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कर्नाटक में गौवध रोकने का कानून

भारतीय संविधान के दिशा-निर्देशक सिद्धांतों में यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि देश में कृषि और पशुधन की वृद्धि के ​लिए आधुनिकतम वैज्ञानिक उपायों को अपनाते हुए गाय के बछड़े के वध को प्रतिबंधित करते हुए अन्य उपाय किए जाएं व माल ढोने वाले पशुओं के संरक्षण को सुनिश्चित किया जाए।

02:40 AM Dec 11, 2020 IST | Aditya Chopra

भारतीय संविधान के दिशा-निर्देशक सिद्धांतों में यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि देश में कृषि और पशुधन की वृद्धि के ​लिए आधुनिकतम वैज्ञानिक उपायों को अपनाते हुए गाय के बछड़े के वध को प्रतिबंधित करते हुए अन्य उपाय किए जाएं व माल ढोने वाले पशुओं के संरक्षण को सुनिश्चित किया जाए।

कर्नाटक में गौवध रोकने का कानून
भारतीय संविधान के दिशा-निर्देशक सिद्धांतों में यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि देश में कृषि और पशुधन की वृद्धि के ​लिए आधुनिकतम वैज्ञानिक उपायों को अपनाते हुए गाय के बछड़े के वध को प्रतिबंधित करते हुए अन्य उपाय किए जाएं व माल ढोने वाले पशुओं के संरक्षण को सुनिश्चित किया जाए। फिर भी देश में गौवध होता है।
मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में गौवंश की रक्षा के लिए कड़े कानून लागू हैं। कुछ समय पहले मध्य प्रदेश में गाय संरक्षण के लिए काऊ कैबिनेट का गठन किया गया था। अब कर्नाटक विधानसभा में बी.एस. येदियुरप्पा की सरकार के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने  गौ हत्या और मवेशी संरक्षण विधेयक विधानसभा में पारित करा लिया है।
विधेयक पारित कराने से पहले विधानसभा परिसर में गाय लाई गई, जहां पशुपालन मंत्री प्रभु चव्हाण ने उनकी पूजा की। इससे पहले गुजरात में गौ हत्या करने पर कानून में उम्र  कैद और 5 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। कर्नाटक मवेशी वध रोकथाम संरक्षण विधेयक 2020 के तहत राज्य में गौ हत्या पर पूर्ण रोक का प्रावधान किया गया है। साथ ही गाय की तस्करी, अवैध ढुलाई, अत्याचार और गौ हत्या में लिप्त पाए जाने वाले व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई का भी प्रावधान है।
बचपन से लेकर आज तक जब भी मैं मंदिर या किसी धार्मिक कार्यक्रम में जाता हूं, जयकारों के बीच एक ही स्वर में हम सभी हाथ हवा में लहरा कर कहते हैं-‘‘धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भावना हो, ​िवश्व का कल्याण हो, सत्य सनातन धर्म की जय हो, हिन्दू धर्म की जय हो।’’
जब भी भगवान श्रीकृृष्ण की बात हो तो गाय माता की चर्चा स्वाभाविक है। श्रीकृष्ण बचपन और किशोरावस्था में बांसुरी बजाते तो गाय-बछड़े उन्हें घेर लेते। वह एक-एक गाय का नाम पुकारते। आज भी मथुरा, हरिद्वार, वृंदावन के आश्रमों में, कोसी, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली में गौ प्रेमी अपनी गायों को प्यारे-प्यारे नामों से पुकारते हैं।
गोवर्धन पर्वत का मतलब ही है गौवंश में वृद्धि है तथा भगवान श्रीकृष्ण ने इसे एक उंगली पर उठाया था जैसी प्रासंगिक कहानियां कई हैं, लेकिन यह तय है कि कान्हा से बड़ा गौ प्रेमी, गौ  रक्षक इस दुनिया में कोई नहीं मगर देश में गौवंश उजड़ रहा है तो ​जिम्मेदार कौन है? इसका जवाब भी हम आर्यवर्त्त तथा भारतवासियों को खोजना है।
भगवान श्रीराम भी गौधन को सबसे अधिक महत्व देते थे। हमारा इतिहास गऊ माता के महत्व से भरा पड़ा है लेकिन फिर भी हमें वर्तमान दौर में गौवध निषेध कानून बनाने की जरूरत पड़ रही है, यह सवाल सबके सामने है। गाय के नाम पर देशभर में राजनी​ित भी कम नहीं हुई।
गौ हत्या के मुद्दे पर भीड़ हिंसा की शर्मनाक घटनाएं भी हुईं, जिसमें लोगों को पीट-पीट कर मार डाला गया। प्रश्न यह भी है ​कि जब देश में गौ मांस पर पाबंदी है तो बीफ का निर्यात कौन करता है। कहा तो यह जाता है कि बीफ का अर्थ गौमांस नहीं होता बल्कि यह भैसों का मांस होता है। जितने मुंह उतनी बातें।
एक सर्वे के मुताबिक भारत में 71 प्रतिशत के करीब  लोग मांसाहारी हैं। आर्थिक पहलुओं पर नजर डालें तो संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की रिपोर्ट के अनुसार भारत बीफ निर्यात के मामले में विश्व स्तर पर पांचवें नम्बर पर है, यह भी जगजाहिर हो चुका है। मांस के चार चोटी के निर्यातक हिन्दू ही हैं। देश भर में 72 लाइसैंसी बूचड़खाने हैं। कई राज्य सरकारों ने अवैध बूचड़खानों पर ताले भी लगवाए हैं।
संविधान के अनुच्छेद 48 के तहत बछड़े, भैंस, बैल समेत सभी पशुओं के वध पर प्रतिबंध है फिर भी भैंस के मांस का निर्यात कैसे हो रहा है। गौशालाओं का प्रबंधन इतना खराब है कि सुविधाओं के अभाव में गाय मर रही हैं। केवल चारदीवारी बनाने या शैड खड़े कर देने से गौशालाओं का निर्माण पूरा नहीं होता।
गौवंश की देखरेख के लिए भी पूरी व्यवस्था होनी चाहिए। पशुओं को रोगों से बचाने के लिए पशु चिकित्सकों द्वारा लगातार जांच की जरूरत है। प्रत्येक नागरिक का मौलिक कर्त्तव्य है कि वह जीवित प्राणियों पर दया की भावना रखें तथा अहिंसा का परिपालन करें। जहां तक हमारी संस्कृति और धार्मिक विश्वास की बात करें तो हम अहिंसा श्रेष्ठ धर्म के पालक हैं। हमारा इतिहास भी अहिंसा की परम्परा का वाहक रहा है।
कत्लखानों के इस रहस्य को बहुत कम लोग जानते हैं कि जब जहां फिसलन भरे फर्श पर कत्ल के लिए लाए जाते पशुओं को घसीटा जाता है तब उनके भीतर का तमाम भय, त्रास और क्रोध प्रकट हो जाता है।
जिस देश में आजादी प्राप्त करने के लिए अंग्रेजों के विरुद्ध भी अहिंसा का आह्वान किया हो, उसी भारत देश में गौहत्या और पशुवध निंदनीय है। गौरक्षा को लेकर श्रीकृष्ण, श्रीराम के देश में हमारा अतीत गौरवपूर्ण है परन्तु वर्तमान में हमें कानून में कड़े प्रावधान करने पड़ रहे हैं। भारतीयों को स्वयं गौ संरक्षण के लिए आगे आना चाहिए।
-आदित्य नारायण चोपड़ा
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