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Kojagari Laxmi Puja 2025: कोजागिरी पूजा में नवविवाहितों के लिए खास परंपरा, ऐसे पाएं मां लक्ष्मी का आशीर्वाद

12:49 PM Oct 06, 2025 IST | Bhawana Rawat

Kojagari Laxmi Puja 2025: हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का बहुत महत्व है। आश्विन मास की पूर्णिमा को ही शरद पूर्णिमा, कोजागरा पूर्णिमा, कोजागिरी पूर्णिमा और रास पूर्णिमा आदि नामों से जाना जाता है। मान्यतानुसार, इसी दिन मां लक्ष्मी प्रकट हुई थी। यह पर्व शरद ऋतु शुरू होने से ठीक पहले आता है, इसलिए इसे शरद पूर्णिमा कहते हैं। कहते हैं कि इस रात श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास की थी, इसलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए लोग रात भर जागकर जागरण करते हैं, इसलिए इसे कोजागिरी पूर्णिमा भी कहते हैं।

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इस लोकपर्व कोजागरा को बिहार और बंगाल में पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यहां इस रात नवविवाहित जोड़े का चुमाओन करने की भी परंपरा है। कहते हैं कि इस रात मां अन्नपूर्णा की पूजा होता है, जिससे घर में अन्न का संकट कभी नहीं आता। इस दिन दरवाजे से लेकर पूजा के स्थान तक एक खास तरीके का अरिपन बनाया जाता है। आइए जानते है कोजागरी पूजा विधि और माता लक्ष्मी की आरती।

Maa Laxmi Aarti lyrics: मां लक्ष्मी की ये आरती करें

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।

सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।

जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।

सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।

खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।

उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

Kojagari Laxmi Puja Vidhi: कोजागिरी पूजा विधि

बिहार में कोजागरा पूजा की खास परंपरा

  1. बिहार में कोजागरा पूजा के दिन नव विवाहित जोड़े को मखाना, दही, चूरा, मिठाई और नए वस्त्र आदि उपहार में दिए जाते हैं।
  2. इस दिन नव विवाहित जोड़े के हाथों से मखाना बांटने की भी परंपरा है।
  3. इस रात यहां जुआ खेलने की भी परंपरा है।
  4. कोजागरा के दिन घरों में लूडो, चौसा, तास, पचैसी खेलते हैं।
  5. इस दिन देवर अपनी भाभियों के साथ चांदी की कौड़ी से चौसा खेलते हैं।
  6. कहते हैं कि कोजागरा की रात अमृत वर्षा होती है, ऐसी में छत या आंगन पर दही को पूरी रात रखा जाता है और सुबह इस दही को अमृत मानकर खाते हैं।

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