टॉप न्यूज़भारतविश्वराज्यबिजनस
खेल | क्रिकेटअन्य खेल
बॉलीवुड केसरीराशिफलSarkari Yojanaहेल्थ & लाइफस्टाइलtravelवाइरल न्यूजटेक & ऑटोगैजेटवास्तु शस्त्रएक्सपलाइनेर
Advertisement

सरकारी निर्देश तथा कोर्ट के दिशा-निर्देश को ताक पर रखकर ऑबजर्ब कर लिया दहिया को

NULL

01:17 PM Mar 16, 2018 IST | Desk Team

NULL

करनाल : 13 मार्च को शुगर मिल करनाल के बोर्ड ऑफ डायरैक्टर की बैठक के बाद एम.डी की मंजूरी के उपरांत तत्काल आनन-फानन में चीफ इंजीनियर विरेन्द्र सिंह दहिया ने ऑबजर्ब होने के बाद शुगर मिल करनाल में कार्यभार ग्रहण कर लिया। यह सब इतने जल्दबाजी में हुआ कि निर्देश के बाद ही कार्यभार ग्रहण किया। जबकि विरेन्द्र सिंह दहिया को दिए पत्र में एम.डी ने अपना बचाव करते हुए साफ तौर पर लिखा है कि जो भी उनको जानकारी या एन.ओ.सी दी गई है। उसके लिए सीधे तौर पर चीफ इंजीनियर विरेन्द्र सिंह दहिया जिम्मेदार है। यदि कोई गलत जानकारी निकलती है तो उन्हें बिना नोटिस दिए हटा दिया जाएगा। एम.डी ने शुगर फैड द्वारा लिखे गए पत्र को भी नजर अंदाज किया। जिसमें उन्होंने कहा कि ऑबजर्ब करने से पहले पद का विज्ञापन किया जाएं।

Advertisement

फिर बाद में पूर्व इंजीनियर विजय पाल के मामले पर भी विचार किया जाएं। इससे पहले हाईकोर्ट ने भी कहा था कि डेपुटेशन पर आए व्यक्ति को यदि मर्ज किया जाता है तो उसे बैकडोर एंट्री माना जाएगा। यदि ऑबजर्ब करना है तो उसके लिए चयन प्रक्रिया अपनाई जाएं। उसके बाद ही संबंधित व्यक्ति को नियुक्त किया जाएं। लेकिन इन दोनो दिशा-निर्देशों को करनाल शुगर मिल के एम.डी प्रद्युमन कुमार ने ताक पर रख दिया। इससे शुगर मिल करनाल पर तमाम सवाल खड़े हो गए। ऐसी क्या योग्यता विरेन्द्र सिंह दहिया में एम.डी को दिखाई दी कि उन्होंने सभी दिशा-निर्देशों को ताक पर रखकर उनको स्थाई तौर पर ऑबजर्ब कर लिया। जबकि उनके खिलाफ सोनीपत शुगर मिल एम.डी जांच कर रहे है। इसके अलावा अन्य शिकायतें भी विचाराधीन है।

चीफ इंजीनियर विरेन्द्र सिंह दहिया जब से आएं है तब से शुगर मिल की परफोरमैंस गिरती जा रही है। इस बात को स्वयं करनाल शुगर मिल के एम.डी ने स्वीकार किया है। उसके बाद उन पर क्या राजनैतिक-प्रशासनिक दबाव है। जिसके चलते वह गलत काम करते हुए नहीं डर रहे है। जबकि यह सी.एम का निर्वाचन क्षेत्र है। यदि यहां कोई बड़ा घोटाला या हादसा होता है तो इसके छींटे मुख्यमंत्री पर भी पडेंग़े। अब यदि इस मामले को लेकर कोई अदालत में चला जाएं तो शुगर फैड, शुगर मिल पर चीफ इंजीनियर विरेन्द्र सिंह दहिया को ऑबजर्ब करना कितना महंगा पड़ेगा और विपक्षी दल सरकार पर प्रहार भी करेंगे।

हर शाख पर उल्लू बैठा, अंजामे गुलिस्तां क्या होगा : करनाल शुगर मिल के मामले में यह लाईने स्टीक बैठती है। कानून, नियमों, हाईकोर्ट की रूलिंग को दरकिनार कर चीफ इंजीनियर की नियुक्ति कर दी गई। लेकिन इस पर किसी ने भी आपत्ति नहीं उठाई। प्रबंध समिति के डायरेक्टर से लेकर शुगर फैड के एम.डी, आर.सी.एस, तकनीकी सलाहाकार, शुगरफैड के चेयरमैन तथा सहकारी मंत्री के साथ-साथ एफ.सी.एस ने भी आपत्ति नहीं उठाई। आखिरकार किसका दबाव था विरेन्द्र सिंह दहिया को करनाल लाने के लिए। विरेन्द्र सिंह दहिया को किसकी जिद्द या किसके स्वार्थ के कारण करनाल में लाया गया।

हमारी मुख्य खबरों के लिए यहाँ क्लिक करें।

– हरीश

Advertisement
Next Article