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खालिस्तानी पन्नू पाकिस्तानियों की खुलकर पैरवी करने लगा

04:06 AM Aug 07, 2025 IST | Sudeep Singh
खालिस्तानी पन्नू पाकिस्तानियों की खुलकर पैरवी करने लगा

खालिस्तानियों के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने की बात अक्सर कही जाती रही है मगर आज उसके पुख्ता सबूत उस समय मिलते दिख रहे हैं जब खालिस्तानी संगठन सिख फार जस्टिस के मु​िखया गुरपतवंत सिंह पन्नू ने अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भारतीयों को दिए जाने वाले एच-1बी वीजा को तुरन्त प्रभाव से बंद करके पाकिस्तानी नागरिकों को दिए जाने की वकालत की है। गुरपतवंत सिंह पन्नू ने ट्रंप प्रचार अभियान और अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों को भेजे गए एक वीडियो संदेश में, साफ कहा कि भारतीय एच-1बी कर्मचारियों की लगातार आमद मेक अमरीका ग्रेट अमरीका एजेंडा को सीधा नुकसान पहुंचा रही है और इससे अमेरिकी परिवारों को नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है। वह बेघर हो रहे हैं। इतना ही नहीं खालिस्तानियों के द्वारा ऐसा भी प्रचार किया जा रहा है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “स्वदेशी” नारे के तहत एक उग्र राष्ट्रवादी अभियान शुरू किया है जिसमें भारतीयों से अपील की गई है कि वह भारतीय सामान खरीदें, भारतीयों को नौकरी दें, और विदेशी कंपनियों और उत्पादों को नकारें। खालिस्तानी मुखिया गुरपतवंत सिंह पन्नू ने राष्ट्रपति ट्रंप से यह भी आग्रह किया कि वे पाकिस्तानी नागरिकों को एच-1बी वीजा और रोजगार-आधारित अवसर प्रदान करें, जिससे भारतीय वीज़ा वर्चस्व और भारतीय आईटी कंपनियों की आक्रामक लॉबिंग के चलते अमेरिकी श्रम बाजारों से व्यवस्थित रूप से बाहर रखा जा सके। पन्नूं ने तंग मानसिकता का परिचय देते हुए योग्य पाकिस्तानी नागरिकों को अमेरिकी उद्योगों में योगदान देने का खुला अवसर देने की बात कही है जिसमें विशेष रूप से टेक और हेल्थकेयर क्षेत्रों में, जहाँ भारतीय आईटी कंपनियों ने अवैध रूप से अमेरिकी इमिग्रेशन सिस्टम का शोषण कर भर्ती प्रक्रिया पर कब्ज़ा जमा लिया है वहां से भारतीयों को निर्वासित किया जाए एवं टेक और हेल्थकेयर क्षेत्र में पाकिस्तानी नागरिकों को अवसर दिए जाए। राष्ट्रपति ट्रंप के वरिष्ठ सलाहकार स्टीफन मिलर पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि “इमिग्रेशन नीति पर काफी धोखाधड़ी हुई है।” यह धोखाधड़ी सबसे अधिक एच-1बी वीजा सिस्टम में देखने को मिली है। खासतौर पर भारतीय नियंत्रित स्टाफिंग नेटवर्क के माध्यम से। भारतीय कंपनियों पर वीज़ा धोखाधड़ी, फर्जी नौकरी प्रस्ताव, वेतन में कटौती, और श्रमिकों की तस्करी जैसे आरोप लगे हैं और उन पर जुर्माना भी लगाया गया है। इसके बावजूद, यह शोषण लगातार जारी है और अमेरिकी नागरिकों को उनकी ही नौकरी सिखाने के बाद निकालने की धमकी दी जाती है।
गुरु तेग बहादुर जी की शहीदी शताब्दी सरकारों द्वारा मनाया जाना सराहनीय
गुरु तेेग बहादुर जी ने कश्मीरी पण्डितों की फरियाद पर हिन्दू धर्म की रक्षा हेतु अपने प्राणों का बलिदान दिया मगर अफसोस कि आज 350 साल बीतने के पश्चात् भी लोगों को इसकी जानकारी सही से नहीं है। जानकारी देना धार्मिक कमेटियों की जिम्मेवारी बनती थी जो अपने कार्य में पूरी तरह से विफल रही हैं उल्टा आज कुछ कट्टरपंथी सोच के सिखों के द्वारा तो इस इतिहास को ही गल्त ठहराया जाने लगा है। आज तक गुरु तेग बहादुर जी को हिन्द की चादर इसलिए ही कहा जाता है क्योंकि उस समय हिन्दू धर्म पूरी तरह से खतरे में था। औरंगजेब का अत्याचार इस कदर बढ़ गया था कि वह इस देश में केवल एक ही धर्म रखने की ठान चुका था। मगर आज कट्टरपंथी ‘‘हिन्द की चादर’’ ना कहकर कोई ‘‘सृष्टि की चादर’’ तो कोई ‘‘मानवता की चादर’’ कहने लगे हैं जो दर्शाता है कि उनकी मन्शा पूरी तरह से इतिहास समाप्त करने की है। अब इन लोगों से कोई पूछे कि क्या उस समय पूरा संसार खतरे में था यां समूची मानवता गुरु जी ने तो हिन्दू धर्म को खतरे में देख उनकी रक्षा हेतु बलिदान दिया फिर ‘‘हिन्द की चादर’’ से परहेज क्यों?
गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी पर्व को देश की सरकारों द्वारा आगे आकर मनाया जाना एक सराहनीय कदम कहा जा सकता है और यह सिर्फ इसलिए क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा जब गुरु गोबिन्द सिंह जी के साहिबजादों की शहादत को वीर बाल दिवस के रुप में मनाते हुए समूचे देशवासियों तक सन्देश पहुंचाया जिसके चलते आज देश के उन गांवों के घर-घर तक जानकारी मिली जिन्होंने कभी गुरु गोबिन्द सिंह जी का नाम तक नहीं सुना था। देशवासियों को पता चल सका कि साहिबजादें कौन थे और इतनी छोटी उम्र में उन्हें किसने और क्यों शहीद किया। इस बार भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा केन्द्र व सभी राज्य सरकारांे को सरकारी स्तर पर धार्मिक कमेटियों के सहयोग से मनाने की अपील की है। इसलिए अब उम्मीद की जा सकती है कि गुरु तेग बहादुर जी की शहादत का इतिहास जो कि 350 सालों में सिख धर्म के लोग देशवासियों को नहीं बता पाए उसे देश व राज्य की सरकारों के माध्यम से हर देशवासी तक पहुंचाया जाएगा। इससे लोगों को पता चल सकेगा कि गुरु तेग बहादुर न होते तो आज शायद हिन्दू मन्दिरों में पूजा ना हो रही होती, इस देश में कोई और ही धर्म रह गया होता। गुरु जी की शहादत दिल्ली में हुई थी और सौभाग्यवंश दिल्ली में इस समय ऐसी सरकार है जो गुरु जी की शहादत को सच्चे दिल से नमस्कार करती है इी के चले रेखा गुप्ता सरकार के द्वारा दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के सहयोग अनेक कार्यक्रम करने की रुपरेखा तय की जा रही है। वहीं बिहार की नितिश सरकार के द्वारा तख्त पटना साहिब कमेटी के साथ मिलकर शहीदी जागृति यात्रा निकाली जा रही है जो कि गुरु का बाग के उस स्थान से जहां गुरु बाप बेटे का 6 साल की उम्र में पहली बार मिलन हुआ था से चलकर जिस स्थान पर आखिरी बार पिता के सीस के रुप में बेटे गोबिन्द राय की झोली में लेजाकर भाई जैता जी ने डाला था भाव आनंदपुर वहां जाकर समाप्त होगी।
शहीदी शताब्दी को एकजुट होकर मनाने की अपील
गुरु तेग बहादुर जी की शहीदी शताब्दी मनाने के लिए सिख जत्थेबंदियों के द्वारा अपने अपने स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं जिसे सिख कौम का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है क्यांेकि शहादत की ऐसी मिसाल दुनिया में और कहीं नहीं मिलती जहां शहीद होने के लिए कोई स्वयं चलकर गया हो। मगर अफसोस कि गुरु के सिख आज अनेक जत्थेबंदियों में बटकर रह गए हैं और हर कोई अपनी जत्थेबंदी को उंचा दिखाने के लिए अपना अलग कार्यक्रम बना रहा है। शिरोमणि अकाली दल दिल्ली के वरिष्ठ नेता हरविन्दर सिंह सरना का मानना है कि समूची कौम को आपसी मतभेद भुलाकर, जत्थेबं​िदयों की हदें पार करते हुए एकजुट होकर शताब्दी मनानी चाहिए जो कि वास्तव में गुरु जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
धार्मिक ग्रन्थों की बेअदबी पर सख्त कानून बनने चाहिए
पिछले कुछ समय से देखने में आ रहा था कि सिख धर्म के धार्मिक ग्रन्थ जिसे सिख धर्म के लोग जीवित गुरु का दर्जा देते हैं उसकी बेअदबी पंजाब और पंजाब से बाहर भी निरन्तर होती दिख रही थी। इतना ही नहीं इसके साथ ही गुटका साहिब और अन्य धार्मिक ग्रन्थों को भी शरारती तत्वों द्वारा कई बार नुकसान पहुंचाया जाता है। ऐसा शायद इसलिए भी होता है क्योंकि कुछ लोगों की मंशा देश का माहौल खराब करने की रहती है और उन्हें भलिभान्ति इस बात का ज्ञान रहता है कि सिख कौम एक जोशीली और धर्म के प्रति मर मिटने वाली कौम है जो जल्द ही एक्शन में आ जाती है।
मगर अब तो अन्य धर्मों के ग्रन्थों के साथ भी बेअद​िबयां होने लगी हंंै कई स्थानों पर मन्दिरों में स्थापित मूर्तियों के साथ भी छेड़छाड़ की घटनाएं सामने आती हैं। अक्सर ऐसा करने वाले लोग बहुत जल्द कानून की गिरफ्त से छूट जाते हैं क्योंकि कोई सख्त कानून नहीं है। सिख ब्रदर्सहुड इन्टरनैशल के राष्ट्रीय सैक्रेटरी जनरल गुणजीत सिंह बख्श का मानना है कि केन्द्र की सरकार की अपील की है कि बेअदबी पर सख्त कानून बनाया जाना चाहिए इतना ही नही अगर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा कोई कानून बन जाए तो निश्चित तौर पर ऐसा करने वाले लोग चाहकर भी बेअदबी करने की गलती नहीं करेंगे।

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Sudeep Singh

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