूप में मनाते हैं। कहा जाता है कि इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने वामन रूप में अवतार लिया था। भगवान विष्णु ने धर्म और सृष्टि की रक्षा के लिए कई अवतार लिए थे, उन्हीं में से एक वामन अवतार भी है। भगवान विष्णु के इस अवतार का विस्तृत वर्णन विष्णु पुराण और श्रीमद् भागवत पुराण में मिलता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा करने से सभी बुरे कर्मों का नाश होता हैं और पुण्य के फल में वृद्धि होती है। मान्यता है कि इस दिन वामन अवतार की सच्चे मन से पूजा-आराधना करने और दान-पुण्य करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, इसके अलावा जीवन में सुख समृद्धि आती है। इस लेख में जानेंगे कि वामन जयंती कब हैं? वामन जयंती का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है?

वामन जयंती शुभ मुहूर्त (Vamana Jayanti Shubh Muhurat)

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इस साल वामन जयंती 4 सितंबर को मनाई जाएगी। द्वादशी तिथि 4 सितंबर को सुबह 4 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 5 सितंबर को सुबह 4 बजकर 8 मिनट पर होगा।

वामन जयंती पूजा विधि (Vamana Jayanti Puja Vidhi)

  1. वामन जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान वामन की पूजा-आराधना करें।
  2. पूजा स्थल पर भगवान वामन की मूर्ति स्थापित करें और उन्हें पिले वस्त्र पहनाएं।
  3. इस दिन फलाहार या सात्विक उपवास भी रखते हैं।
  4. पूजा के बाद चावल, दही और फलों का दान करना शुभ माना जाता है।
  5. इस दिन पशुओं को भी अन्न और दही खिलाना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
  6. शाम को व्रती लोग भगवान वामन की पूजा करें और कथा सुनें।
  7. पूजा के दौरान भगवान वामन के मंत्र "ॐ नमो भगवते वामनाय" का जाप और विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करें।

वामन जयंती का महत्व (Vamana Jayanti Mahatva)

वामन जयंती बुराई पर अच्छाई की जीत और अहंकार पर भक्ति की जीत के प्रतिक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु धरती पर एक छोटे ब्राह्मण के रूप में प्रकट हुए थे। वामन देव के रूप में भगवान विष्णु का ये पांचवा अवतार था। इनका जन्म राजा बलि के अत्याचारों से तीनों लोकों को बचाने और संतुलन स्थापित करने के लिए हुआ था। यह दिन भगवान विष्णु के पूजा करने, अहंकार का नाश करने और दान पुण्य करके जीवन में सफलता पाने का विशेष अवसर है।

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