अष्टमी पर कन्या पूजन की ये है सही विधि, जानिए कंजक पूजा का शुभ मुहूर्त
देशभर में चारों ओर नवरात्रि के त्योहार की धूम है। नवरात्रि के इन नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है।
07:04 AM Oct 05, 2019 IST | Desk Team
देशभर में चारों ओर नवरात्रि के त्योहार की धूम है। नवरात्रि के इन नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। वहीं इन नौ दिनों उत्तर भारत में भक्त मां दुर्गा का अशीर्वाद पाने के लिए व्रत रखते है। व्रत करके अष्टमी यानि की व्रत के आठवें दिन नौ कन्याओं का पूजन करने का विधान है। वैसे जो लोग पूरे नौ दिन तक व्रत नहीं कर पाते हैं वह लोग अष्टमी या दुर्गाष्टमी का व्रत रखते हैं और कंजक पूजा करते हैं।
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नवरात्रि या नवरात्र के आठवें दिन अष्टमी मनाई जाती है। इस बार अष्टमी 06 अक्टूबर को है। वहीं दूसरी ओर यदि बंगाल,ओडिशा,त्रिपुरा और मणिपुर की बात की जाए तो यहां दुर्गा पूजा में अष्टमी का खास महत्व है। पंडालों में इस दिन दुर्गा की नौ शक्तियों का आहन किया जाता है।
अष्टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त…
अष्टमी की तिथि: 06 अक्टूबर 2019
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 05 अक्टूबर 2019 को सुबह 09 बजकर 51 मिनट से
अष्टमी तिथ समाप्त: 06 अक्टूबर 2019 को सुबह 10 बजकर 54 मिनट तक।
अष्टमी पर कन्याओं को भोजन कराने के नियम…
नवरात्रि का त्योहार सिर्फ व्रत और उपवास का पर्व नहीं है,बल्कि यह तो नारी शक्ति के और कन्याओं के सम्मान का भी त्योहार है। इसलिए नवरात्रि के नौ व्रत पूरे हो जानेे के बाद कन्या पूजन और कन्या को भोजन कराने की परंपरा भी है। वैसे ता नवरात्रि में हर दिन कन्याओं की पूजा की जानें की परंपरा है,लेकिन अष्टमी और नवमी को खास पूजा की जाती है।
इसमें 2 साल से लेकर 11 साल तक की कन्या पूजा का विधान किया गया है। इनकी संख्या कम से कम 9 तो होनी ही चाहिए। इनके साथ एक बालक को बिठाने का भी प्रावधान है। इस बालक को भैरो बाबा के रूप में कन्याओं के बीच बैठाया जाता है।
कन्या पूजन की विधि…
एक दिन पहले ही कन्याओं के घर जाकर उन्हें निमंत्रण दें। गृह प्रवेश पर कन्याओं का पूरे परिवार के साथ फूलों से स्वागत करें और नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाएं। अब इन कन्याओं को साफ जगह बिठाएं। सभी के पैरों को दूध से भरे थाल में रखकर अपने हाथों से उनके पैर साफ पानी से धोएं।
इसके बाद कन्याओं के माथे पर अक्षत,कुमकुम लगाएं। फिर मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को भोजन कराएं। भोजन करा देने के बाद कन्याओं को अपने सामथ्र्य के मुताबिक दक्षिणा और उपहार दें। फिर कन्याओं के पैर छूकर उनसे आशीष लें।
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