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जानें इस बार कब है करवा चौथ,ये है मुहूर्त,पूजा की विधि और खास संयोग

हर साल करवा चौथ कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस बार करवा चौथ का व्रत 17 अक्टूबर यानी गुरुवार के दिन पड़ रहा है।

06:30 AM Oct 09, 2019 IST | Desk Team

हर साल करवा चौथ कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस बार करवा चौथ का व्रत 17 अक्टूबर यानी गुरुवार के दिन पड़ रहा है।

हर साल करवा चौथ कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस बार करवा चौथ का व्रत 17 अक्टूबर यानी गुरुवार के दिन पड़ रहा है। करवा चौथ का व्रत महिलाएं बिना पानी पिए रखती हैं साथ ही रात के समय चांद निकलने के बाद व्रत का पाराण करती हैं। सामाजिक मान्यता यह भी है कि अगर सुहागिन महिलाएं करवा चौथ व्रत का विधिवत पालन करें तो उनके पति की आयु लंबी हो जाती है।
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 इसके साथ ही वैवाहिक जीवन भी खुशहाल रहता है। करवा चौथ का व्रत सूर्योदय होने से पहले आरंभ किया जाता है और सूर्यास्त के बाद यानी चांद निकलने तक रखा जाता है। इस व्रत को लेकर एक अन्य मान्यता यह भी है कि इसमें सास अपनी बहू को सरगी देती है जिसे लेकर व्रती महिला व्रत की शुरूआत करती है। 
ये खास संयोग बन रहा है
इस बार करवा चौथ पर रोहिणी नक्षत्र और मंगल का विशेष शुभ संयोग बन रहा है। इस बार व्रत पर बनने वाला यह खास संयोग 70 साल बाद बन रहा है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार करवा चौथ पर रोहिणी नक्षत्र और मंगल का योग ज्यादा मंगलकारी है। इसके अलावा इस करवा चौथ रोहिणी नक्षत्र के साथ-साथ सत्यभामा और मार्कण्डेय योग भी बन रहा है जो बाकी योगों की तुलना में बेहद शुभ है। यह शुभ संयोग भगवान श्रीकृष्ण और सत्यभामा के मिलन के समय बना था। 
करवा चौथ तिथि
17 अक्टूबर, 2019, दिन-गुरूवार करवा चौथ पूजा मुहूर्त- शाम 05 बजकर 50 मिनट से 07 बजकर 05 मिनट तक। कुल अवधि (पूजा के लिए)- 01 घंटा 15 मिनट करवा चौथ व्रत समय- सुबह 06 बजकर 23 मिनट से रात 08 बजकर 16 मिनट तक। व्रत की अवधि- 13 घंटे 15 मिनट। करवा चौथ के दिन चाँद निकलने का समय- 08 बजकर 16 मिनट।
करवाचौथ व्रत की पूजा विधि

करवा चौथ के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठे। सरगी के रूप में मिला हुआ भोजन करें इसके बाद पानी पीएं और भगवान की पूजा करके  निर्जला व्रत का संकल्प लें। करवा चौथ के पूरे दिन बिना पानी-अन्न कुछ खाएं बिना व्रत रखें इसके बाद शाम को चांद देखने के बाद अपना व्रत खोलें। पूजा के लिए शाम के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना कर इसमें करवे रखें। 
अब एक थाली में धूप,दीप,चन्दन,रोली,सिंदूर को रख लें और दीपक जलाएं। पूजा चांद निकलने के एक घंटे पहले शुरू कर देनी चाहिए। इस व्रत में पूजन के समय करवा चौथ कथा जरूर सुनें। 
चांद को छलनी से देखने के बाद अध्र्य देकर चन्द्रमा की पूजा करें। चांद को देखने के बाद पति के हाथ से जल पीकर व्रत खोलें। करवा चौथ के दिन बहुंए अपनी सास को थाली में खाना,मिठाई,फल,मेवे,रुपए आदि देकर उनका आशीर्वाद जरूर लें। 
बतातें चले कि करवा चौथ और संकष्टी चतुर्थी एक ही दिन पड़ते हैं।  संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस व्रत में शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव,पार्वती और कार्तिकेय की पूजा करती हैं। 
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