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करतारपुर साहिब गलियारा : पाकिस्तानी मंसूबा

पाकिस्तान के हुक्मरान भारत के विरुद्ध षड्यंत्र रचने के अलावा कुछ नहीं कर रहे। आतंकवादियों की फंडिंग अब भी जारी है, जब भी पाकिस्तान को सबूत दिखाओ वह साफ इन्कार कर देता है।

04:55 AM Feb 10, 2020 IST | Aditya Chopra

पाकिस्तान के हुक्मरान भारत के विरुद्ध षड्यंत्र रचने के अलावा कुछ नहीं कर रहे। आतंकवादियों की फंडिंग अब भी जारी है, जब भी पाकिस्तान को सबूत दिखाओ वह साफ इन्कार कर देता है।

करतारपुर साहिब गलियारा   पाकिस्तानी मंसूबा
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आजकल ब्रेकिंग न्यूज का जमाना है। हर छोटी से छोटी घटना को भी ब्रेकिंग न्यूज के रूप में पेश किया जा रहा है। पाकिस्तान की तरफ से आ रही खबरों को भी भारतीय खबरिया चैनल ब्रेकिंग न्यूज की तरह पेश करते हैं लेकिन मुझे तो ऐसा लगता है कि पाकिस्तान जो भी कर रहा है वह ब्रेक अर्थात भारत को तोड़ने के लिए ही कर रहा है। पाकिस्तान पर किसी भी मामले पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
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पाकिस्तान के हुक्मरान भारत के विरुद्ध षड्यंत्र रचने के अलावा कुछ नहीं कर रहे। आतंकवादियों की फंडिंग अब भी जारी है, जब भी पाकिस्तान को सबूत दिखाओ वह साफ इन्कार कर देता है। जिस पाकिस्तान को नेहरू-लियाकत अली समझौता याद नहीं, जिसे ताशकंद समझौता याद नहीं, जिसे शिमला समझौता याद नहीं, जिसे लाहौर घोषणा पत्र याद नहीं, उस पाकिस्तान द्वारा दिखाई जा रही सद्भावना के पीछे भी साजिश ही होती है। अब पाकिस्तान भारतीय श्रद्धालुओं को करतारपुर कॉरिडोर में बिना पासपोर्ट आने की अनुमति देने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।
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ऐसा ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालुओं को गुरुद्वारा साहिब के दर्शन कराने के लिए किया जा रहा है। पिछले वर्ष नवम्बर में पाकिस्तान और भारत ने सीमा पर अलग-अलग कॉरिडोर का उद्घाटन किया था। यह कॉरिडोर भारतीय सिख श्रद्धालुओं को कम समय में गुरुद्वारा दरबार साहिब के दर्शन की सुविधा प्रदान करता है। करतारपुर गुरुद्वारा बंटवारे के समय पाकिस्तान के नारोवाल जिले में चला गया था। गुरुद्वारा दरबार साहिब में सिखों की बड़ी आस्था है क्योंकि गुरुनानक देव जी ने अपने जीवन के अन्तिम 18 वर्ष यहां पर बिताए थे। गुरुनानक देव जी भारतीय सिखों के लिए गुरु हैं तो पाकिस्तान के नागरिकों के लिए पीर फकीर हैं।
भारत और पाकिस्तान द्वारा हस्ताक्षर किए गए दस्तावेजों में वर्तमान में बिना पासपोर्ट के भारतीय श्रद्धालुओं को करतारपुर कॉरिडोर में आने की इजाजत नहीं है। अगर पाकिस्तान पासपोर्ट रखने की शर्त हटा देता है तो इस प्रक्रिया के तहत तीर्थयात्री सुबह से शाम तक भारतीय पासपोर्ट या भारतीय मूल के नागरिक कार्ड के साथ यात्रा कर सकेंगे। समझौते में किसी भी तरह के फेरबदल के लिए भारतीय सहमति भी जरूरी है। जब समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे उससे पहले भी पासपोर्ट मुक्त यात्रा का प्रस्ताव पाकिस्तान की तरफ से पेश किया गया था लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय ने देश की सुरक्षा के दृष्टिगत पासपोर्ट को ही उचित माना था और भारतीय पासपोर्ट को ही यात्रा का माध्यम माना था।
प्रथम दृष्टि में भले ही ऐसा लगे कि पाकिस्तान उदारवादी बन रहा है लेकिन पासपोर्ट की ​अनिवार्यता खत्म करने के पीछे उसके निहितार्थ को समझाना होगा। पंजाब हो या कश्मीर हम लम्बे अर्से से ऐसेे लोगों की करतूतें देख रहे हैं जिनका सम्बन्ध राष्ट्रद्रोहियों से है। आज भी ऐसे तत्व मौजूद हैं जिनके सम्बन्ध अलगाववाद के बीज बोने वालों के साथ हैं। पाकिस्तान में बैठे कुछ लोग आज भी पंजाब में अलगाववाद की चिंगारी को हवा देने का प्रयास कर रहे हैं। हमें यह भी देखना होगा कि करतारपुर गुरुद्वारा साहिब का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं हो।
वहां से ऐसे तत्वों की घुसपैठ नहीं हो जो भारत में अपनी साजिशों को अंजाम देना चाहते हों। कई तरह के दस्तावेजों में फेरबदल हो सकता है, वह फर्जी भी बनाए जा सकते हैं लेकिन पासपोर्ट में फेरबदल की ज्यादा सम्भावना नहीं होती। भारत को पहले अपने सुरक्षा हितों को देखना होगा। अब जबकि ऐसी खबरें आ रही हैं कि पाकिस्तान ने विदेशों में काम कर रहे अपने गिरोहों से खालिस्तान समर्थक समूहों को साथ लेकर भारत के खिलाफ दुनिया के बड़े शहरों में प्रदर्शन की योजना तैयार की है ताकि भारत की छवि को नुक्सान पहुंचाया जा सके तो ऐसे समय में भारत को पाकिस्तान के हर कदम को तोलना होगा।
जो लोग अपने मुल्क के सगे नहीं, अपने ही धर्म के मानने वालों के प्रति सच्चे नहीं, पीठ में छुरा घोपना जिनकी प्रवृत्ति है। जिनके 90 हजार लोगों को कमर में रस्सा बांध कर कभी हमने अपनी सड़कों पर घुमाया था, जो कुरान शरीफ की कस्में खाकर बोलते थे, ‘‘अल्लाह पाक की कसम, हमारी नस्लें कभी भी हिन्द की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देखेंगी।’’ उन लोगों ने हमें आज तक चैन की सांस नहीं लेने दी। हमारी संसद तक आक्रमण किया गया, जम्मू के रघुनाथ मंदिर और गुजरात के अक्षरधाम जैसे मंदिरों पर हमला कर निर्दोषाें का खून बहाया गया। उस पाकिस्तान से हमें क्या उम्मीद करनी चाहिए। भारतीय पासपोर्ट की अनिवार्यता तभी खत्म हो सकती है जब पाकिस्तान भारत के ​िखलाफ षड्यंत्र रचना बन्द कर दे या फिर सम्बन्ध इतने सामान्य हो कि पाकिस्तान पर भरोसा किया जा सके। मगर ऐसा होना फिलहाल संभव दिखाई नहीं देता। राष्ट्रहित हमें पुकार रहा हैं ः-
मांगो, मांगो वरदान धाम चारों से,
मंदिरों, मस्जिदों, गिरजा, गुरुद्वारों से,
जब मिले काल, जय महाकाल बोलाे रे,
सत श्री अकाल, सत श्री अकाल बोलाे रे।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
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