टॉप न्यूज़भारतविश्व
राज्य | दिल्ली NCRहरियाणाउत्तर प्रदेशबिहारछत्तीसगढ़राजस्थानझारखंडपंजाबजम्मू कश्मीरउत्तराखंडमध्य प्रदेश
बिजनस
खेल | क्रिकेटअन्य खेल
बॉलीवुड केसरीराशिफलसरकारी योजनाहेल्थ & लाइफस्टाइलट्रैवलवाइरल न्यूजटेक & ऑटोगैजेटवास्तु शस्त्रएक्सपलाइनेर
Advertisement

दिल्ली की वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में, सप्ताहांत तक भारी गिरावट की उम्मीद

केंद्र द्वारा संचालित वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान प्रणाली और अनुसंधान (सफर) ने कहा कि वर्तमान में हवा की गुणवत्ता के बिगड़ने का कारण मौसम की स्थिति में धीरे-धीरे प्रतिकूल परिवर्तन हो रहे हैं।

07:21 AM Oct 18, 2019 IST | Desk Team

केंद्र द्वारा संचालित वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान प्रणाली और अनुसंधान (सफर) ने कहा कि वर्तमान में हवा की गुणवत्ता के बिगड़ने का कारण मौसम की स्थिति में धीरे-धीरे प्रतिकूल परिवर्तन हो रहे हैं।

राष्ट्रीय राजधानी में शुक्रवार सुबह वायु गुणवत्ता ‘‘बहुत खराब’’ श्रेणी में पहुंच गयी और सप्ताहांत तक इसमें भारी गिरावट की उम्मीद है। शुक्रवार को दिल्ली का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक 306 रहा। यह गुरुवार को 270 था। एक्यूआई दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में 312, द्वारका सेक्टर आठ में 316, नरेला में 310, वजीरपुर में 312 और बवाना में 341 रहा। 
एक्यूआई शून्य से 50 के बीच होने पर ‘अच्छा’ होता है, जबकि 51 से 100 के बीच होने पर ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 और 500 के बीच होने पर उसे ‘गंभीर’ समझा जाता है। केंद्र द्वारा संचालित वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान प्रणाली और अनुसंधान (सफर) ने कहा कि वर्तमान में हवा की गुणवत्ता के बिगड़ने का कारण मौसम की स्थिति में धीरे-धीरे प्रतिकूल परिवर्तन हो रहे हैं।

पूर्व विधायक सुरेंद्र चौधरी भाजपा छोड़ आप में शामिल

दिल्ली के वातावरण में शुक्रवार को पीएम 2.5 सांद्रता में पराली जलाने की भागीदारी 10 प्रतिशत हो गयी। सफर के आंकड़ों के मुताबिक, शनिवार को यह 18 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान है। सफर की रिपोर्ट में बताया गया है कि हरियाणा, पंजाब,पश्चिमी उत्तर प्रदेश में और आस-पास के सीमावर्ती इलाकों में पिछले तीन दिनों से लगातार पराली जलने की घटनाओं में वृद्धि हुई है। 
पंजाब और आसपास के राज्यों में 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच पराली जलाने की अधिकतम घटनाएं होती हैं। यह दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक है। पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने पर प्रतिबंध के बावजूद, वित्तीय प्रोत्साहन के अभाव में किसान ऐसा कर रहे हैं। राज्य सरकारें किसानों और सहकारी समितियों को पराली के उचित प्रबंधन के लिए आधुनिक कृषि उपकरण खरीदने और पराली जलाने के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने के लिए 50 से 80 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान कर रही हैं। 
दिल्ली सरकार ने बार-बार जोर दिया है कि दिल्ली की बिगड़ती वायु गुणवत्ता का प्रमुख कारण पराली जलाना था। सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण ने कहा है कि दिल्ली में प्रदूषण की रोकथाम और स्थानीय लोगों का स्वास्थ्य हमारी प्राथमिकी है। भारत मौसम विज्ञान विभाग के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा कि पूर्ववर्ती दिशा में हवाएं धीमी गति से चल रही हैं। 
हवा की यह धीमी रफ्तार प्रदूषकों के बिखरने के लिए उपयुक्त नहीं है। जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ की स्थिति है। इससे पराली जलने का प्रभाव यहां थोड़ा कम पड़ने की उम्मीद है। श्रीवास्तव ने कहा, ’20 अक्टूबर के बाद हवा की गति बढ़ने की संभावना है जिसके परिणामस्वरूप शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार होने की उम्मीद की जा सकती है।’ मौसम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि गुरुवार को प्रदूषण के कारण धुंध होने से सफदरजंग और पालम इलाके में दृश्यता स्तर शाम 5:30 बजे 2,30 मीटर से घटकर 8:30 बजे 1,500 मीटर हो गया। 
Advertisement
Advertisement
Next Article